बण माफियोंन डाळा काटी
खनन माफियोंन उखाड़ी
हेकोंन् बणे नांगी यु धरती
धरतिन हमेर कुड़ी् उजाड़ी
वरुण द्यबता रुष्ठ ह्वयुं
पर्वत महाराज रुसायुं च
होर कुछ नी दोष दयाणी
अकर्मो से हमारू ही कमायूं च
खनन माफियोंन उखाड़ी
हेकोंन् बणे नांगी यु धरती
धरतिन हमेर कुड़ी् उजाड़ी
वरुण द्यबता रुष्ठ ह्वयुं
पर्वत महाराज रुसायुं च
होर कुछ नी दोष दयाणी
अकर्मो से हमारू ही कमायूं च
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रचना :- बलबीर राणा “अडिग”