1. मजदूराऽ
ऐरां थौकि बदिन
पळभंग* निन्द ऐ जान्द
चौ मंजिल तलक
सिमंटा तसला पौंछाण वळा तैं
ये वास्ता वीं तैं
द्वी मंजिला बी सुपन्यां
नि आन्द।
* पळभंग – बेसुध
2. गरीबाऽ
अजक्याल जर्रा तंगतगी ह्वयीं
छैं छ पर कुछ मजबूरी ह्वयीं
दिनेक ठैर ब्वटा सस्ता ह्वलू
फेर त्यारा सुपन्यां पूरा कर्लू।
3. किसानाऽ
वा छतरु ल्येकि
निकळी ऐंणाऽल*
कुटदा सुपन्यां बचाणों तैं
कि !
क्या पता कुछ तामि पाथी
स्वेणा बची जों।
*ऐंणा - औले
@ बलबीर राणा 'अडिग'
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