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Saturday 2 May 2020

घौर


नक्शा हिसाब से चव्वा पड़ ग्ये छै
सब्बी कमरा द्वी हाथ  चिंणे ग्ये छै
मिस्त्री, ब्यंठ्या, लेबरों फौज नमाण
ईंट, सिमट, गिट्टी सरियों घिमसाण।

घौर बटिन बौडाजी अय्यां छाँ घुमण
ऐग्ये मेरु सुपन्यूं कु मकान दय्खण
मिन ब्वोलि बौडाजी कन बण लग्यूं
देखा सब्यूं तैं सेपरेट कमरा होण लग्यूं।

मेरि स्येखि दादा जी समझिग्ये छाँ
अफु तैं दिखाणों मतलब बिंगीग्ये छाँ
दादाऽन बोलि ब्यटा भल छ कमाणा
सब्बी छ घौर छौड़ी मकान बणाणा।

अब त मनखी मकानो कु ह्वे रैगी रे
यूं बड़ा मकाना भितर घौर हर्चेगी रे
घौर त दुन्यां भौत पिछने छोड़ीग्यूं रे
पन्याळौ पाणि पणधर्यो मा मोडिग्यूं रे।  

घौरे परिभाषा मकान मा   बदल्येगी
घौर छौड़ी देस, देस मा विदेसी ह्वेगी
बाबू सेपरेट कमरों मा सबी मौ ह्वेग्यां
बस मकाना भितर परिवारा घौ रैग्यां।

दानो बात औंळी स्वाद बाद मा चितैन्दू
हर अतीतऽक अर्थ वर्तमान मा बिग्येंन्दू  
जब चार मनखी चार दिसोंऽ सेटल होंद
तब वा घौर, मकानों मा बिखरी जान्द ।  

सच ब्वला यार वा फिलींग आज छ क्या
छज्जा जंगलों कु जन भिभड़ाट छ क्या
एक डिंडयळी मा सबी भैबेणों घिमसाण
सयुंक्त परिवार  ही त छै, घौरे पच्छयांण। 

@ बलबीर राणा 'अडिग' 

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