Search This Blog

Wednesday 13 May 2020

लॉकडौन मा माँजी संदूके याद



कुट्यारी-मुट्यारी, तुमड़ा-तुमड़योऽन
कुलणा-फुंगळा बक्सा, कुठारोऽन
मेजुळ ढैपुरा भितर भरयां छै अपार
चमन्द भरयूं रैन्द छै हमारु घरबार
पर ! ऐड़-चैड़ संकट मा, जु खड़ू रैन्दू
वा संकटमोचन मेरी माँजी सन्दूक होन्दू।

मामा पौणु ह्वो या बिन बुलयां मेमान
रैन्दू छै ते उन्द जर्वतौऽक सब सामान
चा चीनी, भेली, रैंदी छै घ्यू की माणी
कुछ रुप्यों कि गडव्ळी रैंदी छै थामी
ह्वे जान्दी छै बाबा मा जब लाचारी
तब माँ सन्दूक बचान्दू छै इज्जत हमारी।

वे काठाऽक बक्सा पर छै बड़ू ताळु
हुकम छै तै फर क्वै हाथ नि लगालु
पर! माँ तेरवीं पर खुली ग्ये छै बिचारु
बंटग्ये छै भै-भयात मा जति छै सारु
आज यु लौकडोन संकट कति बिथाणु
माँजी वा सन्दूक फिर भौत याद आणु।


तुमड़ा - बीज खाज रखने के लिए सूखी लौंकी के बर्तन
कुलणा-फुंगळा - रिंगाल के छोटे बड़े बर्तन/ढफरे
मेजुळ - दौ मंजिला
चमन्द - पूरा भरा हुआ
ऐड़-चैड - ऐन मौके पर

No comments:

Post a Comment