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Thursday 19 December 2019

भ्वोल जब ???


औंणु ब्वना
ह्वोणु ब्वना 

खाणु ब्वना
कमाणु ब्वना

बसौंणु ब्वना
जस्योंणु ब्वना

तति मा अग्यो!!!

भ्वोल जब !

साल-साल
तामी पाथियों
घ्यतसार
न भै न !

तबा क्या ह्वलू
क्व जाण...

@ बलबीर राणा 'अड़िग'

Monday 16 December 2019

समै


समैं फ़र्फ़राट्
करि उड़ी जांद
पल, घड़ी, दिन
मैना अर साल बणि
चलि जांद
दूर धार पोर
जख क्वे न देख साकू
पर समै तैं पता नि
वा बँध्यौं रैन्दू
झुकूड़ी किल्वाड़ा पर
यादों गैणु बणि कट-कट
जु कखि नि भैजी सकू।

@ बलबीर राणा 'अड़िग'

Monday 2 December 2019

पक्कू इलाज



बलात्कारियों यनु इलाज ह्वेगी जरूरी
फेर नि रैलू  बांस  नि बजैली   बाँसुरी

एक दां सच्चा मर्द बणै कि  दिखावा
बीच बिचा मा रोणे तै नीति  छवाड़ा
ख्वला तै न्याय देवी आँख्यों की पट्टी
दिखी जैलू कख साफ ,  कख छ टट्टी

संसदा दिदों, यनु इलाजै द्यावा मंजूरी
फेर नि रैलू  बांस  नि बजैली   बाँसुरी

बल यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः
इन मा कनै ह्वली पूजा कख बे आला द्यबता
दुशासन घुमणा सड़क्यों पुन डौर लगीं भारी
वीर लक्ष्मीबाई देशे नारी तैं न बणावा बिचारी।

यूँ कि झगड़े जड़ कटणों द्यवा मंजूरी
फेर   नि  रैलू बांस नि बजैली बाँसुरी

यखक  मर्दोंन  नारी  इज्जते  वास्ता  लंका  जलै
घौरे आबरू पे हाथ डालण वालूँ तैं महाभारत रचै
लोकतंत्र  का  ये  कानूनsल  कन  किन्नर  बणायी
शिखण्डी  दयेखि  सब भीष्मोंळ  हथ्यार  धैर्याली

अब मूमबत्ती नि चिता जगोणे द्यवा मंजूरी
फेर   नि  रैलू  बांस   नि   बजैली  बाँसुरी ।

@ बलबीर राणा 'अड़िग'