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Saturday 26 February 2022

कानी : बिदै







   ओके पा, अच्छे से जयो और पौंछते ही कॉल कर लियो, अंकितन मेरु बैग सीटा तौळ कच्ये दे अर ट्रेन बटिन सट् भैर निकळ गे। मिन बि ओके बेटा बोलि अर ट्रेने खिड़की ख्वोलिन कि अंकित भैर प्लेटफारम बटि हौर क्वी छुंवी-बत कर्लू या टाटा बाय बाय उगैरा उगैरा। अपणु हौर समान समाळणा बजै मि अंकितै जग्वाळ कन लग्यूँ रो पर अंकितौ कखी क्वी अत्ता पत्ता नि छौ, सैद वु प्लेटफारम सि भैर निकळ गे छै। तैन जान्दि दौं सेवा-सौंळी त दूरै बात मेरि तर्फां मुख तक नि फर्के। बाय टाटा गयु बिलैत। सैद अजक्याळे औलाद बाल बच्चा वळा होंण सि बुबा से बि बड़ा ह्वे जान्दन म्येल्यौ।

            कुछैक मिनट बाद ट्रेनल लम्बू हौरन द्येनी अर छुक-छुक, छक-छक कैरि अग्ने सर्काेण लगिन। मिन बि अपणु हौर समान भलि कि समाळी अर वूँ फर चैन लगैकि पसरग्यूँ सीट फर। ट्रेनल अब रफ्तार भर्याली छै सरपट, गचड़-गचड़, गड़म-गड़म, भड़म-भड़म। मि मथि वळि सीटाऽक कांकर देखी सुमिरण कन लग्यूँ कि आज यु बि एक बिदै च जब अपण्वी एक नजर पिच्छवाड़ी नि देखणू अर एक दिन वा बिदै बी छै जब कतिगा नजर गौं कि धार बटिन आठ किलो मीटर दूर मुड़ी गिरी बैंड तलक मेरा गाड़ी मा नि बैठण तलक देखदा रौंदा छया। हे रां ! समै कख उड़ि जांद। अब बानि-बानी बिदै सीन मेरा समणी औण लगिन।

            मि सुबेदार मेजर आर्डनरी कैप्टेन पदम सिंग पंवार फौज बटि रिटैर होणा ठिक चौदा मैना बाद आज फिर हैकी नौकरी वास्ता डीएससी (डिफेन्स सेक्यूरिटी कौर) ज्वैन कन छौं जाणू, डीएससी सेन्टर कन्नूर केरला। बत्तीस साल फौजे नौकरी सकुशल पूरा कना बाद इनि नौबत ऐ कि मि बावन साले यीं उमर मा फेर वीं इनि सिक्यूरिटी वाळि नौकरी पर जाणू छौं जैन देशै सिक्यूरिटी करिन। चलौ छयेक साल ही सै गिरस्ती कुछ हौर टिम-टाम यने चलणु रौ, निथर पिंशन का भरोसा जुगति जम्पण मुश्किल च यीे सुविधाभोगी बजारवादी चर्या मा।

            बुबा पंचम सिंग पंवार ज्वानी मा कुछैक साल जोशीमठ फौजा दगड़ पोर्टर गिरी मा रैन बल। कुछैक साल जंगलाता मुंशी। चिपको अंदोनल का बाद जब जंगळौं कटान बंद ह्वेन त तौंकि नौकरी छुटिन फिर दगड़या अपणा यी घौर मु हौळ तांगल फर लगिन। ब्वै संगरामी चौं तर्फां नजर रखण वळि गुस्याण, गिरस्ती चरक-फरक। वींका पस्यो परताप हम द्वी भै अर तीन बेणयूँन धीती अन्न लदौड़ी भरिन अर छप्पी-छप्पी लगै दूध-दै प्येनि छै।

            ट्रेने छकम-छकै रफ्तार दगड़ मेरि सुमिरणे रफ्तारन बि गति पकड़िन। आज बस बिदै का सीन चलणा छै आँख्यूँ का पर्दा फर। चलती कु नौ गाड़ी च साब निथर खटारु। समै का समाचार समै फर कन समै जान्दन देखणु छौं।  

            तै जमाना मा हमारा ग्वाड़ गौं मा बिजली पाणि कुछ नि छौ, खैर पाणि त छैं छौ मथि वळौ छक्की दियूँ पर तै पाणि से उपजिं लेट नि छै। हमरु ग्वाड़ गौं निसा गंगाड गंगछाला रोड़ सैट से ठिक आठ किलोमिटर मथि पंचूनी डाना ग्यदा (जड़) फर बस्यूं छ। बाटू इनु कि चढ़चढ़ी उकाळ, मुड़ि बटिन उब नजर उठाउन त मुंडे ट्वपली सर्की पिछने ऐ जौं। बल गंगाड़ियों तैं हमारु मुलुक, मैल्या मुलुक छौ। तै समै बिदै कु सीन इनु छौ।

            छुट्टी पूरा होणें दिने ब्याळे बात छै, हे माँ ! मि थैं सुबेर तीन बजि उठै दियां ले। ग्वळथा (कंणकै बाड़ी) थकुला चाटणा बाद मिन ब्वै तैं ब्वोली।

ठिक च बाबा। उनि त मिमा क्वी घड़ी नि, ना मि तैं टैम देखणू आंद पर तू चिंता ना कैर, त्वेतैं द्वी बजि उठै द्यूलु। पर ! बाबा इन बतौं कि त्वेन आज कम किलै खायी रे  ?

ना माँ ना, कम कख खै मिन। थकुला भौरिं छाळा घ्यू दगड़ ग्वळथ्या, दुध-भात अलग, नौण, धै, दाळ अर भुजी सब्बी घर्चम-घुर्चें ह्वेगि आज। लदौड़ाउन्द ठंडू गरम सब्बी रळौ-मळौ ह्वगि। इन ना ह्वो कि भ्वोळा गाड़ी मा एक सर्का-बर्की होणी  रौ, तब डरेबर अर यात्रियून बि मेरी खूब पुज्ये कन बाटा पुन, बेज्जती अलग। देख मेरु लदौडू़ कति बड़ौ कर्याली त्वेन यूँ छुट्टयूँ मा। अब औबर वेटै परेड लगौण वाळि च तेरा नोना कि फौज मा। अर मि हैंसण लगिन।

क्या ह्वो रे वा औबर वेटै परेड ?

अरे माँ फौज मा जौंकु वजन जादा होन्द त वूँ को वजन कम कना वास्ता अलग घस्सा परेड होंदी। अब तू यी बोल बड़ा-बड़ा लदौड़ा वळौन कने चढ़ण तै करगिल द्रासै चुळख्यों मा। जब देशा ज्वान यी फिट नि राला त लड़ ग्येन वु दुश्मन दगड़। मिन एक साँस मा ब्वै तैं औबर वेटौ छुवीं बिगेंन।

ठिक च बा, मि तब्बि त ब्वनी कि खयूँ पियूं रलू त तै बोर्डर पर दुश्मनों दगड़ लड़ण मा जर्रा सक्या ज्यान रैली। ऐरां बाबा मर्युं यीं सरकारौ बि, ज्वा अपणा सिपैयूँ तैं भल-बुरु नि खवै सकणा छा। कति कमजोर ह्वेकि अयूँ छौ तू तबारि।

            ना माँ यनु नि, फौज मा खाण पीणें क्वै कमि नि, फिट फौर रौणा वास्ता पतळू शरील ठिक रैंदू। कै जमाना रै ह्वलि कमि पर अब छक मिल्दू। अब त्वई बोल वु काजू-बदाम, चौकलेट, चीज अर बटर म्यारा खरिद्याँ थौड़ि छा जु मेरा लयाँ छा। यु सोब मेरा खाणा बाद मेरा हिस्सा बच्याँ फरुट छया। म्यारा हौर दगड़या बि यने कर्दा, कुछ अफूँ खांद कुछ घौरौ बचै कि रखदा, अरे माँ घौर-परिवार माया-ममता सब्यूँ साँखि बंधी रैन। पर माँ कमति त नि च पर तेरा हाथै जन रस्याण कख मिल्दो फौजे उल्टा तवै रोटयों मा। 

कन उल्टा तवा रै ?

माँ बड़ी रस्वै बड़ौ तव्वा इस्तमाल होंद तै बड़ा तव्वा मा एक घाण मा जादा र्वटि बीच मा कट्ठा ना हो इलै वेका बिच मा गैरु ना उच्चौ दमदमों बणयूँ रैंद। इलै छव्टा तव्वा हभ्यास हम तैं तैं उल्टू तव्वा बोलदा। माँजि मुल्ल हैंसि, अर हूँ म्यारा ठिक च बोलि भाना-कूनी समाळण बैठिन।

माँ न बोली जा बा तु टेम पर स्यै जा, सुबेर तेरु बुबा उठै द्यूला त्वै तैं। 

            अरे तुम सुण्णा छाँ म्यारा पदमुन फजल सात बजि ऋषीकेशै रुगलर पकड़ण। मेरु लड़ीक अबैर नि ह्वयूँ चैद, तुम सुणणा छै कि ना ? हे भगवान ! यनेर वा चिलम जुगराज रयाँ, एक गिचू फर लगयूँ रैंद वा गुगड़ाट, अर तब च निर्भगी बुढ़या खप्प-खप्प कनु सरी रात। मेरि बि नि स्येण करीं रैंद। गिरस्ती भितरौ काम तुम बैखौं तर्फां बटिन जुकापट हुयूँ रैंद। कन निर्जड अजाण ह्वे जान्द। वा द्वी सीं होळ, एक लखड़ू गिंडकों अर द्वी चार ढुंगा डौळी पगार-सगार गाळ ना जयाँ। माँ न अपणु बरड़ाट सुरु कर्याली छौ, जन कि वा बाबा दगड़ हमेसै कर्दी छै। 

            बाब भैर खौळे दानेण मा गरुड़ जन बैठयूँ चिलम फर छै चिपक्यूँ, गड़गड़, गुड़गुड़, आऽऽ खम्म, आऽऽ खम्म खम्म। एक सौड़ मा तीन बार खाँसी, तौं कु सदानी ढब ह्वैगे छौ।

            बाबऽल खाँसद-खाँसदा जबाब दिनी। खर्ररऽऽ खम्म खम्म। चुप रौ रांड एक बबड़ाट रैंदू तेरु बि। अरे सब पता च मी। तुम जानिन्यू बि ऐकि तड़ी रैन्दी कि गिरस्ती मि से ही चलणी छै। अरे भैरऽक कामा परताप त तुम सुखिलौ तुखिलौ देखणा छ। निथर, लत्ता-कपड़ा, चा-चीनी लूण-तमळ तेरु बुबा छ ल्योणु यख। ह्वैगी छै द्वियूँ मा डिबैट सुरु। तब मि स्वचणू छौ कि यूँन अपणा ज्वानी का दिन कन काटी ह्वाला इनि रिबड़ण मा। पर आज याद आणू जब अंकितै ब्वैन साल भर बि घौर मु पूठौ नि टिकोंण दिनी। ज्वानि का मायादार घुघता-घुघूति बुढ़ापा मा स्यंटुला बणि जांद अब पता चलणु। हे रे समै। पर एक बात हौर च बूढ़-बुढ्या बुढ़ापा मा रिबड़ण त रैंदा पर तौंकि  माये ड्वोर पक्की रैंदी साब।  

            तब बाबा न भैर खौळ मा बे मैं धै लगैस्ये जा रे पदमू। अब रातभर ब्वारी ना सुण्यां। द्वी मैेना बटिन छक सुण्याली ह्वलु त्वेन। नौकरी पर त्वेन जाण मिन ना। इलै पैली अफूं त्यार ह्वै। उन मि अलारम लगै द्यूला। चिंता नि कैर सुबैर द्वी माबुत टौर्च जलै टेम फर निकळी जौला। वन तेरु काक बि बौन्नू छौ कि मि बी औलू भ्वोळ लौडु़ छवड़णो।  

            ठिक च बा मि स्यूणु छौ, अर मि मथि डंडयाळी मा चलग्यूँ। मिन पैली अपणी अटैची बेग अर जरुरी डोक्यूमेन्ट आई कारड, छुट्टी कु पर्चा, रैलो वारंट सब पाँजी-पूँजी अर चरपै मा पसरग्यूं। ब्वारी सरिता अब्बी सब्यूँक खाणा बाद भांडा छै मज्याणी। मि तौं भाडों खमणाट बंद होणु जग्वाळ छौ कनु। 

            भैर भांडा मज्याणें खमणाट बन्द ह्वेन। भितर चर्रररऽ च्यूँच्याट करि खौळी डवार ढकैणेे च्यूँच्याट सुणै। सरिता साड़ी पल्लू फर हाथ फुंजद-फुंजदं डंडयाळि मा पौंछि। सरिता न संास बि नि टेकि छै कि मिन वा सट्ट अपणा तर्फां खैंचिन पर यु क्या ? लम्फू उज्याळा मा सीं कि रौंत्यळी मुखड़ी झमरईं दिखेणी छै अर आँखि टबळांदी। मिन जनि बोलि- किलै छै यार यति क्वांसी होणि ? तऩि सरिताक आँखा बिटि सौण भादो बरखण लेगि। अरे लाटी किलै छै तू तति रुणाट लगाणी, बस छः मैने बात च, फिर हाजिर ह्वै जैलू अपणी सरिता मु। ल्ये यु एक हजार च तेरु खर्चा पाणी। खौळा-मैळों मा अफूं तै चूड़ी-मुंदड़ी ल्ये लियंां। घौरा खर्चा वास्ता एक हजार रुप्या माँऽ नौ पे मावारी औणी लगीं।  कब्बी अड़चन आली त मांग लियां। उन बि वा पारिवार उणि कमती नि कर्दी। माँजी कि चुम्वड़ आदत नी, त्वैल दिख्यैल ह्वोल यति सालु मा। कन-कन जतना बाद वे रात बारा बजे तक सरितौ रुणाट बथ्यै सक्यूं मि। अरे लाटी चिठठी पत्री बरोबर भ्यजणु रौलू, तू बी बरोबर चिठ्ठयूँ मा अपणु माया उमाळ खतणी रै। छुट्टी कि आखिर रातों मिलन कनु स्वाणु या रुवाणु होन्दू परदेश जाण वळा ही जाणदन।    

            सुबेर ठिक तीन बजे बाबन मुड़ी उबरा बटिन लखड़ै बदिन आथरु बजैन, डम डम, ढड़म्मऽऽ। हे उठौ।, ऐ पदमू उठ, चल ह्वेगि टेम। हमारि घनघौर आँखि छै लगीं तबारी फर क्या करदू कसऽम् खîयाँ छै बेटा जाण पड़लौ। दिसा मैदान अर त्यार होण मा अद्दा पौण घंटा लगिन, तबारी सरितान रातै भुजि अर चा मा चार सौदी र्वटी बि परोसिन। खाणौ ज्यू त नि छौ तति फजल पर पिरेमा अग्ने भूख तैं बी गर्ज खै औण पड़ी।

             बाबान द्यू धुपाणु करिन, अर पिठैं थकुलुन्द गुड़ तिल ल्ये पैली खौळी गणेश फिर मैं फर पिठैं लगेन। ब्वै एक हिंकरा-फिंकर, नाकै बदिन सुड़क-साड़क कर्दी समझाणी छै अँध्यारा मा। उनि मुन्याणें बदिन आँखा अर नाक पूजणी छै। म्यार पदमू, बाबा दगड़यों दगड़ मिली जुलि रयाँ, कै दगड़ छिंज्याट रिबड़ाट नि कर्यां, जमानु भौत खराब लगिग्ये। चुप रयाँ जादा अगल्यारा ना ह्वयां, जादा अगल्यारा ह्वै कब्बि नुकसान बि हून्द। हे भुम्याळ द्यबता, हे पितरों म्यार लाटै रक्छा पाळ कर्यां बौर्डर फर, अर ब्वै डाड मन लगि छै। दगड़ मा छ्वटी भुलि नन्दी, बिंदी, कांता बि सक्स्याण लग्याँ छा। इथगा मा मल्ला कूड़ा बटि बौडा बौडी अर बड़ा भैजी अर पल्या खौळ बटि काका काकी बि अपणी समूण ल्येकि पौंछी गेन।

            काकन चम्म अटैची उठेन भैजिन बेग अर बाबा टौर्च ल्यैै उन्दा बाटा लगिन। मेरा पिछने सैरु परिवार मील भर मुड़ी बामणी गौं धार तक ऐन। काकी बौ़डी, बौजी, दीदी, भुला-भुली। तळया ख्वाळै बामणि बौ अर दादी जौंकु सत गौं का सब्बी औण जाणदरों सत्कार कन नि बिसरदा छै, वा बि बिदै मा सामिल ह्वेग्याँ। मुड़ी बामणी गौं धार मा सब्यूँ तैं सेवा लगैन गौळ भिटवाळी करि अर द्वी, पाँच अर दस जतिगो बि नोट हाथ मा ऐन वतिगा तौं हाथों मा धरिन। सब्बी रुंवासा ह्वे ना ना कना छै फर आखिर मुठ्ठी बोटी देंदा छा। हुर्रमुर उज्यळों ह्वेगी छै, पौन पंछी बि च्यूँच्याट करि मितैं बिदै देणा छा कि रै दगड़या कुशल रयां तौं बोर्डरों फर।

            इनि बिदै दिन छ्वटा नोना, ब्वै, काकी बौड़ी अर सरिता ठिक ढै तीन घंटा तलक तै बामणी गौंकि धार मा बैठ्यां रैंदा छा जबारि तलक मि बस मा नि बैठदू। ये कु पता सरिता कि चिठ्ठी मा चल्दू छै कि फलाणा दिन बस रुकणा बाद नन्दी अर मिन मुंडौ मुन्याणु बि हिलै छै तुमुल देखी कि ना ? मि ल्यखदू अरे लाटी तति दूर बटि कख दिखेन्दू तेरु मुन्याणु। काका अर बुबा बस मा समान चढै़ भिटवाळी लगांदा छै अर मि रुवाँसु वूँका खुट्टा बानी बस का भितर चली जान्दू छौ। ठिक द्वी किलो मीटर जखमु तलक अपणा गौं की धार नजर आंदी छै मेरी नजर तखि लगि रैंदी। अपणा पंचूनी डांडा फर गौं कि धार फर। अपणों कि मुखड़ी आँख्यू मा रिंगदी रैंदी। ठिक करणपरयाग तलक कंठ भर्यू रैंदू अर आँखि टबळाणी रैंदी। कन्डक्टर बि कर्णप्रयागा बादी किराया मांगदू छौ, सैद ते तैं बि पता रैंदो छै कि या फौजी छ। यि भैर बटि जत्गा कड़कड़ा दिखेंदा भितर बटिन उत्गा कौंळा क्वासाँ हूँदा। सात समोदर पार च जाणू ब्वै जाज मा जौला कि ना़़। जन क्वांसा गीतै रचना इनी कै फौजी भै करि बल।

            ठिक बारा पन्द्रा साल तलक जबारी तक मि गौं बटि डेरु डम्फरा ल्ये मुड़ी सैर नि आई इनि बिदै होणी रैन्दी छै। कनु प्यार पिरेम अपणुपन छौ तबारी गौं मा। द्वी मैने छुट्टयों मा कम सि कम बीसेक दिन त भैर गौं ख्वाळा मा यी होन्दु छै खाणु कू। आज एका घौर भवोळ हैका क। प्यार पिरेम दुआरी प्रक्रिया च साब। जति इनपुट तति आउटपुट। तबारी फौजी जब छुट्टी आंदा छाँ त किटबैग भौरीं लैंची चणा अर खट्टे मिठै ल्यैकि औंदा छा। तब सर्रा गौं मा प्येणू बटेन्दू छौ कि फलाण छुट्टी अयूं। अर बैख नमाण तुर्की तार्की चखदा छै फौजी रमैंकि।  

ईं देख-देखी मि बी सर्की ग्यूँ सेर मा ठुल अदिम दिख्योणा खातिर, अब सैरुं बिदै तर्फां भुलाराम।

            बाल बच्चा अयांणा सयांणा ह्वेन त झवळा तुमड़ी सैरा किराया कमरा मा सजण लगिन। तब सरिता, अर नौन्याळ बस टंपू स्टेंड तक आंदा छा छौड़णूू, अब सरितै आँखि टबळांदी नि छै फर मुख जर्रा कुमळयूं रैंदू। बच्चा बाय पा जल्दी आना ब्वोली, बस जाण तलक हथ हिलांदा छा। मुबैल औण सि पैली मैना मा चार चिठ्ठी औन्दी छै सरिता कि, जै मा बच्चों स्कूल, पास पाड़ोस वळूं हलण चळण, देश दुन्यां समाचार अर देरादून, रुड़की मा जमीना रैट, कै पल्टना कै भैजिन कख मकान बणैन। फलाण दीदी, फलाण भुली, फलाण जगा सिप्ट ह्वेगि वगैरा वगैरा। जबैर बटि मुबैल ऐन तब सरिता गाड़ी मा बैठणा हर द्वी तीन घंटा मा फोन कर्दी कि, अजी कख तलक पौंछया, टरेन मा बल्द बेची सियाँ ना, कै कू हाथक खै प्यै ना। तुम अजाण फौजी जैर खुरानी सिकार जादा होणा रौंदा अजक्याल।

            होन्द कर्दा एक दिन मि बी बणग्यूँ पाँच बिस्वा कु सौकार, मकान मालिक। पदम सिंह राँझावाला कु बासन ह्वेगी। अब नोना बाळा ढब-ढब्बा ह्वेग् यां छा अर वा अपणी स्कूटी मोटर सैकिल मा स्टेशन छौड़दा छा। सरिता जी मकाना गेट परी हथ खड़ू कैरी बाय कर्दी। नोना बैग अटैची रेल या बस मा चढै गोळा भिटौली कर्दा छा, अर खुट्टा बानी सेवा लगान्दा छै। इनि बिदै पोरौं साल रिटेर औण तलक रैन भुला।

            फौज मा जीडी सिपै भर्ती होणा बाद फौजे चाल कमति समै मा बिंगी ग्यै छौ, भुलाराम रंडमुड त हमारा पाड़न बाळापन बटिन बणेंयूँ छौ पर फौजक डिसीप्लीन अर तौर तरिकन हौरी मजबूति दिनी। मन-ज्यू से सेवा करिन। समै समै फर परमोशन तरक्की होणें रैन। हिगंत्यार सि नौकरी कना परताप आज फौज क आखरी पद रैंक तलक पौंछिन। बत्तीस साल इनि चितायी कि जन ब्याळी बात ह्वो। अब एक हैकि किसमें बिदै सूण ब्यटाराम। जु आम सिविलियने नि होंन्दी।

            भुला अर ब्यटा यीं टरैन मा क्वै नि छाया सब्बी सैयात्री अपच्छयाण छै, मि अफूँ मा भुला बि छौ अर ब्यटा बी अर बिदागत लगाण वळो बिदागती। 

            रिटैर औणा द्वी हप्ता पैली पल्टन मा एसएम साब क सामानै पैकिंग सुरु ह्वेगि छै, सेवादार बड्डी पूरो जिम्मेदार। साब फलाणा सामान फलाणे बक्से में रखा है। साब इस सरकारी ड्रेस का अब घर में क्या करोगे ? किसको देना है ? साब अब घर में कहाँ इन बड़े डीएमएस और अंकल बूटों को पहनोगे उगैरा उगैरा।

            सुबेदार मेजर पल्टन कु सबसे उम्र दराज मनखी, याने पल्टन कु बुबा। सबसी बड़ौ अनुभौ अर पद। ऑफिसर मा पल्टन कु मालिक सीओ, कर्नल साब त सिपै रैंक मा सुबेदार मेजर साब। सेवा टौल टौकरा वास्ता एक बेटा दिन रात हाजिर रैंदू, छवटू सि बी छ्वटू काम तैका जिम्मा। पैल्या सौर नि कन देंदू। कब्बि-कब्बि त देखण मा आंद कि क्वी अधिकारी यीं सुविधा तैं अधिकार माणी जवानों फर अन्यों बि कर्दा दिखेन्दा। पर मेरा जमीरल कब्बी इनु नि होण दिनी। अपणी औलाद जनि देखभाल करि अपण जूनियरों की। तब्बी त इत्गा प्यार सम्मान पाई मिन पल्टन मा। 

            हप्ता दस दिन पैली बटिन कम्पनी प्लाटूनों मा पार्टी पर पार्टी। बड़ू खाणू। रम ह्वस्की वियरा पैग। जिंदगी भरौ कु र्निमांसी आदिम ना सुरा ना फुर्रा। पर तौं दिनों मा पिरेम प्रतिज्ञा से गरौं ह्वेगे छौ। चटयैली पीनी बि अर लतड़ पतड़ ह्वै तौन समाळी बि। फूल माला गिप्ट पर गिप्ट सब्यूँ कु अपणा तर्फां बटिन सत्कार।

            अब औणा दिने ब्याळ पीटी ग्रोंड मा सुबेदार मेजर साबै बिदै मा पूरी पल्टन कु बड़ू खाणु ह्वेन। कम्पनी वैज द्वी तर्फां टेन्ट सामियाना लग्याँ छा। बिजली की लड़ी झालर, चमचम-झमझम। बिच मा ऑफिसर जेसीओ कु सामियाना कनोपी, नक्कासीदार सौफा, पैग टेबल, गुलदस्ता उगैरा उगैरा,  समणी ड्रामा पार्टी का जवानो कु गाणा बजाणों स्टैज। स्टैजा एक तर्फां पेप बैन्ड हैका तर्फां जेज बैन्ड छौ लग्यूँ।

            पैली प्येण पिलाणु दौर, नाना परकार कु सनेक्स कचमोली। फेर कम्पन्यूँ कु बिजिट। नै नै सिपै क्या पुराणा हौलदार, नैक साब न बि कंाधा मा उठै नचायी छै। अद्दा राति तलक गाण बजाणु । यादगार रात छै। आखिर मा सब्बी जवान, सौजड़या जेसीओ अर ऑफिसरों साबों दगड़ गौळा भेंट करि, सब्यूँन बधै दिनी कि पंवार साब ये ही है सुरक्षित सफलता है। इतने साल ऐसी ऐक्टिव डियूटी करना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धी है। आपके दिशा निर्देशन और मेनेजमेंट से पल्टन में इतने अच्चे काम पहले कम ही हुए। चलो मेरु मुख धरणू ब्वाना ह्वला कि अब जाणू छै या सच्ची मा। पर मिन पूरी जिन्दगी अपणी पल्टन अपणी सेना तैं अपणा पस्योन सिंचिन साब।

            राति-राति भर आँखि फाड़ी पढ़ै करि तब जै कि पांच-पांच कोर्साे मा इन्सटेक्टर ग्रेडिंग लिनी। इन्फैन्ट्री स्कूल, ऑफिसर एकेडमी अर रंगरुटी सेन्टर तक उस्दाद रयूँ। ग्लेसियर मैनेस चालीस डिग्री ह्यूँ अर थार मरुसथल प्लस पचास डिग्री तापमान मा या दे तपै। आंतकियों का मुख आर आर जम्मू कश्मीर की डांडी काँठी नापदि यूँ खुट्टों छाळा कैन देखिन। अरे इनि सुदी पाड़ फर पाणि नि निकळदू ब्वटाराम। वे माधौ सिंगन वे जामना मा बिगैर  मशीन अर बिगैर टैक्नालोजी कु पाड़ क्वौरी सुरंग बणे इनि पाणी कूल नि बगैन मलेथा सैरों मा ? अर इनि मैकमोहन रेखा फर मुंडारा नि बणैन। हिगमत अर हौंसला का अग्ने संगसारे सर्री शक्ति बौना होंदन ब्यटा। गिचन मनखी एवरेस्ट क्या अंतरिक्ष पौंछी जांन्दू फर वे आदिम सि पूछा, स्या अरुणिमा सिन्हा सि पूछा जैन एक खुट्टा मा वा एवरेस्ट चढिन। कठिण स्वेणा द्यखण वळा कठिण काम अराम सि कर्दा बल।

            एक दस पास लतर पतर माराज लैंसडौन का बीचसिपै बटिन आखिर रैंक तलके उपलब्धि सिपै कु सुफल कर्मयोग माने जांद। निथर बाज बाजों तैं पन्द्रा साल कटेण दिन मा गैणा द्यखण जनु हूँद। फिर ब्वनु  इबारी यीं टरेन मा मि अफ्वीं ब्यटा छै अर अफ्वीं भुला।

            हाँ त भुलाराम मि हौर कखि कु कखी पौंछग्यूँ। अब पल्टन कू आखरी दिन, असली बिदै कु समै, पल्टनो गेट छौड़णु बगत। एक फौजी ट्रक मा मेरु समान लद्यूँ छौ, दगड़ मा द्वी सिपै तैनात बि। तिरपाल ख्वलीं एक नांगी जिप्सी त्यार छै हुयीं जै तैं फूल मालाओं बदिन सजयूँ छै। जिप्सी तैं अग्ने बटिन द्वी मोटी बर्तोंन (रस्सों से) सर्री पल्टन, ऑफिसर जेसीओ ज्वान खिंचणा छै क्वी दैं अर क्वी बौं तर्फां बटिन। डरैबर सीट सीओ सबान थामी छै, अर मि सजीं जिप्सी मा खड़ू। मुंड तलक माळौन भर्यूं छौ। एसएम पंवार साब की जै, पदम साब की जै का नारा गुजणा छा, मेरा ऑफिस बटि मीन आरपी गेट तलक एक किलोमीटर तक बिदै जात्रा ह्वे।

            सड़क पर फूल-फूल, मुंड मा फूल, जनु कि आज गोकुलौ कृष्ण द्वारिका जाणू होलू। अरे भगवान। मन ज्यू तबारी यीं सत्कार सि निरुतर छै कि पदम सिंग किये का सिला मिलना इसे ही कहते हैं। आँखा भर्यां छा पाणी तलौ जन, छबळाट डबळाट छा कना। कंठ से अग्ने बाज नि छै औणी। फर लोकलाज देखी मुखड़ी़ झूठी मुलक्याट धैर हाथ हिलै अभिवादन छै कनि। मेरी पल्टनल सौ सिंगार करि अपणा सिपै तैं फौजी आदर परमत का दगड़ घौर तलक पौंछायी। तै दिन सैराऽ मौल्ला बळूंन बि खूब फूल मालौं से स्वगत करि।

            अब जिन्दग्यै गाड़ी बिगैर समैबद्ध दिनचर्या कि निभाणो त्यार छै होणी। जब अद्दा उमर एक फिक्स सिड्यूल दगड़ रमी जान्द त हैका महौल मा ढळण सौंग नि होन्द। अब देखा यख, परिवार मा बेटी ब्वारी द्वफरा तक स्येणा। अद्दा राति तक बिजाळी रौंणा। घाम मुंड मथि औण फर अन्वेण नास्ता। राति खाणु दस ग्यारा बजे। फौजी हिसाब सि बिल्कुल अलैद कारवै छै या। अब यूँ कु ढब-ढुब ठिक कना वास्ता उपदेश, छ्वटी-म्वटी डांट डपट करणु छौ गिचू। नोना बवारी त ह्वेन, यूँ कि ब्वै तैं बि मेरु बोलाणू बिणाण लग्यूँ छौ। वा बात-बात फर टोकदी कि या पल्टने आदत छौड़ि द्या। मेरु सुबेर उठण छड़ी हथ धैरी पांचेक किलो मीटर वाकिंग सैर फर, फिर दिन भर फुलूं गमला एक छ्वटी सि क्यारी अर ब्यखुन्दा फेर घुमण-घामण। मेरा जना चारेक हौर एक्समैन दगड़या यीं दिनचर्या का सौंजड़या बणिगे छा। 

            जबारी तलक रिटेरै ताती छै परिवार अर मौला बस्ती मा रामा-रुमी दुरस्त रैन। अब स्याळ-न्याळ बग्वाळी धड़म धिडै बंद ह्वेन त मि बि यूँ दगड़ रम्यौणें पूरी जुगत फर लगि ग्यों। मोला-बस्ती मा उठण-बैठण, कौ-कारिज मा हाजरी अर अपणी तर्फां बटिन मौ मदद। अपणा गौं गयूँ तख बि पार्टी दिनी अर मवारों तैं मिठठे बटवेन। थानी द्ययबता कु मंदिरौ जिर्णाेधार करिन अर दगड़ मा नौरता कैर अपणी तर्फां कि पूजा प्रतिष्ठा करिन, कि हे ईष्ट द्यबतों तुमारा परताप मि आज तेरु मंदिर उठाणू काबिल बणिन।

            सैर मा परिवारा दगड़ फौजी प्रतिष्ठा तैं जीवंत रखणै जुगत कनु छौ फर मेरा हिसाब से परिवार मैं से भौत अग्ने या पिछने छौ कदम ताळ कनु। बड़ु बााळु बेटा अंकित अठैस सालौ पोस्ट ग्रिज्वेट बिरुजगार एक नोनू बुबा, डेडी। छवटू वळु इंजिनियर साब चैनै मद्रास मा। पन्द्रा लाख लग्यां छै बी टेक डिग्री मा। वेकू हलण-चलण चार साल बटिन कब्बि नि देखी मिन, ना क्वी पैंसा पाई। नौनी प्रियंका मास कमन्यूकेशने विद्यार्थी कबारी औन्दी कबारी जान्दी। सरिता जी सब्यूं कि मालकिण, पर्सनल बैंक, ऐटीएम, ई बैलेट पासबर्ड सीं का हथ फर। संचालन कर्ता नोनी अर अंकितै ब्वारी। जब जै तैं जति चैणु माँ ऐसान करि मुबैल देंदी। पेंशन का बच्यां खुुच्याँ पैंसोंन स्या मकान द्वी मंजिला तक बड़ैन। परिवार बड़ू जु ह्वेगी छौ। अब द्वी कमरों मा रौंण वळु पिरवार अपणा-अपणा कमरों मा पैक ह्वग्यां छै। मेरा हिस्सा मा स्टोर रुम अर पुराणु बैठक कु पुराणु वळू सौफा सेट यी सैट ह्वेन। कब्बी भैर बैठक मा ऐ टीवी देखदू त कब्बी भितर बिस्तर मा लटकी वर्टसैप चलान्दू।

            सीएसडी समान अर बारा बौतळ मैनों कोटा समद्यूल से लेकर स्वन्यां-ब्वन्यां यार आबतों का कौ-कारिज मा हक पर चढ़ण लगिन। मि खुणी त चैन्दू नि छै फर अधिकार त मेरु छायी। तनखा हिसाब सि अब पचास हजार पिन्शन ऊँटा गिच जीरा होण लगिन। नौनीऽ पढ़ै, ब्वारी कु टिट फौर टेट फेसन, नौने स्विप्ट कार, हौलीडैल्सन बाईक कु तेळ पाणी अर ब्वै कि अथिति देवो भवः मा तीस क्या बीस दिन मा यी पिंशन स्वाँ होण लगिन। मेरी सिगरेट अब फिजूल खर्चा बणि सत्तैस नम्बर बीड़ी फर ऐग्ये छै। भैर लोगूं देखण सि चखळ-पखळ, पर भितर मूतौ निवातू सि जादा कुछ नि छायो। 

            भुलाऽऽ आखिर होंद कर्दा ब्वै अर बच्चा मितै सल्ला दीण लगिन कि- पापा आप इतने टैलेन्ट और बहादुर सिपाही से अधिकारी रहे हो अपाको तो कहीं भी अच्छी जोब मिल सकती है। अभी से घर बैठ कर क्या करोगे ? पापा मेरी जोब लग जायेगी अर प्रियंका को कोई बड़ा चैलन ले लेगा व मंयक चैैन्नई से विदेश चला जायेगा तों फिर घर आ के रेस्ट ही तो करना है।

ओ ब्यटा ! मि चिताणु छौ अब औण वळी छै एक हौर बिदै बगत।

हेरां बाबू कबारी थ्वौरी ह्वेलि कबारी ख्वौरी खयेली पता नि। मेड़ी (ब्वै) जु छै तौंकि हळण्यां सौकार, दस बजि उठण वळा तैं केन देण छै जौब। क्या ब्वन कैमा लगााण ब्यटा, अजक्याल हम मिडील क्लास वळौं कि बिदागत। झूठी सान का खातिर अपणा बल्दा मार्यूं जनु चुप्प चुप सौणू छै। वा बि दिन छै जब मेरी एक दाड़ फर सात सौ लोगों पल्टन चुप्प, सांस तक नि ल्येन्दि छै, अर आज अपणा यी भितर स्याळ छै बण्यूँ। हे रे समया तू यी बलवान छै।

अब सौजी-सौजी सब्यूँ कि सल्ला औण लगिन कि जब आपतैं बड़या नौकरी मिल सकदी त कन मा क्या हर्ज च। सरिता ब्वल्दी कि घौर मु अपणी सुबेदार मेजरी कि कचर-कचर ना कैर भैर कुछेक साल रै बि ल्याला त हर्ज क्या छ । इनु तै अंकिते ब्वै ब्वनी छै जु मेरा जाणा बाद मैना दिन तक सकस्याणी रैंदी छै। आज घौर अयाँ साल पूरो यी ह्वै छै कि बिणाण बैठिन। 

            भुलाराम सोब कुछ सोची तौली अर आखिर फैसल करि कि चल तुमड़ी धारै धार, लाग अपणा बाट। सिविल मा कैकी गेट कीपरी कन म्यारा बसे नि छै। स्याळ-न्याळ अपणी वीं फौज मा दुबारा जाणू बिचार पक्कू करि, डीएससी, वख क्या कन मिन  बैठ-बैठि गेडेन्स अर ज्वानों डियूटी चैकिंग। फौरम भरिन, मेडिकल करिन, अर इन्टरव्यू पास करि आज ज्वैनिंग लेटर पकड़ी निकलग्यूं फिर वीं इक्वाण जात्रा फर जख जीवन का कौंळा घाम सि आज छा ढळक्यां तक बीत ग्यै छौ।

            ब्याळी राति ना कैन पूछी कि क्या बात च पापा किलै छै विस्तर सामान बँधणू। ना कैन ध्यान दिनी। सरिता छै शर्माशर्मी ब्वनी कि रौण द्यावा जी, ना जावा देखि ल्योला। पर नौबत इनि एग्ये छै कि मिमा हैकू क्वी चारु नि दिखेणू छै। ना मैमा अब इत्गा सक्या छै कि फिर सैर छौड़ी छाड़ी अपणी वीं धर्ती, गौं कु माटू खैणू जख यु द्यै (देह) रमरमी-डमडमी ह्वे छौ। मि त रै सकदू छौ गौं मा पर यूँ कु क्या कर्दू। सुविधा भोगी परिवार। फिर गौं मा नाक को सवाल अलग छौ कि जिन्दगी भर भैर रयूँ अर अब ऐन बुढ़ापा मा हटगा तोड़ण यख।  

            सुबैर सरिता सियीं छै, वीं तैं इत्गा बोली साकू कि अपणु ख्याल रख्याँ मि चलग्यूँ। अंकित तैं बिजाळी, बाबा मितैं रैलवै स्टेशन तक छौड़ी द्ये। ब्वारी अर नाती हथ फर बिस्तर मा यी हजार-हजार रुप्याँ नोट धरिन अर छोडि ़ग्यूँ। हाँ भुलाराम मकान यी छौड़ग्यूँ मि आज, घौर त गौं मा छ, वीं धर्ती मा छ, जख बिदै फर खौळी गणेश मौरी नारेण, चौक तिबारी तलक रुआँसी होन्दी छै। बिदै काम ना कर्तव्य होन्दू छौ, फलाण तैं जान्द बगत सै होण जर्वत ना जरुरी हूंन्दू छौ। जर्वत खुदगर्ज अर जरुरी अपणेस प्यार पिरेम कु द्योतक होंद। यख बिदै जर्वत छै जरुरी ना कि जब जैल्यौ त कुछ ना कुछ बटौरी त ल्येल्यौ ही। इलै मेरा अपणा नौन्याळन आज पापा प्रणाम त दूर पिछने मुड़ी देखण वाजिब नि समझी। अरे जमाना। कख गल्ती ह्वै ह्वली प्रभू मैं सि।

@ बलबीर राणा अडिग

Friday 18 February 2022

सिपै आंण

 




हे पावन पुनीत भारत भूमि

वंदन अभिनन्दन त्वे कर्दू,

तेरी कुछ्ली मा जलम ल्येणु कु

ऋण जीवन फर देख्दू ।

 

तेरी आन-बान का खातिर माता

सदनी डटयूँ रैलू,

विस्वास कर्यां यू अडिग

एक इंच बी पिच्छवाड़ी नी हट्लू ।



 

सुण रे बैरी तेरु पौंठा पराण

कत्गा बार मिन देखियाली,

पैंसठ, सत्तर, करिगिल, डोकलाम

गलवान मा बिंगेयाली।

 

एजा रे क्वे दिशा  बटिन बी

जख बटि बी ऐलो थै ल्योला,

चार फुट्या ह्वो या छै फुट्या 

त्वे तखि झटके ध्योला।

 

तिलक कर्यूं छै माटी कु

राष्ट्र यज्ञ कु हव्य बणि छौंवूँ,

आहुत होणें कसम खयीं छै,

तै फर वचनबद्ध छौंवूँ।

 

चीर बांधी छन  तिरंगा को

तिरंगा तैं नि झुकण ध्योला,

तिरंगा लहरे कि औला या

तिरंगा मा लिपटी की औला।

 

दुर्वासा का वंशज छाँ हमू

छेड़ा ना भृकुटी चढ़ी जाली,

चंट चाणक्या निति का अग्ने

तुमारा बसे नि छैयी।

 

राणा, शिवाजी, माधो की तलवार

अज्यूं बी खुंडी नि ह्वायी,

गब्बर, दरवान जशवंत कु ल्वै

अज्यूं बी तातू ही छैयी।

 

तांडव देख्याळी तुमुल

तौं हिमालै का चांठों फर,

दुस्सास करि कन देखा हौर

नचलू तुमारा मुंडों फर।

 

जै घोष भारत माता कु सूणी 

बैरी तू फिर थर्थरालो,

मातृभूमि बलवेदी फर

मेरु बलिदान अमर ह्वालू,

  

मेरु बलिदान अमर ह्वालू।  

 

 

 आंण – सौं, सौगंध, कसम

 

@ बलबीर राणा ‘अडिग’