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Wednesday 28 October 2020

औनार

 


       देस्वाळी नोनी ममकोट छै जयीं छुट्यों मा। मैना भर स्या मामि दगड़ पुंगड़ा पाटळ, घास न्यार, बण बूट खूब घूमिन। गंवाणी ठसक मसक मा छक करि छीणी कुणीऽऽ फोटू विड्यो बणैन। कुछैक फोटु फेसबुक इंस्टागराम, टयूटर पर कबिता गजलौं मा घुमणी छै, कुछैक यू टयूब, टिकटोक मा छमकणी छै। कुछैक वेबसैटों पर फोटू कोन्टेस्ट मा दमकणी छै। अर वा पाड़ इकुलांस मा रुणी छै कणाट्यणि छै।  

         उन्द जाणा दिन देस्वालिन ब्वली मामि ऐसूं छुट्टी मा बड़ू मजा ऐन यख।

मामिन बोली औं बुबा मजा घुमण वळों तैणि औन्दू यख रोण वळा त अज्यूं बि ख्वजणा छाँ अपणा हिस्से खुसि, उब औन्दी चिफळी सड़क अर उन्द चिफळदा अपणों मा। 

        युं डांडी कांठयूं पर गीत-बात, कबिता परवासी मेमान गाणा भाण्जीऽऽ परबासीऽ। रैवासी त खैंर्खयणा छ, खिर्सी खीर्सी खुसाणा छ। ठुला, ढयौर परीऽ गरुड़ बण्यां, छवटा बिगैर पाणी माछा तड़तड़ाणा अर खौ-बाग सैं-गुस्से हुयां, क्या ब्वन ताऽ।  तुम जावा बुबा जावा। औंदी जांदी रयाँ द्वी दिन सैयि तुमरि खुशयूँ दगड़ खुश राला युं धार गाड़ मुबेल कैमरों मा, उन बी या पाड़ अब निरसी, खैंखर मा बजरा घौ देणु बरसों बर्स।

         देस्वाळी नोनिन अपणु झकतक उठैन अर उन्दो बाटू लगिन, पर न जांण अब किलै वींतैं टकटकार रौंत्यळी डांडी मा अपणी रंग-चंग अलसी जन लगणी छै। 

असौंग शब्दूं अर्थ :- 

देस्वाळी - भैर परदेश वळी

ठुल - बड़ा 

ढयौर - मोरयूं जानवर

खैंर्खयणा - दुश्मनी लेण

खिर्सी - जलन/ईर्ष्या 

खैंखर -खुंदक 

अलसी - मुरझायी सी

@ बलबीर राणा 'अड़िग'

Friday 23 October 2020

कुछ

 

   

    
    क्या करलि गंगसारी राणी, जैका छोरा बुद्धि ना बाणि, इनि हाल नागपुर्या काकिऽक बि छै, नोनु र्निबुद्ध लाटो, जख देखी तवा परात, वखि बितैन रात, घचौरी घच्वर्यूं घ्वोड़ु। बाद मा कखि आळी जाळी ना ह्वो इलै काकिन बगत पर आळी ब्वाळी करि ब्यवै दिन। पर ब्यौ बाद बि तेतैं ना सौंण बर्खो ना भादो गर्जो।
    एक दां ब्वारी छै मैत जयीं, काकिन बोली जा रे घुंत्या ब्वारी बद्यै ल्यो अर काकिन तैका हाथ पांच रुप्या धरिन कि बाटापुन ‘कुछ’ ल्ये लियां, सौरास रितो हाथ जाण ठिक नि।
ऐरां घुंत्या ठैऽरि गरुड़ौ घिन्दुड़ु। तैन स्वोचि ‘कुछ’ क्वी चीज होन्दी ह्वली अर वा बजारपुन ‘कुछ’ खुज्याण लगिग्ये।
    घुंत्या- लालाजी तुमारा यख ‘कुछ’ बि च ? जी हाँ, यख कुछ ना भौत कुछ च, ब्वऽलाऽऽ तुमुतैं क्या चैणु ? जी मितैं भौत कुछ ना, *कुछ* चैणु। दुकानदारोऽन बि तैकि मुडळी बिंग्याली छै।, कुछ खुज्ये-खुज्ये तेतैं ततऽन बजार कुछ नि मिली अर वा अणमणु रिता अग्ने बाटा लगिन । 
    चल्दा-चल्दा बाटपुन कै गौं मा एक बौडी सग्वाड़ी मा तुमड़ा छै गाणि, घुंत्यऽन पूछि बौडी सु क्या छ ? बौडिन बि तैका पूछणा ढंग-ढाळ से मसखरी मा ब्वलि या बि छ *कुछ*।
    घुंत्या लाटा तैं ‘रुद्री रब्ये’ ह्वेगी। तैन बौड़ी हथ मा झट पांच रुप्या पकड़ाई, लै बौडी ये ‘कुछ’ मितैं द्ये द्यै। बौडी तैं बि ‘काणा त्वै क्या चैंद, द्वी आंखा साणा’। बौडिन सबसे ठुलु तुमड़ु तैमु सौंपिन। घुंत्याऽन बि चम्म तुमडौ भारु लगैन। 
    अब ! चल तुमड़ा बाटे-बाट चौरास, घुंत्या लग्यूँ सौरास।       
 
शब्दार्थ :-
आळी ब्वाळी  - जैसे तैसे/दिन रात
बद्यै - बुलौंण
तुमड़ा - कद्दू
रुद्री रब्ये - खुशी बरखा
ठुलु - बड़ू
 
@ बलबीर राणा ‘अडिग’
 
#udankaar

Thursday 22 October 2020

भैंस्या


 

     बाप रे बाप !! गौं मा बि अब कन बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बणग्ये भै, यखा लोग बि कख पौंछिग्यां। कैकि च भुला स्या मकान ?

भैंस्ये छ भैजी।

क्व भैंस्या, पुष्कर ? जी, ठिक पच्छयाणी तुमुन। 

वे गौं बटिन औण जाण वळा सीं मकान देखी एक हैका तैं इनि पूछदा।

गौं मा पुष्कर नौ का तीन लोग छाँ एक मास्टरजी, हैकु फौजी, जु घौर मु छै वा भैंस्या, पर पुष्कर सिंह बर्तवाल (भैंस्या) हणति गिणती मा इलाको संभ्रात नौ। बिगैर भैंस्यो कैकि पुज्ये मा दय्बता ना तूसौ अर ब्यौ मा सबत ना बाजो इनु जाण्यां माण्यां नौ।

तिमंजिला तरासी लेन्टरदार कूड़ि, सड़क पर द्वी गाड़ी, पंयार चार घ्वड़ा अर डेड द्वी सौ बखरें तांद, पाळी भाबर्या बल्दें जोड़ी, किल्वड़ा द्वी मुर्रा दुधाळ भैंस अर साळी खर्क मा चळ-चळकार धौळि गौड़ी सदनि बंधी रैन्दी। बारामासी लेंदो चैदामासी त्यवार।

लाखों जत्थो मालिक छै भैंस्या। चल्दू फिरदू बैंक, जवरकट्टा भितराऽ खिसा हर टैम मल्यो रंगा तीन चार गडवळि भरीं रैन्द। मौ-मदत, आर-सार जैन जखिमु मांगी वखिमु हाथ खीसा उन्द डल्दू, पर सौकार बणि गनखुल्या कै से नि खैन।

भैंस्यो बाळोपन गरीबी टूटो टालो मा बीतिन, बाबा निरंकार लाटु, भजिराम हौलदार, जैन जख लगेंन वखि। बिचारन सरि जिंदगी हौलदार सुबदारां फट्या पुराणा मा काटिन, पर छौं हिगनत्यारा मनखि। सत स्वभौ आदिम तैं भगवानल बि भलि हुंणतल्या औलाद दिनी।

      गरीबा नोने पढ़ै बी गरीब ही निकळी पर घर्या कामऽक सल्ल लकारन भैंस्या नौं आईकन बणेयाली छै। बाळापन बटिन गाजीऽऽ पाळण-परेख कै डाक्टर से कम ना अर गाजी बिजनिस मा गुजराती। 

       तैड़ु निकलणु जसीलो हाथ चैंद बल, गाजी बिजनिस मा भैंस्या इनु जसीलो सळतम सळतम तैड़ु निकळदू छै। तैका सल्ल से लतैड़ गौड़ि पैंजा त गैळ बल्द सीं पैटी जान्दू अर बांजा बंठर गाबिण ह्वे जान्दा। आज कति मवस्यूं रुजगार भैंस्या परताप चलणु छ।

भैंस दगड़ भैंस बणि अर खच्चर दगड़ खच्चर बणि खयेन्दू या बात ब्वै न रोटि दगड़ खवाईं छै। अपणु म्वोळ माटु करि ही धर्ती मा खाण निकळदी यीं बात तैका मन घौ करिं छै। ज्वानी बिनसरी बटिन काठे धर्ती मा काठौ आदिम बणि जत्था पर जत्था जोड़णु रौ, गौरु भैंस, बखरा, घ्वड़ा। चौं तर्फां बटिन पन्याळा पाणी क्या लगिन आमद कु चर्खा सर्रसराट करि बथौं देण बैठि। भ्यंकळे बन्दूकन तितर मने कब्बी नि सोचि।

भाग मा ह्वो त भुंया कचाक मारि बि अन्न निकळदन ब्वनै बात चा, बात तऽऽ या चऽ कि बीज भलु ह्वो त ढुंगा मा बि जमी जान्द। ह्वणकार हड़ताल मा नि बैठदू। बल, बाटु जिबाळ त बांगा खुटटौं तै होन्दू सीधा खुट्टा वळा एकी टांग मा ऐबरेस्ट चड़िन।

 

शब्दार्थ

पंयार - बुग्याळ गाज्यों विकसित देश

जत्था - पशुधन

गनखुल्या - ब्याज

हिगनत्यार - सचु ईमानदार

लकार - काबिल

गाजी - पालतु पशु

पन्याळु - घटौ पाणी पेप

 

@ बलबीर राणा अडिग

#UDANKAAR


 

Saturday 17 October 2020

सात पीढ़ी पैल्यों बूट

 





ब्याखुन्दा जनि निन्यारों झ्यां झ्यां बंद ह्वेन उनि अंध्यारऽन सर्री धर्ती पे झप-झपाक मारिन। जून अजीं मथि चरपाणी डाना पिछने चार हाथ तौल छै। ठंडी बथों सर्सराटन बांजा लौबु छवटा नोनु जन झर्रझर छिंज्यटि कना छै। जेठा मैना मा बंजकोट मंगरा पाणी धार बरीक ह्वेग्ये छै। छब्बीस अठैस सालो ज्वान परलाद यीं जुगमुग मा मंगरा पाता मा हगण्यां बैठयूं बंठा भरणु इंतजार कनु छै, बंठा कति भर्येन दिखेणु त नि छै पर गजगज बाज से अंदाज लगणु रो कि कति भर्येर्नं।

      घौर बटिन त वा उज्याला मा निकळी पाणी ल्येणु पर बाटापुन दगड्यो दगड़ छुवीं बत मा तैन अंध्यारु कैर्यली छै, ऐरां फौजी मनखी सालभर मा द्वी मैने छुटटी इनि खुद बिसराण मा निमणी जान्द।

      जनि बंठा भर्यणें गदगद ह्वेन उनि वा चम्म पाता बटि उठी अर एक झटाक मा बंठा कान्धी धरिन, जनि पिछने मुड़ि त, हक्का-बक्की। वेका मुख अग्वाड़ि छः फुट से बी लंबू जक्स हाथ फैले खड़ू ह्वेगी। परलादा गात एक दां डौरिन झर्झराट ह्वेगी फिर बी तेन हिकमत करि द्यखणें कोसिस करि पर वींकु मुख अर आकृति साफ नि दिखेणु छै।

      परलादऽक गात होर गर्गराट झर्झराट ह्वेगी, तैन फौजी रोब द्ये गुस्सा मा पूछी, कौन है बे तू ? चल हट, कांडई के कठैत का रास्ता रोकने वाला कौन है तु तू….? अर तैन बौं हाथन बंठा समाळी अर दैं हाथन वीं आकृति तै धक्का देणु हाथ अग्ने करि त हाथ हवा मा खाली, जबकि वा आकृति हाथ भर नजीक दिखेणु छै, परलाद डोरिन पाणी-पाणी ह्वेगी अर कपाळ पर पसीना। फिर बी हिकमत करि वा मंगरा से दस कदम अग्ने दैं बौं ह्वे खड़ंचा बळा ठुल बाटा मा ऐग्ये। तैन हकलाट मा फिर पूछी क्वो.. क्वो छ बे तू क्या चाणु ? 

      जक्सन उनि हाथ फैले ब्वली, सूण रे मि यीं धर्ती कु छौं, आज से सात पीढ़ी पैली त्यारा दादन मितैं जुत्ता मारि यख बटिन भगेन अर बोली कि मेरी सात पीढ़ी तक तु यख ना दिख्यै अर आज तू वीं बगत्वार सिंग कठैत बुढ्ये आठवीं पीढ़ी संतान छ, अब तू अर तेरु सैरु खानदान मिन सफाचट कन।

      परलादन अंधाबिमोळी मा बंठा भुयाँ धरि अर मसाण दगड़ फौंदरी कन लगिन पर वा जनि तै फर झपाक मनु हाथ बडौ हाथ कुछ ना औं। मसाणन फिर बोली अरे गुस्सें तू मैं दगड़ नि जीत सकलो त्वेन बी जितण त ल्वदळा बाड़ै बणयूं वीं बूट ल्यो जे बदिन तेरा दादन मि हरेन फेर मि यीं धर्ती हमेशा वास्ता छोड़ी द्यूला। ल्यो वा जुत्ता।

      प्रह्लाद नस्सा मा जन चार हथ खुट्टा टयेकि हॉपम् हांप चढ़े चढ़िन, मंगरा बटिन द्वी सौ मीटर मथि आम जंगळों बाटु छै अर बाटु दैं तर्फां गौं मा जान्दू, सौ मीटर अग्ने धार मा इंटर कौलेज, अर कौलेज सामणी लग्यूं पैनु ख्वाळु, पैनु ख्वाळा मा दस बारा कठैत मौ स्वारा भारा। उन त सरु कांडई कठैतों अर मनोड़ी सरुळ बामणों गौं छ पर अब कुछ हौर जजमान अर बामण परिवार घरजवैं कारण मिस्येग्यां। गौं कु वा पुस्तैनी मौल्याण मंगरु धार पिछने बांजा जंगल बीच छ, आहा बांजा जड़यूं ठंडु पाणि, अजक्यालां फ्रीज बी झकमार। बांज जंगळा बीच होण से मंगरो नो बंजकोट पड़िन।

      परलाद जन तन अंध्यारा मा हथ-खुट्टा मारी दौड़ी-दौड़ी घौर पौंछी, थ्यबलणि बाज मा जोर जोर से चिल्लाण बैठग्यों जुल्त्ता जुल्त्ता, बूल्ट बूल्ट। वेकी ब्वै चुलाणा उन्द आग छै जगोणि ब्वनै मन मा बोली क्या बुणु यू मास्ता कखि दारू त नि प्येन येन, अरे परलाद क्या ब्वनु तू ? पाणी कख छ क्या जुत्ता जुत्ता कनु, लोकुं दगड़ फौंदरी ना कैर्यां रे, ब्वै चुलाणा उन्द लखडा समाळी बड़बड़ाणी छै।

      उन बी ते जमाना मा वा सैरु गौं पूरा इलाका मा नम्बर एक कु फौंदर्या गौं छै। कै कारिज या खौळा म्यळों मा कखि फौंदरी ह्वो त समझा एक आदिम कांडे कठैत ह्वालु। इन बात नि कठैतें एक मुठ्या धाक बी छैं छै तब।  

      परलादन उनि अन्दाबिमोळी मा घौरा कूणा काणि जपक्वलि लगैन पर कखि जुत्ता नि पायी यति हौस बि नि छै कि अपणु फौजी गम बूट ही ल्ही जौं। सात पीढ़ी पैली जुत्ता मिलण त दूरे बात तबारी माटू बी नि मिलण्यां। जे बुढ़ये बात मसाण छै कनु वीं बुढ़या पूत संतानिन आज चार ख्वाला मा बांटि अलग-अलग मुन्डीत ह्वै सौ-डेड सौ मवासौं गौं बणग्यूं छै। जब तेतैं कुछ नि मिली त वेन एक सुगट्या उठायी अर हव्वा मा धार पोर बांजकोटे तर्फा चलग्ये। कुछ देर बाद जब बुढलिन क्वे आवाज नि सुणी त विंतैं चिंता होण लगि कि या कख ग्ये। बुढलिन सर्रा ख्वाळा पन पूरी कानी बतै।

      लोग बाग जबैर तलक कठ्ठा होन्दा तबैर तलक मथि द्वी किलोमीटर दूर बम्वठ बटिन गौं ईस्ट देवी द्वारी माता डंकरी औतरी पौंछग्यों। माताऽन बोली चला, मेरा भौट्या पर असन ऐग्ये क्वी आसुरी शक्ति ते दगड उलझीं च, अग्ने द्वारी माँ पस्वा पिछने गौं बळा, टोर्च मसाल ल्येकी। सब्बी धार पल्तर बंजकोट मंगरा पौंछिन, त वख प्रह्लाद बेहोस हालत मा मंगरा नजिक मिली। वी जगा दस मीटर होर-पोर ढुंगा-ढोळी खड़तम्-खाड़य्या हुईं छै। जु लठ्ठा वा घौर बटिन ल्ये वेफर लम्बा बाल बिलक्यां छाँ।

माता डंकरिन ज्योन्द्याल अरोखि परोखि वे तैं बख बटिन उठाणो आदेश दीनी। सर्रा गौं डोरिन थथर्राण बैठग्यों। घौर मु ल्ये पंडिजिन फिर झाड़ा ताड़ा करि, सर्रा गौं का मनखि नमाण पैरा लगिन जति मनखि वति मुखे बात। अगला दिन द्वी जौंळा बखरों बलि दिये ग्ये। डाक्टरन दवै दारु करि। मुश्किल से एक हप्ता बाद जब वा थोड़ा बुलाण लेख ह्वेन तब तैन अपणी जुबानी बतैन कि कानी क्या ह्वे। कति सच्ची कति झूठी बात छ, या त परलाद कु ज्यू जणदू ह्वलु। मैना दिन बाद वा असल कुशल अपणी डियूटी पर निकली। आज बी अगला भै फौज बटिन रिटेर ह्वे असल कुशल अपणा बाल गोपाल दगड़ सेर मा छ।

      मसाण दगड़ फौंदर्यें लोक कान्यां हमारी बी अपण बुढयों मा भौत सूणिन पर बीसवीं शताब्दी मा यना साक्छात नि सुणिन। अज्यों तलक बी यूं मसाणें कान्यूं से रात बे रात गौं मा दूर तलक यकुलू जाण त दूर  अपणा कुलांण पिसाब जाण बी डौरद लोग। 

      यीं घटने बात बात अस्सी दशक मा सन सत्तासी अठासी बीचे ह्वली, अर सात पीढ़ी बूटे बात क्या छ त सूणा।

      चमोली जिला घाट बिलोक पट्टी मल्ला दशोली मा कठैतों परसिद्ध गौं च कांडई। गौं कु इतियास बतौंन्दू कि वा गौं सतरहवीं शताब्दी मा सत्तर अर बहत्तर सिंग द्वी भै कठैतों संतति छ। वीं जमाना मा कै बुढया सत्तर अर बहत्तर साल मा द्वी नोना ह्वेन त वोंकु नौ सत्तर सिंग अर बत्तर सिंग धर्यें ग्ये, वूं का दुसरा या तीसरा पीढ़ी मा बगत्वार सिंह कठैत ह्वेन। सैरु गौं तौंकि जागीर छै, बगत्वार सिंह भौत बड़ू भड़ बादुर, हिम्मत वळू छै, गौं मा बगत्वार सिंगे धक्का धूम छै, कठैत जी जमीन जैजाद बटिन गाजी-पाती धन मा सम्पन छाँ। दगड मा तौं कु पुस्तेनी घट म्वळा गदरा मा छयो, खैर घट आज बी छ पर अब बीसेक साल बटि बांजा पड़ग्यों।

      बल, एक दिन बगत्वार सिंह कठैत आद्दा राति घट बटिन छै घौर औंणु। घट बटिन घौरे दूरी लगभग छयेक मील, पर सैंणु ना, लादो अर उकाळ।

बटापुन उन त बिसौण्यां कखि बी ह्वे सकदू पीठा भारा हिसाब से, पर कुछ चुण्यां बिसौण्यां यन होन्दन बाटापुन जखमु आदिम ना चै किन बी थौ ल्येन्दू। इनि एक बिसौण्यां छै भीमसणें मुंगेर (मुंगरु), भीमसणें मुंगेर नौ कन पड़ी ह्वलु साफ नि छ पर लोकोक्ती बतौंदी कि बल कै जमाना मा गौं पंडौं नाचणा छां, बौण बटि स्लेळ पाती दिन भिमसणा डंकरिन बड़ू डांग फोड़ी यखमु बिसौण्यां बणाई। तब तैकु नो भिमसणें मुंगेर पड़िन। 

      वे दिन राति मा जब बगत्वार सिंह कठैत भग्वाड़ी स्वलटु ल्ये घट बटि घौर औणु छै त व्यौहार से भिमसणें मुंगरा मा थौ बिसाणु लगिन, जनि तमाखु चिलम सुलगाणु बैठी तनि एक जगस ऐन अर तमाखु मांगण लगि। कठैतन बोली तु क्वो च बे ? वेन बोली मि यीं बणों मालिक छौं, बुढ़या पर साक्षात भिमसण परकट ह्वेन खुट्टा बटिन निरखालिस चमड़ा बुटन मसाणों जुत्तम जुत्ते।

      भाज साले जगस यख बटिन यु गौं मेरु खानदानी च तु मसाण कख बटि यखो मालिक ह्वायु, हमरी यीं धर्ती मा अब खुट न धर्यां। तब मसाणल बोली कबैर तलक, त बुढ्यान ब्वली सात पीढ़ी तक। बुढयान बोली मि कन करि मानों कि तु यख बटिन चलग्यों, त मसाणल बोली तुम द्यखदा रावा जब मि पार चनग्याळा डाना पौंछलु त रगड़ू पड़ण जनु गिगड़ाट कर्लो त समझ्यां मि तख पौंछिग्यों। ठिक अद्दा घड़ी बाद पार चनग्याळा डाना पैर पढ़णु जन गिगड़ाट ह्वेन, बुढ्या निसफिकर ह्वै चिलम खीसा धरी स्वलटी उठैन अर चलग्यों घौरे तर्फां।

वीं बगत्वार कठैते आठवीं पीढ़ी संतान परलाद दगड़ वा मसाण अपणु बदला ल्येणु ते दिन उलझी छै अर वीं जुत्ते फर्मेस छै कनु जै बदिन बगत्वारन वा डंगड्यायूं  छै।

नोट- बगत्वार सिंग काल्पनिक नो का अलौ पूरी कानी सत्य घटना पर छ।

कानीकार : बलबीर सिंह राणा ‘अडिग’, मटई ग्वाड़ चमोली।  


 

Friday 16 October 2020

नौ शक्ति रूप वळी माता

 


दिव्य स्वरूप कु दर्शन दे जा, 

सकल चराचर हे जग माता।

नौ शक्ति रूप वळी मेरी माता, 

तेरा द्वार अयूँ तेरु पुत्र माता। 


कंयरी धै भगतों की  सुणी

चट परगट ह्वे जांदी।

हे जगदम्बा, हे महामाया, 

कष्ट निवारणी बणि आंदी।

नो दिन नोरतों मा माता 

तेरा नो कु गुण गांदा माता

दिव्य स्वरूप कु दर्शन ........


ऊंचा हिंवाला जलम ल्येनी, 

दर्शन शैल पुत्री कु ह्वेनी।

शैलपुत्री रूप पै किन

भगत तेरा धन-धान्य ह्वेनि। 

पैला दिनु कु न्यूज पूज 

तेरा चरणों मा अर्पित माता

दिव्य स्वरूप कु .......


दूजो रूप ब्रह्मचारिणी कु

सत-स्वभौ धर्ती मा लांदी।

चंद्रघंटा कु तीजा रूप से,

पाप-ताप मुक्ति ह्वे जांदी।

क्वांसी छै तू दयावंती माता

भगतों कु दुख हरणी वळी माता

दिव्य स्वरूप कु .......


असम्भौ बी संभौ ह्वे जांद, 

जख तेरा चरण पड़ी जांदा।

माँ को कुष्मांडा रूप देखी 

भय-शोक सब भाजी जांदा।।

ज्यू से जु तेरा थान मा आन्दू

सदान्यूँ तैं भै मुक्त ह्वे जांन्दू माता

दिव्य स्वरूप कु .......


धवल वस्त्र कमल आसन च

स्कंदमाता कु दमकदु रूप 

नखरी चित वृति हरची जांद 

देखदा जब माँ कु दिव्य स्वरूप ।।

अरिष्ट गरिष्ठ छू मंतर होंदा

पांचवा रूप तेरा देखी माता

दिव्य स्वरूप कु ........


मन इच्चा फल देणा खातिर, 

माँ कात्यानी बणि आंदी

सातूं रुप महाकाली बणि कि

दुष्टों कु विणाश करि जांदी।

धर्ती पर मन्ख्यात बचान्दी

पापियों कु हा हाकार मचांदी माता

दिव्य स्वरूप कु दर्शन ......


महागौरी का आठवां रूप मा,

भगतों कि कोळी भौरी जांदी ।

नवां रूप सिद्धिदात्री सिद्ध ह्वेकी, 

रिद्धि सिद्धि भंडार ध्ये जांदी ।

धन धान्य फूल पाती ज्यूंद्याल

आशीष तेरु हम पांदा माता। 

दिव्य स्वरूप कु दर्शन.....


शुभ आशीष रख्यां हे परमेश्वरी, 

रख्यां कृपा भगवती कृपाश्वरी ।

हथ जोड़ी अड़िग की विनती, 

जग सद्बुद्धि दियाँ माता माहेश्वरी।।

दिव्य स्वरूप कु दर्शन ......


रचना - बलबीर सिंह राणा अड़िग 

लोक कथा 'रोटी सत'

 

    


     कुसुमेंऽ यकुली गिरस्थी यकुलो पराण, बारा साल मा ही बिवयीं ग्ये छै, बाळापनो चकच्याट सासू हणका मुड़ी दब्येन, छौपती अर बट्टा जागा कुटळी अर दांथिन ल्येन। मैत मा एक सुंगरें जन ग्वोठ, भै बेणियां मिली पूरा दस छाँ। बाबा सनक्वळी गंगा नयेंण बैठग्यों। नोनी ठ्य्या मा जीण-जिवोर से लेकर कळदार तक खैन बल।

    बाळापन जनि सर्रपट लौंचि ज्वानी मा ऐन जवैं बादर सिहं तैं सोला साल मा ही अंग्रजोन पकड़ी फौज मा भर्ती कर्याली छै अर ठेट सात समुदर पार जर्मनी लडै मा भ्येजिन। ज्वानी रौंसे जगा बिरह बेदना मुंड सवार ह्वेग्ये छै। सै-ससुर बी सनक्वळी वीं जमाने मामारी खाब चलग्यां। अब घौर मा कुसमा अर वीं का गौरु भैंस।

    सती सावित्री से लेकर रामी बौराणी तक हमारा सनातनी धर्म मा नारी सत सदानी मुकुट मा रैन। बादर सिगें असल कुशल रंत रैबार मथि नीली छतरी वाळा भरोसु छै। वींन कैमा सुणी छै कि वा अंग्रेज भारता फौज्यों तैं पुटुग भौरीं खाणु नि देन्दा अर घौर मा कुठार उन्द नाज छै सड़णु।

    पति खातिर वा डेली चुलाणे पैली रोटी भैर छाजा रैन्दी छै धरणी कि हे परभो मेरु सत ह्वलो त यीं रव्टी मेरा बादर मा पौंछे दियां, अर रव्टी तैं एक कागा उठै लि जन्दो छै। दगड़ मा अपणा ड्वार अयां कै बी जी नमाण तैं बिगैर गाळु द्ये नि जाण देन्दी छै, “रोटी सत परमो धर्मः”

    दिन मास अर साल बित्यां, प्रथम विश्व युद्ध निमणीग्यों, लोगुं मा सूणि कि हमारा फौजी वापिस अपणा देश लौटण बैठग्ये। आसा अब उतळी होण लगिन। एक दिन तैकु फौजी शाम दां रवटी बणोण टेम कड़म कड़म चौक मा पौंछीग्यों। द्वीयां साखीं लगिन आँख्यूं मा खुशी गंगा जमुनों छळछळाट।

    तब्बी कुसमा तैं याद ऐन कि चुलणा पैली रवटी फुक्की ह्वली वा झट भिरत गेन, पर तबारी तलक वा रवटी अद्दा जलिग्ये छै। भैर आई अर रुआंसी ह्वेगी, बादरन बोली अब किलै छै पितराणी। तैन ब्वली आज अन्यो ह्वेगी मेरी पैली रवटी फुकीग्ये। बादरन बोली क्या ह्वे त दुसरी बणि जाली, कुसुमन बोली बात दुसरी रवटी नि च, अर वींन पूरी बिदागत बादर मा लगेन।

    बादर कखि ख्वै ग्यों जनि तन्द्रा टूटी वा कुसमा खुट्टा मा झुकिनं, कुसुमऽन बोली इन क्या कना ?  फिर बादरन बी अपणी बिदागत लगेन कि जबारी वा लाम मा दुश्मने गोली सामणी लड़णु छै इनि एक रवटी जन मेरा अग्ने लगि जान्दी छै अर दुश्मने गोली तेऽ फर टकरान्दी छै। हे देबी आज फिर एक हौर सति सावित्रिन अपणा पति ज्यान बचैन।

@ बलबीर राणा अडिग

16 Oct 2020

www.udankaar.blogspot.com 

Saturday 10 October 2020

'छवटा गिच्चे बड़ी बात"




       नेता जी अपणा  दलबल दगड़ मध्यवर्ती चुनो प्रचार मा जामणी गौं जाणा छै, जनि दलबल गौं से पैली गदना छाला पौंछि त अपणा पेड़ मीडिया दगड़ शूटिंग अर बाइट देंण लगिन। 

रिपोर्टरन ब्वली नेता जी यीं गदनो पुल अर जामणी गौं विकासा बाबत आपक पार्टी क्या मेंडेट च ?

 नेता,  मि अपणा जामणी भै बेणियों कष्ट मा सरीक छौं,  मि वैदा कर्दू यीं चुनो मा हमारी पार्टी जीती त जामणीवाला तैं सेर बणें द्यूला ।

     तबारी जामणी गौं कि एक नोनी स्कूलों बस्ता पीठ धरि  गदना मा लग्यूँ लखड़ा जंगार मा बड़ी कॉन्फिडेंस से इस्कोल छैं औणी। सब्योंन नोनी कॉन्फिडेंस देखी, चट कवगरुड़ जन चिपटयां फोटो खिंचण पर। अरे !! देखा ...देखा, यु च हमारा पाड़ै नोनी हिम्मत। जनि नोनी वळा छाला पौंछि नेताजिन चम्म नोनी कोळी डाळी, सब्बी कैमरा नेता तर्फां। 

नेता जी, बेटी अब अग्ने त्वींतैं इनि रिस्क ल्ये इस्कोल नि औण पडलू, मि यख बड्या पुल अर सड़क बणें द्योला। 

नोनी दे बड़ी स्याणी निकळी, अंकल, प्रधाना चुनो मा भी त तुमुन इनि सेल्फी ल्ये वैदा करिन पर !! चुनो बाद तुम तिमला फूल बणग्याँ। अर मथि बटिन वा तुमारू परधान हमारा लैट्रिना पैंसा जुदे खैन बल। 

"छवटा गिच्चे बड़ी बात" सुणि सब हकदक !!!! नेतान झट नोनी भुयाँ धरिन अर कैमरा वळा तैं बोली बंद करा तैं कैमरा सेमरा। पर,,, तबारी तलक जु रिकॉर्ड होंण छै वा ह्वेगी छै।  विरोधी पार्टी कुछ जासूसोन वीं रिकीर्डिंग तैं वैरल करि अर नेता भारी वोटों से सीं चुनो हारिन। 

@ बलबीर राणा 'अड़िग'

गजल

चक्कचकार, चिफळा, कि ऐना बणि जांदा
खुसफुस कंदुड़ा भौरीं, मातबर बणि जांदा।

पिछने बे घचाक मारी उकसाणा रैन्दा जु
लठम लठै होंण पर कौथिगैर बणि जांदा।

फिलिंग मा घस्येड़ू डाळी, बणाग लगाण वळा
पैली बल्टी उठै, अग्निशमन कर्मी बणि जांदा।

अफूं पर बात ना ओन, न क्वी  बास चितौ।
फुस्स पातण वळा, पैली गळदेर बणि जांदा।

घुंडा घुंडा फुक्ये जांदा, पर किराण नि चितांद
वा हैकें आड़ा-मूड़ी करि, ठंगठंगा बणि जांदा।

कख पौंछी, पौंछण चांद कैतें पता नि अड़िग
वीं दिन पता चल्दू जब वा नेता बणि जांदा। 

@ बलबीर राणा 'अड़िग'