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Thursday 7 November 2019

खुद



जैतें खुद् नि, वा खुद ही नि छ
या त कुर्च-बुर्च छ या वेसुद छ

खुद छ त सुदबुध छ, जी जमाण छ
खुद नि ढुंग छ  या बुद्ध भगवान  छ
खुद मा खुद होंण धर्ती कु पर्वाण छ
खुद मा खुद नि शून्य छ आसमान छ

खुद मा खुद् छ त मनखि माणि च्वोळा छ
खुद  नि  त झाड़ी/पौंछि पिस्यों  थौला  छ
खुद छ त  जीवन छलबळ सौंण  भादो  छ
बिगैर खुदो मनखि, ठडयों  म्वळो मादो  छ

कंयारी  छै  वा  मयाळी  छै, जर्रा  नखर्यळी  छै
सब्योंक सामणि नि ओंदी वा तति शर्मयाळी छै
क्वांसिली छै वा यकुली लुकि-लुकी रुवोन्दी छै
माँ  माटी की  पीड़ा वा  औंशू दगड़  बगांदी  छै

खुदs कोंकळी कळामळी मायो उलार छ
जिकुड़ी उबलणु ज्वालामुखी भभकार छ
खुदs यादों कुट्यरि ज्यू पांजी  संमोण छ
हर्यों भर्यों बण मा खुदेड़ हिलांसे भौंण छ

खुद होण से खुदs, भिज्यां पिड़ाण्दी/बिणादी छै
क्या बाळो क्या  ज्वान, बुड्यों तलक  बिथांदी छै
ये खुदे क्वी उमर नि सब्योंक सांका पड़ी जांदी छै
खुद  कु  एसास  दिलोंदी  अपणुपन  बिगांदी  छै।

कुर्च-बुर्च - बुरी तरह से टूटयों
पर्वाण - सक्षम
पिस्यों - आटे का
क्वांसिली - कोमल, भावुक

@ बलबीर राणा 'अड़िग'