Search This Blog

Friday 21 August 2015

शकुनी कु बुबा


सियासत कु नशा अर कुर्सी कु मोह
नि पछयाण्दु घास नि पछ्याण्दु म्वोल्
रिश्तों का खुट्टा तोड़ी लंगडू बणे देन्दु
कुटमदारी कु ब्बी झोलम-झोल।

भूख भिज्यां अर तीस भौत
लता-पता पुटुग घळचम-घोळ
निर्मुख-बेढंग बड़ा लदुड़ो कु वा मनखी
चिफ्ली बोली हाथ जोड़ी घपरोळ।

एक घर्या द्वी घर्या सोत मा सोत
पापड कु पाणी ढळकम-ढोल
झुटु-लम्पट गलदार नंबर एक कु
शकुनी कु बुबा एक कु स्वोल।

रचना:- बलबीर राणा 'अडिग'

Tuesday 18 August 2015

रिमिक्स हिंग्लिस मा गोत्राचार


खोला-चौक स्वांपट सवार
ठंग्रा बिगैर लग्लु लाचार
कुर्चणा छां आंदा-जांदा
पिछने मुड़ी द्येखा एक बार।   

कत्गा कयांरू कत्गा रैबार
आँखियों चौमासी बरखेक धार
भग्यान ह्वे निर्भागी बंण्यु मी
ह्वेग्यां यख सब निर्चट-बलार।

गुणी-बांदर हल्या सैणा-सैंचार
लंपसार प्लास्टिक थैलाक थ्वकदार
रड्यां सुलारक मालदार कबतलक
रिमिक्स हिंग्लिस मा गोत्राचार।

रचना-: बलबीर राणा 'अडिग'