Search This Blog

Sunday 17 August 2014

हमेर कमे

बण माफियोंन डाळा काटी
खनन माफियोंन उखाड़ी
हेकोंन्   बणे नांगी यु धरती
धरतिन हमेर कुड़ी् उजाड़ी

वरुण द्यबता रुष्ठ ह्वयुं
पर्वत महाराज रुसायुं च
होर कुछ नी दोष दयाणी
अकर्मो से हमारू ही कमायूं च



© सर्वाधिकार सुरक्षित
रचना :- बलबीर राणा “अडिग”
 

काकी गाळी

हे मस्तो
खूब लगाया ते अप्णी ज्वानी!
खूब म्वटी करिय्याँ ते गेर!
मेर काखडी खै .....ह्वे जालु
त!
अजि अय्याँ !
होर चोरिय्याँ !
ते ब्वे तें भि ली जाया 
जेन तु तदगा च्वोर ढांट सेंतियों
सच्ची भुमियाल देंण ह्वोलू
त!
त्वे मास्त तें फ़ौज मा भर्ती केर दिय्याँ
तब!
खूब मरुलो दुश्मन तें च्वर मार दे
तब पड़ेली मेर झुकुड़ी मा सेल !१!



© सर्वाधिकार सुरक्षित
रचना :- बलबीर राणा “अडिग”


Friday 1 August 2014

कण ह्वयुं नि रोण

रात डैर च लगणी
भिभ्डाट छिन हुणु
पैली भी चौमास बरख्येंदी छयी
अब क्ले !!!
इत्गा रगड़-बगड
ये सुरंगोंन हमेर सरि धरती हिल्येली
रोड का बाना कुड़ी पुन्गडी बग्येली
अध् कचरु काम छन हुणिया
सड़क काट्याली
डाळा उजाडयाली
नि चिंडी दिवाळ-भिड़ा
नि रोपी डाळा
ठेकदारोंन अर अधिकारियोंन भरीन अपणा थोला
जेमा जुगती छिन वूं त चलिगे देहरादून
जै विचारू नी कुछ वैकु ह्वयुं नि रोंण .....

© सर्वाधिकार सुरक्षित
रचना - बलबीर राणा :अडिग"