कुल्याडु ल्येकी कख जाणु रे
कै मुल्क कु तु कसाई रे
अपणा त क्वे नि इन निर्दयी
तु जरूर सरकार को पाल्यों रे
हाथ लगे देख जरा अजमाईस कर
हाथ टंगडा तोड़ी द्योला तेरा रे
भाज अपणी डोफलि टोफुलि ल्येकी
पिछने मुडिक ना द्येख रे
यु डाला मेरा आस छन
औलाद भी यु ही रे
हाथ लगे दिखो जरा
तेरी फिर खैरी नि च रे
मेरी अंग्वाल मेरा भोल पर
धरती की यु धरोहर रे ।
चिपका छोरों दीदी भुल्यों
चिपका बैख नमाण रे
डाला कटला या हम कटला
यूँ कु सास देखला रे।
रचना: बलबीर राणा अडिग"