Search This Blog

Friday, 1 August 2025

दोहावली : चुनौ

गजेसिंग जी जेठो भै, कणसु फतेसिंग दाणि।
चुनौ मा हुयाँ विरोधी, द्वियूँ  कि अलैद बाणि।।

चुनौ भी क्या नि करांदो, भयूँ आग-दर-भ्योट।
एक कलम दवातन मनू, हैकु कुल्याड़ै चोट।।

फतेसिंगै चिफळी बाणि, गजेसिंगै सुद्दि स्यांणि।
फतेसिंगा मन मा क्या च, गजेसिंगन क्या जाणि।।

हैंकै लकीर छव्टि कनू, ख्यौलणा गलत चाल।
वोट द्योणान फते उणि, गजे कु सुतणा माल।।

हैंका काँधिम ताणि कन, बणणा निशाण बाज।
अपण कन्धा राखा बल,  चल्लो बंदुकि राज।।

जु फतेसिंगन खायी घी, गजे किलै ब्यमळाणु।
अपणू हाथ सूंघे किन, क्या छ बिंगाण चाणु।।

चुनौ ना चकरपति ह्वेन, वोटरों खिंचम-खींच।
जु बगाणू दारू सारु, आखिर जितणो वी च।।

गजे भै कबार बिंगलो, तै फतेसिंगै चाल।
दारु-मासु मा वोट दे, रौण तेरा तनि हाल।।


@ बलबीर राणा 'अडिग'
ग्वाड़ मटई बैरासकुण्ड चमोली 

No comments:

Post a Comment