कख छां तुम रौंठ्याल- बौंठ्याल
किले लगिन इत्गा डैर
कख गैन जाति-विरादरी वाळ
किले दनकि यकुली भैर
थोड़ी क्या हिलेंन वेन
सरका-बर्क़ी थडम-थैर
धरम-शरम कु प्रचंड बुखार
किले सर्कि सरपट-सैर।
@ बलबीर राणा 'अडिग'
धर्ती पर जीवन संघर्षों वास्ता च, आराम त यख बटिन जाणा बाद, ना चै किन बी कन पड़ल, ये वास्ता लग्यां रावा, जत्गा देह घिस्येली उत्गा चमक, उत्गा संचय जु यख छुटलू। @ बलबीर राणा 'अडिग'
कख छां तुम रौंठ्याल- बौंठ्याल
किले लगिन इत्गा डैर
कख गैन जाति-विरादरी वाळ
किले दनकि यकुली भैर
थोड़ी क्या हिलेंन वेन
सरका-बर्क़ी थडम-थैर
धरम-शरम कु प्रचंड बुखार
किले सर्कि सरपट-सैर।
@ बलबीर राणा 'अडिग'
क्वी दुःखेणा छिन
क्वी ख़तेणा छिन
क्वी झपोड़-झपोड़ी
टप-टपकणा छिन।
यूँ तें थोडा कटयूं चैन्द
लूण-मर्च ल्येकी तैयार छिन
चीरी मची चाहे देश फर
मुछ्यालु ल्येकी तैयार छिन।
हिन्दू मरिन या मोमिन मरिन
यों गरुड़ों की नजर तेज छिन
लोछि-लोछि ल्ये जाणा उठे
चुनो मैदान लोगों मा बटेंणा छिन।
दाल कु अकाळ पड़यूँ
मुर्गा खै-खै उक्त्याट छिन
प्याजे की दाणी सोनुक ह्वेगे
ये फर क्वी नि सोचणा छिन।
अपणी नाकामयाबी लुकोणा खातिर
एक दूसरा तें गाळी दे देणा छिन
राजनीती क्या इत्गा मैली होंदी
अडिग यु तेरी समझ से भैर छिन।
@ बलबीर राणा 'अडिग'