Search This Blog

Thursday, 8 June 2023

ननि गजल


वलि वौर ठिक नि,
पलि पौर ठिक नि। 

द्योस योक म्योस द्वी
क्वी ठौर ठिक नि।

स्याळ जन भाज ना 
यति डौर ठिक नि।

अपण ऊंणि चक्रव्यू, 
यनु घौर ठिक नि।

मेमानबाजी योक दिने, 
डेली खन्यौर ठिक नि। 

बिगैर सौंग-पत्ता कु,
सुद्दों भनौर ठिक नि।

हग्याँ-मुत्याँ रील बल
यना लन्यौर ठिक नि।

भितर ऊंणि चीड़ी-च्योंग,
भैरौ मेलख़्वौर ठिक नि।

योक बार बिंगै द्यावा,
इखरी मुंडौर ठिक नि।

बात समणी ह्वो अडिग,
पिछवड़ी झौर ठिक नि।

दशौल्या शब्दों अर्थ

वौर, पौर - वार, पार
खन्यौर - मेमान
भनौर - भंड़ारो
लन्यौर - लिन्डेर/लींडी
चीड़ी-च्योंग - चिढ़ण 
मेलख़्वौर - मिलनसार
झौर - झैर/जहर 


@ बलबीर  राणा 'अडिग'
मटई बैरासकुण्ड चमोली 


No comments:

Post a Comment