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Sunday 3 May 2020

पदमश्री कल्याण सिंह रावत मैती : कर्मयोग पृष्ठभूमि




      ये चराचर जगत मा जीव नमाण क्या चल अचल चीजों  कु फर्स से अर्स तलक पौंछणा पिछवाड़ी कर्मों की एक लम्बी पृष्ठभूमि होन्दिन, कै बी काम मा सिद्धी अचाणचक नि मिल्दी, अचाणचक केवल घटना होन्दी बाकी जीवन का सर्रा कार्मों तैं एक लम्बी संघर्ष प्रक्रिया का पैथर औण पड़द। कै बी कर्मों की पृष्ठभूमि मा संघर्ष का दगड़ हिगंत्यार अर त्याग होन्दन। गीता मा भगवान कृष्णऽनल कर्म तैं इलै ही जीवन कु प्रधान विषै बतैन, बल या धरती कर्म भूमि छ अर यख कर्मों की ही पूजा होन्दी। एक शब्द मा ब्वलै जावो त आदिमें सुन्दरता वींका शरीरे बनावट नि होन्दी बल्कि वीं का कर्म होन्दन, उदाहरण अपणा ऐ पी जे अब्दुल कलाम तैं द्याखा। कुरूप अर स्वाणु कर्म होन्दन मनखी त एक माध्यम छ। 
      मिन सूणि दुन्यां कु महान दार्शनिक सुकरात बी द्यखण मा कुरुप छाँ बल। हमारी उत्तराखण्डे धर्ती पैली बटिन यना ही कतिगा सुन्दर कर्म प्रधान पुरूषोंऽक थाति रैन जौन अलग अलग क्षेत्रों मा विश्व विरादरीऽ नेतृत्व करि विषेशकर पर्यावरण क्षेत्र मा, हमारी यीं धर्ती तैं प्रकृतिन जन स्वाणु रूप दिनी उना स्वाणा शीर्षपुरूष बी दिनी जोंऽका परताप हमारी ये धर्ती से प्रकृति पर्यावरण संरक्षण मा अग्रणीय काम होणु छ। हमारी ये उत्तराखण्डे धर्ती बटिन गौरा देवी, सुन्दरलाल बहुगुणा, चन्डी प्रसाद भट्ट, अनिल जोशी, कल्याण सिंह रावत मैती, विद्यादत्त शर्मा जना होर कति पर्यावरण पुरोधा छिन जोन धर्ती बचैंणा खातिर मनसा वाचा कर्मणा से कति संघर्ष करि आज कैतैं बतौंणे जर्वत नि छ। यूँ पुरखौं का कर्म परिचय मा आज हम बात कर्ला पर्यावरण संरक्षण मा संजीवनी बणि ‘मैती‘ आन्दोलन का प्रेणता पदमश्री कल्याण सिंह रावत ‘मैती‘ जी की। 
      उन त श्री कल्याण सिंह रावत ‘मैती‘ जी कै नौ का मौताज नि छिन किलेकी मिन मथी ब्वली कि क्वे काम अचाणचक नि होन्दू कै बी कामऽक शिर्ष पर पौंछणां वास्ता दशकों लग जान्द, बड़ी लम्बी गाथा गाण पड़द सुरीला गीत की। कल्याण सिंह रावत भैजिन बी न जाण कति रियाज करि होली यख तक पौंछणा वास्ता। ‘प्रत्क्षम् किम प्रमाणम्‘ प्रत्यक्षाऽ वास्ता कै प्रमाणें जर्वत नि होन्दी फिर बी जब कै महामनखी परिचै बात आन्दी त वूं का जीवन से जुड़यो छवट् बड़ा सब्बी काम समाज मा पौछण जरुरी होन्दन मेरु यु ही प्रयास छ। 
   श्री कल्याण सिंह रावत जी कु जन्म चमोली जिला का कर्णप्रयाग ब्लॉक चाँदपुर पट्टी का  बेनोली गौं मा श्रीमती विमला देवी रावत जी अर श्री त्रिलोक सिंह रावत जीऽका घौर 19 अक्टूवर 1953 मा ह्वेन। रावत जी की प्राथमिक शिक्षा अपणा गौं बेनोली, जूनियर चैरासेंण अर कल्जीखाल, हाईस्कूल अर इन्टर तलकै पढै़ गर्वमेन्ट इन्टर काॅलेज कर्णप्रयाग बटिन करि। रावत जी का पिताजी श्री त्रिलोक सिंह रावत जी वे टेम फर पौड़ी मा जंगलात का फोरेस्टर छाया, वेका बाद पिताजी रेंजर पद पर चमोली ऐन अर रावत जीऽन गोपेश्वर डिग्री कॉलेज मा एडमिशन लिनी, गोपेश्वर से ही रावत जीऽन सन् 1977 वनस्पति विज्ञान से पोस्ट ग्रेजुएट करि अर सन् 1978 मा बी एड कना बाद रावत जीऽन शिक्षा विभाग मा विज्ञान सह अध्यापक पद से अपणी व्यवसायिक यात्रा सुरु करि अर वनस्पति विज्ञान का लेक्चरर पद तक सेवा दिनी। अपणी शिक्षा सेवाकाल का दौरान जै बी जगह रावत जी रैन वख का वूंन जनमानस क्या जीव जन्तु, अर पर्यावरण सेवा मा ऐतिहासिक काम करि। साठ साल तलक सरस्वती माँ कि सेवा कना बाद रावत जी 2014 मा रिटेर ह्वेन। 
     आम तौर पर आध्यात्म जगत मा ब्वलै जान्द सन्तोषम् परम् सुखम् लेकिन मि ये उक्ति तैं आदिम तैं गैल बणोण वळु माण्दू, हाँ जर्रवत से जादा लालच का परिपेक्ष मा या उक्ति ठिक ह्वे सकद पर आदिमों अग्ने बड़ण अर सार्वभौमिक समाजिक अर व्यक्तित्व विकास सन्तोष करि कब्बी सम्भव नि ह्वे सकद। जीवन मा कुछ अलग करि जावो इन कुछ को-करार रावत जी कु पैली बटिन नि छौ, बाळापन से जीवन का बाटा चल्दा-चल्दा ही दुन्यां मा पर्यावरण पिरेमी अर हितैषी को बडू नौ बणिन। डाळी बोटों से अनन्य पिरेम होणु श्रेय श्री रावत जी अपणा पिताजी तैं देन्दा किलेकी बाळापन से वूंका दगड़ मा रै किन ही प्रकृति तैं नजीक से द्खण सिखण अर धर्ती पर जीवन का वास्ता ये प्रकृति कु महातम्य समझण मा मदद मिली। रावत जी ब्वलदा पिताजी से पर्यावरण अर माँ से अपणी संस्कृति का संस्कार मिलिन। समाज सेवा कु गुण कुछ विरासतीय त रैयी छ, वूंका का पिताजी इमानदार छवि का मनखी छाँ, वां बी समाज का वस्ता छव्टु बडु काम बड़ी ईमानदारी से कर्दा छाँ ये ही ईमानदारी का फलस्वरुप रिटैर आणा बाद वूं तैं निर्विरोध कर्णप्रयाग ब्लोक का ब्लोक प्रमुख चुनै ग्ये छाँ।   
   मनखी एक सामाजिक नागरिक होन्दन अर समाज मा रै किन वां कि कुछ न कुछ नैतिक जबाबदेही अर जिम्मेवारियां होन्दिन पर, आमतौर पर द्खणा मा आन्द कि मनखी अपणा स्वहित का वास्ता त खूब जणगुर जागरुक का अलो खूब जिम्मेवारियां बी उठान्दू। पर यना हैका या समाज का खातिर कम ही द्खेन्द। संगसार मा आम से खास बी वीं लोग बणिन जोन परहित का वास्ता जबाबदेह ह्वेन अर वूंन जिम्मेवरियां अफूं से परे उठैन। धर्ती पर जीवन का वास्ता कुछ हठ कर कण गुजरणों नजरिया रखणा वळा श्री कल्याण सिंह रावत मैती जी बी वूं मनख्यों मा सामिल छाँ जौन मनख्यों का जीवन का दगड़ धर्ती पर ज्यू जमाणा का वास्ता जीवन पर्यन्त लीग से हठ करि काम करि वूंकी यूँ कामें सुरुवात इस्कुल्या टेम से ही सुरु ह्वेग्ये छै। रावत जीऽन पर्यावरण अर हैका समाजिक कार्यों की फेहरिस्त भौत लम्बी छ।

हिमालय वन्य जीव संस्थाने स्थापना, (जीवों अर मन्ख्यौंऽका बीच समन्वय कार्य) 
सत्तर का दशक मा रावत जी जब गोपेश्वर मा पोस्ट ग्रेजुएट कना छाँ त वे टेम पर   आस्ट्रेलिया बटिन वैज्ञानिकों एक दल हिमालय का जीव जन्तुओं पर रिसर्च कना अयाँ छया जै मा वूं कु मुख्य विषै तुंगनाथ मा मिलण वळा कस्तुरी मृग अर हिम तेन्दुआ छाँ। तब सैरु प्रसाशन अर वन विभाग वूंका पिछवाड़ी लग्यूं छौ। रावत जी अर वूंका जागरुक दगड़योंन बोली जब भैरा लोग यख ऐ किन रिसर्च कना त हम किले नि कैर सकद, अर यूं जागरुक इस्कुल्योन वन्य जीव संरक्षण पर रिसर्च कनूं प्लान बणायी, यां का वास्ता वूंन एक संस्थौ गठन करि जै कु नौं “हिमालय वन्य जीव संस्थान“ रखै ग्यो। ये संस्थाऽक रावत जी पैला अध्यक्ष अर जगदीश तिवाड़ी जी सचीव ह्वैन। ये काम मा वूं का दगड पर्यावरण विद पदमश्री श्री चन्डी प्रसाद भटट जी कु बी अहम योगदान रैन, श्री चन्डी प्रसाद भटट जी ये संस्थाऽक संरक्षक छाया। हिमालय वन्य जीव संस्थान का बैनर तौळ सबसे पैली वूंकि टीमऽल रुद्रनाथ बुग्याल तैं गुजरों से बचैणा खातिर हिमालय कांठा रुद्रनाथ मा धरना दिनी, किलेकि वे समै मा भौत संख्यां मा मुड़ि बटिन गुजर लोग बुग्याल औंन्दा छाँ अर वूंका भैंसा बखरा बुग्यालों तैं तैस नैस कर्दा छाँ। फिर वूंकि टीमऽल हर साल बण जीव बचैणा खातिर गढ़वाल का अनेक जगहों जै किन कैम्प लगेन, वे समै मा स्थानीय क्या भैरऽक लोग बी गढ़वाला जंगलों अर बुग्यालों मा बडी संख्या मा जंगली जानवरोंऽक शिकार कर्दा छाँ। 
    हिमालय वन्य जीव संस्था का ये विद्यार्थी टीमऽल कैम्प का दौरान लोगुं तैं जैव विवधता का बारा मा जागरुक करि वूंन लोगुं तैं समझै कि हिरण, काखड़, घ्वेडों जना शाकाहारी जीवों तैं मारला त मांसाहारी जीवों तैं वण मा खाणु नि मिललू अर वा जानवर गौं मा ऐ किन मनख्यौं तैं खाण सुरु कर द्याला। अगर मांसाहारी तैं मारला त जंगल मा शाकाहारी जीवों संख्या भिज्यां बड़ि जाली जै से वा वणों से गौं मा आला अर तुमारी फसल पाटळ नष्ट कर द्याला, ये परकार से तौंन जीवों अर मन्ख्यौं का बीच समन्वय स्थापित कनो प्रयास करि जै का प्रभौ से वन विभाग की भी निन्द खुली, तब जै किन मध्य हिमालय का बणों बटिन निरंकुश जीव हत्या पर कानूनन रोक लगिन।     

चिपको आन्दोलन मा भूमिका

रावत जी चिपको आन्दोलन का सुरुवाती दौर मा ही ये आन्दोलन से जुडयां रैन। आन्दोलन का  समै पर वूंकि हिमालय वन्य जीव संस्थान टीम बड़ चड़ कि चिपको आन्दोलन का अयोजनो मा भाग ल्येन्दि छै। जब चिपको आन्दोलनों मुख्य मौल्याण रैणी गौं बण कटान वळौं से आर पारे लडै लडणा छयी त रावत जी की टीम कै बी मदद का वास्ता जोशीमठ मा डटी रैन, हाँ वूंकि मदद से पैली चिपको नेत्री गौरा दीदी दगड़ रैणी गौं की वीर मैलोन डाळौं पर चिपकी जंगळ कटान कन वळा मजदूरों अर वूंका आंकाओं तैं हटे दिनी छै। तै समै मा रावत जी गोपेश्वर मा सामाजिक सरोकारों वळा संगठन दशोली स्वराज्य मंडल अर सर्वोदय का सक्रीय सदस्य छाँ। 

सैटर डे क्लब की स्थापना अर बुँखाल कालिंका बलि प्रथा पर जन जगरुकता अभियान

रावत जी की शिक्षक का रुप मा जब 1979 मा पैली पोस्टिंग पौड़ी गढ़वाला हाईस्कूल चैरींखाल (बुँखाल) मा सह अध्यापक जीव विज्ञान पद पर ह्वेन त वून अपणा पैला कार्यकाल से ही तै इलाका लोगों तैं  पाणी अर जंगल वचैणा बारा मा जागृत करि। वूंन नौनू कु एक सैटर डे क्लब बणायी जैका तहत बच्चों तैं हर शनिवार अर इतवारा दिन अपणा आस पासा इलाका मा सफै कन अर लोगुं तै साफ सफै अर डाळा बोट बचोंणा खतिर जागृत कनों काम शुरु करि। तब लोग अन्दाधुन्द तरिका से डाळों कटान अपणा निजी कामा वास्ता कर्दा छाँ, चै क्वे छप्पर छानी बणोण ह्वो या घासऽक खुम्मा लगोण। रावत जीऽन डाळा कटान रोकणा खातिर रोड़ा ऐथर सफेदा डाळा लगाणों विचार करि किलेकी सफेदा कम समै मा बडू ह्वे घास का खुम्मा लगाण अर छानी छप्पर बनाणा खातिर सक्षम छै। वखि वूंन अपणा स्व योगदान गोदा गौं वळुं से जमीन ल्येनि अर झुरमुट नामक जगह पर नोनू तैं झुरमुट नौ से खैलौ फिल्ड बी बणायी। 
      ये कार्यकाल मा रावत जीऽकी सबसे बड़ी उपलब्धि बुँखाल कालिंका माता मैळा मा होण वळि सैकड़ों बागी बखरों की बलि रोकणा रुप मा जनजागृति रैन। रावत जी ब्वोल्दा कि तै समै पर गढ़वाल मा सामाजिक अर व्यक्त्वि विकासे क्वै रुचि नि छै लोगों फर अन्ध विस्वास अर रुडीवादी हावी छै लोग अपणा छव्टी म्वटी आकांक्षा अर अहम का वास्ता बी द्यवतौं पर पुकार्दा छाँ अर चड़ोट मा निर्दोश जानवरों बलि देन्दा छाँ। रावत जी गौं-गौं जै  लोगों तै जीव संरक्षण कु मैत्वा, बलि प्रथाऽक दुसप्रभो अर नानतिनोंऽ शिक्षा का बारा जागृति करि। रावत जी बगत-बगत पर इलाका लोगों तैं पौड़ी बटिन चलचित्र ल्येकिन दिखन्दा छाँ ताकि लोग अन्धविश्वास से कुछ भैर ऐ साको। यना जन जागृति अभियानो प्रभौ से लोग सचैत ह्वेन लोगों तैं शिक्षा कु मैत्वा पता चलि। 1883-84 तलक बँुखाल मा 240 का आस पास हौण वळि बलि 40 से 50 तलक ऐग्ये छै, वर्तमान मा त या बलि प्रथा पूर्ण रूप से बन्द ह्वेगी।

रंवाई घाटी राजगढ़ी समाजिक जीवन कु अहम पडौ

1984 मा रावत जी कि दुसरी पोस्टिंग उत्तरकाशी रंवाई घाटी राजगढ़ी स्कूल मा ह्वेन वख बी वंून देखी लोग कै भी कामा वास्ता अंदाधुन्द जंगळ काटदा छाँ। पर जंगळ बचैण या डाळा लगाणौं जनु क्वै उपक्रम नि कर्दा। रावत जीऽन वखऽक लोगों तैं डाळों लगाण अर पर्यावरण संरक्षण का खातिर जागृत करि ये मुहिम मा वूंन बच्चों का दगड इस्कूले जमीन मा 45000 डाळौं की एक नर्सरी तैयार करि जु वे टेम पर शिक्षा विभागे तर्फां बटिन सबसे बड़ी नर्सरी छै। रावत जीऽन रंवायी घाटी मा एक हौर पवित्र अभियाने सुरुवात करि, 30 मई तैं तिलाड़ी शहीद दिवस मनै जान्द छै पर प्रसाशन अर क्षैत्रीय जनते तर्फां से मात्र इतिश्री होन्दी छै। रावत जीऽन ये दिन तैं जनमानस तलक पौंछाण अर शहीदों तैं सच्ची श्रृद्धांजली का वास्ताएक वृक्ष अभिषेको कार्यक्रम सुरु करिन।

तिलाड़ी शहीद दिवस पर वृक्ष अभिषेक कार्यक्रम (सात कन्यां, सात फेरा अर सात दिनें बर्खा)

  ये कार्यक्रमें सुरुवात पर एक रोचक किस्सा छ। तै साल वे इलाका मा भयंकर सूखो पड़िन भौत दिनों से बर्खा नि छै होंणि, इलाका तमाम गौं वळा बर्खा खातिर अपणा ग्राम द्यबतोंऽक डोली दगड़ चार धामे यात्रा करिन, पर ! बर्खा नि ह्वेन। रावत जीऽन ये मुहिम तैं एक भावनात्मक लगौ देणे स्वोचि, वूंऽन 40 गौं प्रधानों दगड मिटींग करिन, ये का तहत 30 मई तैं हर गौं वळा अपणा ग्राम ईष्ट द्यबते डोली मा एक ग्राम वृक्ष ल्ये राजगढ़ी बुलै गया। गौं वळौं तैं डाळा पैलि बटिन इस्कूले नर्सरी बटिन दिनी छै। हर गौंऽका नौं से पैलि बटिन गड्डा बणायूँ छै। 30 मई तैं 40 गौं का लोग बाजा गाजों दगड राजगढ़ी ऐन ये दिन उत्तरकाशी का डी एम साब डी एफ ओ अर प्रसाशन का हौर लोग बी मैजूद छाँ। हर प्रधानऽल अपणा गौं का नौं से एक ग्राम वृक्ष रोपीऽ वे गौं कि सात कन्योंन पाणी कलश का दगड़ डाळे सात परिकरमा कैर डाळा मा पाणि डाळि। फेर तिलाड़ी शहीदों की याद मा भव्य कार्यक्रम ह्वेन जैमा सर्रा इलाका 40 हजार लोग शामिल छया। वे रात जब कुछ दूर दराजा लोग अपणा घोर नि जै सका त वूंतैं वखि इस्कूला बिल्डिंग मा रौणें व्यवस्था करिग्ये, लोगों तैं राति मा चलचित्र द्यखणें व्यवस्था बी करि छै। वे दिन, दिन भर अगास मा एक बी बादळों टुकड़ा नि छौं पर अद्दा राति अचाणचक बून्दा बान्दी सुरु ह्वेन जै का बाद झामाझम बर्खा सुरु ह्वे या बर्खा एक द्वी नि पूरा सात दिन तलक रैन। अब ये तैं संयोग ब्वलै जावो या भगवानों चमत्कार लेकिन सात कन्यां, डाळों सात फेरा अर सात दिन बर्खा अजब गजब सयोंग की बात छै। डी एफ ओ साबन बी ये चमत्कार पर आश्चर्य व्यक्त करि। 
        रावत जी कु मानण छ कि नेक नियति अर इमानदारी से काम कर्ला त भगवान कै बी रुप मा सैम होन्दू। ये वृक्ष अभिषेक कार्यक्रम कु असर इनु ह्वे कि कुछ दिन बाद रंवाई घाटि का मर्द जनानी नमाण रावत जी मा डाळा मांगण ऐन रावत जीऽन डी एफ ओ साबा माध्यम से डाळा बी दिलायी अर डाळा रोपण अर बचाणा खातिर पैंसा बी। पर्यावरण संरक्षण का क्षेत्र मा अपणी भूमिका अर काम की प्रेरणा श्री रावत जी राजगढ़ी तैं माणद। 
     जब आदिमा अंतस मा मनख्यात रचि-बसि जान्द त वा हर  घड़ी मनख्यात का वस्ता चिन्तित बी होन्दू अर मनख्यात का वस्ता काम कन तैं अग्रसर बी रैन्दू। तै समै मा उन त पूरों उत्तराखण्ड शिक्षा अर विकास से दूर छै पर रवांई घाटि मा कुछ जादा ही प्रभो छै, लोग दुःख बिमार मा ईलाज, दवै दारु से ना बल्कि द्यबता अर जादू टोना मा जादा विस्वास कर्दा छाँ। उन बी कै समै मा रंवाई घाटि जादू टोना अर बोक्साड़ी विद्या वास्ता फेमस छै। रावत जी बतौंदा कि रंवाई घाटि का लोग नोंन्याळों पर टीका लगाण बी बुरु माणद छाँ तबारी तै इलाका का बच्चा जब बिमार ह्वोन्दा त वूं कु  इलाज झाड़ा ताड़ा से ही कर्दा छाँ अगर ठीक ह्वेग्यों त भगवाने कृपा निथर नियती समझी लोग अपणा जितम पर ढुंगू धैर देन्दा छाँ। रावत जीऽन लोगों तैं ये कुप्रथा से भैर निकालणें स्वोचि अर गौं-गौं जै किन गौं वळुं से मिटिंग करि, लोगों तैं टिकाकरण कु मैत्व व स्वास्थ्य संबन्धी बातों पर जगरुक करि। ये मुहिम कु यनु प्रभौ ह्वेन कि द्वि मैना मा गौं का गौं का बच्चों की लंगत्यार टिकाकरण का वस्ता इस्कूल अर स्वास्थ्य केन्द्रों पर लगिन। रावत जीऽन उत्तरकाशी सी एम ओ साब से हौर टिकों मांग करि अर इलाका का सब्बी बच्चों कु सफल टीकाकरण करायी। सी एम ओ साब बी यनु चमत्कार द्येखी आश्चर्यचकित ह्वेग्यां छाँ, वूंन रावत जी की ये कामा वास्ता भौत सराहना करि कि जन जागरु को जु काम कति साल बटिन स्वास्थ्य विभागे टीम नि करि साकी स्या काम रावत जीऽन द्वी चार मैना मा ही कर्याली छै।  

पर्यावरण संजीवनी मैति आन्दोलन 

अब बात कर्दा मैति आन्दोलन की जै मुहिम से कल्याण सिंह रावत जी मैति बणिन अर फर्स से अर्स पर पौंछणे चढ़ै सुरु ह्वेन। 1988 मा रावत जी की तीसरी पोस्टिंग ग्वालदम चमोली ह्वेन। वख बी वूंन बण जीव अर जड जंगळ बचैंणें मुहिम जारी रखिन। ग्वालदम का हाल बी उनि छाया जन पूरा उत्तराखण्ड का छै, डाळा त लोग निगुरे काटद पर डाळा तैं जिमोण वळु क्वे ना। वूऽन देखि हर साल सरकार अर एन जी ओ वळा डाळा लगवाणा छाँ पर अग्ने वूं डाळौं तैं बचाणा कुछ उपक्रम नि छै, मात्र बजट खपाण अर सरकारी फैलों की शोभ खातिर वृक्ष रोपणों काम सर्रा पाड़ मा होणु छै, हैका साल फेर वीं जागा पर वृक्षारोपण। रावत जीऽन स्वोची कि यनु ही काम होणु रैलु त रैग्ये अर ह्वेग्यों हिमालय हर्रों भर्रों। रावत जीऽन डाळा वचैणा खातिर फेर एक इमोशनल पैल सुरु कनै ठाणि। वूंऽका दिमाग मा ऐन कि कै बी घौर मा बेटी अर ब्वै कु रिश्ता सबसे भावनात्मक अर कंयारु होन्दन, नोनी बचपन बटिन हर समैं हर काम मा ब्वै दगड खड़ी रैन्दी। घौर-बण, पुंगड-पातळ सब्बी जाग बेटी ब्वै कु बौं हाथ हौन्दन। बेटी ब्यौ हौण बाद सबसे जादा दुःख होन्दन त ब्वै तैं। ये कु परमाण बेटी कु ड्वोला बिदै जोन द्येखी ह्वलु वीं ही समझी सकदा। बाज-बज ब्वै त बेटी विदै पर रुवे-रुवे कड़कड़ी बी ह्वै जान्दी छै। 
      रावत जीऽन ये ही भावना तैं डाळा बचैणे औषधी का रुप मा प्रयोग करि, वूंन बोली कि अगर बर-ब्यौली अपणा ब्यौ पर मैत मा एक डाळू लगाला त वूं कु ब्यौ बी यादगार बण जैलु अर मैति अपणी ळाड़ी का पिरेम मा वे डाळा तैं बी बचाला। हौर त जन बी ह्वावू पर ब्वै त वे डाळा तैं सुखण नि द्येली। रावत जीऽन मैसूस करि कि बेटी तैं सबसे प्यांरु वींकु मैत हौन्दन ये वास्ता वूंऽन ये मुहिम तैं मैंति नौ दिनी। ये की सुरुवात वूऽन सबसे पैली ग्वालदम गौं से अपणी एक नौनि विद्यार्थी ब्यौ से करि। वूऽन स्वोची ये आत्मीय लगौ मा जब चार छः साल बाद नौनिऽक बाल गोपाल ममाकोट आला अर डाळा पर लग्यां अमरुद संतरा खाला त तब नानी ब्वलऽली रे लठ्याळों तुमारी ब्वै ब्यौ कु डाळु छ रे या। तब बाळू मन बी जरुर स्वचला कि वूंन बी अपणा ब्यौ पर इना डाळा लगोण। रावत जीऽन गौं वळूं तैं समझेन कि इनि एक गौं मा एक साल मा दस ब्यौ ह्वला त दस साल बाद सरु गौं हैरु भैरु ह्वे जैलू, जै से पाणी स्रोत बच्यां राला, गाजी तैं पाती मिल्ली, बच्चों तैं सुद्ध हवा मिल्ली। ब्वले जावो त शादी मा लगयूं डाळू ब्वै-बाबऽन अपणी औलाद तैं भविष्य मा हवा पाणी इन्तजाम कर्याली। 

पार्वती मंगल ग्रन्थ अर मैती आन्दोलन

रावत जी कु ब्वनो छ कि लोग ब्वल्दन मैति आन्दोलन कल्याण सिंह कु छ, पर मि बोल्दु कि हमारी पुण्य भारत धर्ती पर यनु काम युगों बटिने होणु छ, शिवजी-पार्वती अर राम-सीताऽन बी अपणा ब्यौ पर डाळा लगायी छै ये कु वर्णन पार्वती मंगल ग्रन्थ मा मिल्दू। मैति आन्दोलन का प्रभौ से अब गौं-गौं मा मैती संस्था बणिगे। ये पुण्य मुहिमऽल उत्तराखण्ड मा कति रिवाज बदल्येनी, जन ब्यौ मा बर का जुत्ता च्वरण रिवाजा एवज मा ब्योली सौंजड्या बर-ब्यौलि तंै डाळा लगाणु द्येला अर बरनारण माराज जुत्ता वळा पैंसा वे डाळा बचैणा खातिर गौं कि मैति अध्यक्षा मा द्येलु। अब त लोग परिवार का कै मनखी गुजरणा बाद वांऽकी याद मा बी डाळा रोपणा छाँ। आज मैति समूह का माध्यम से कति मैति बण अस्तित्व मा औण लग्यां विषेश कर मंदाकीनी घाटी ये मुहिम मा सबसे अग्रणीय छ।  
1995 से सुरु ह्वै धर्ती कु सबसे बडू पुण्य आन्दोलन मैति द्यखदा द्यखदा उत्तराखण्ड से देश, अर देश से विदेश मा पौंछिन अर आज पर्यावरण संरक्षण मा पूरो संगसारो नेतृत्व कनु। इनडोनेशियाऽल त येतैं अपणा कानून मा बी सामिल कर्याली। धर्ती बचैणे ये मुहिम का चल्दा श्री कल्याण सिंह रावत जी तैं कत्गा सम्मान मिल गैनि, ये कि कड़ी मा भारत सरकारऽन बी अपणा ये धर्ती पुत्र तैं 2019 कु सर्वश्रेष्ठ नागरिकता सम्मान पदमश्री से नवाजी। मैति आन्दोलनों कु असर छ कि आज हमारा  उत्तराखण्ड मा हरेला पर्व जना हौर कति अभ्यिान छ जु धर्ती बचैणा खातिर हर साल वृक्ष रोपणों काम कना छ। आज पाड़ क्या सेरों मा बी हर नयां दम्पती अपणा ब्यौ पर डाळू लगाण स्टेटस सिम्बल माणद। 

लोक माटी वृक्ष अभिषेक 

    पर्यावरण संरक्षण तैं भावनाओं से ज्वन क्वै रावत जी से सीखा, रावत जी यनु एक हौर किस्सा बतौन्दन, बात सन् द्वी हजार तीन की छै जब टीरी डामों काम पूरु ह्वे पुराणी टीरी जल समाधी ल्योंणे तैयारी पर छ,ै अर पुराणी टीरी का जाग नयीं टीरी बसीग्ये छै। इलाका का सब्बी जन नामाण दुःखी छाँ किलेकि जमीना टुकड़ा दगड़ जल समाधी ल्येणु छैं एक ऐतिहासिक नगर, एक समृद्ध सांस्कृति विरासत, लोक भावना का दगड़ मा युगों कु जीवंत इतिहास। खैर स्थानीय लोगुं तैं घर कुड़ी जमीन जैजाद बदली रायवाला, द्यरादूण, हरिद्वार मा सैणि जमीन मीलिन अर पैंसा पाई बी छक्की मिल्यां। पर जलम थाती-माटी पीड़ा की भरपै वे पीड़ी तैं अपणा ये जलम मा त मुस्किल छ जोंका बाळापनऽल तख ग्वै लगैन घुड़मुन्डी खैली, ये कांडे पीड़ा वूंका आँखा खुल्यां रौण तलक रै ह्वली या राली।
  रावत जीऽन ये विरासत तैं समलौणा रुप मा एक हौर भावनात्मक पैल करि, जैका तहत पुराणी टीरीऽ मुख्य ऐतिहासिक जगों माटु थैलों मा भौरि नयीं टीरी लिहीग्ये अर वे माटा मा वख डाळा लगेन। रावत जी तबारि गौचर डायट मा कार्यरत छाँ। डायट का दगड़या, एन एस एस छात्र संघटन अर हौर माटी प्रमियोऽन रावत जीऽकी ये पैल मा पूरी मदद करि। 20 दिसम्बर 2003 का दिन लोक माटी वृक्ष अभिषेक कार्यक्रम हुर्यीग्यों। वे दिन एक विशाल जुलूस का दगड़ पुराणी टीरीऽ बटिन पैंतीस ऐतिहासिक जगों माटू थैळों मा भौरि नयीं टीरी भागिरथपुरम मा ल्येनि अर जगह का माटा मा वूं जगहों याद मा डाळा लगेन। आज वां सब ऐतिहासिक स्थळ डाळा रुप मा अमर छ औण वळि पीड़ी तैं अपणी विरासतैं याद दिलाणा वास्ता।
पर्यावरण संरक्षण संकल्प हस्ताक्षर गिनीज रिकार्ड

रावत जी यना पर्यावरण पिरेम छाँ जोन सदानी पर्यावरण संरक्षणा खतिर अलग किस्मों काम करिन, ये ही कड़ी मा 2006 एफ आर आई शताब्दी वर्ष मनाणों कार्यक्रम छ। रावत जीऽन उत्तराखण्ड शिक्षा विभाग का माध्यम से सब्बी स्कूलों तैं चिठठी ल्येखी कि हर स्कूल एक मीटर हरा कपड़ा पर बच्चोंऽक पर्यावरण संरक्षण संकल्प हस्ताक्षर कैर एफ आर आई भेज्यां। सब्बी इस्कूलोंऽन ये मा दिलचस्पी दिखेन अर एक मीटर कपड़ा मा स्कूल्या नोनूऽ सैन करै द्यरादूण भ्येजी। शताब्दी दिवसा दिन रावत जीन द्यरादूण का सब्बी बड़ा स्कूलों विद्यार्थीयों तैं बुलायी अर नौनियों मा सब्बी कपडों तैं सिलवै, यो कपडा सीलणा बाद 2 किलोमीटर लम्बो कपड़ा बणि जै फर 12 लाख बच्चों का पर्यावरण संरक्षण संकल्प हस्ताक्षर छया। पर्यावरण संरक्षण संकल्प हस्ताक्षर का ये कपडा से वे दिन एफ आर आई की पूरी ऐतिहासिक बिल्डिंग लिपटे गैन। उत्तराखण्ड का तत्कालीन राज्यपाल महोदय अर एफ आर आई डारेक्टरन रावत जी की ये अद्धभुत कामें भूरी भूरी प्रसंशा करि। पर्यावरण सदभौ मा यो काम पूरा विश्व कु यकुलो काम ह्वेन ये तैं गीनीज बुक मा दर्ज कनो भी प्रस्तावित रख्ये ग्यो पर परशासने उदासीनता चल्दा स्या काम नि ह्वै साकू। वा द्वी किलोमीटर कपड़ा आज बी एफ आर आई का म्यूजियम मा संरक्षित छ।

वृक्ष भक्त मैती जी  

   उत्तराखण्डे जै द्यो भूमि मा कल्याण सिंह रावत अर वूंका जना कतिगा होर अनन्य प्रकृति पुत्र ह्वो वख किलै ना प्रकृति उपहार का रुप मा कुछ अद्धभुत ना द्यो, ये कु उदाहरण छायो उत्तरकाशी मोरी ब्लॉक टोस नदी किनारा त्योंणी किरोळी तपड़ मा एशिया कु सबसे लम्बू चीड़/कुळैं वृक्ष। ये वृक्षै लम्बै 85 मीटर छै ये डाळा तैं तीन बार महावृक्षै उपाधी बी मिलिन। जख मनखी तैं धर्ती पर जीवन संरक्षण कु मुख्य माध्यम मान्ये जान्द वखि मनखी दुर्भिक्षता जीवन नष्ट कना केन्द्र बिन्दु मा बी रैन। टोंस नदी किनारा किरोळी तपड मा यु कुळैं महावृक्ष बी मानव हस्तक्षेप कु सिकार ह्वै। 2007 से पैल्यों या महावृक्ष अपणा जीवन उत्तरार्ध से न जाण कतिगा साल से दुन्यांऽ लोगूं आकर्षक छै। पर्यटक भिज्यां संख्या मा येकु दिदार कना वास्ता आन्दा छाँ।
    मनखिऽक लालसा ब्वले जावो या कुकृत्य या सरारत, जु लोग तख तै डाळू देखण आन्दा छाँ वूं मा अधिकतर लोग डाळा तना तैं खुर्ची अपणु नौं या दिल कु निशाण खुदे देन्दा छाँ यांकु बुरु असर से डाळा पर इन्फेक्शन ह्वैन अर डाळू भिर्तें बटिन ख्वकळु ह्वने, रावत जीऽन ये कि सूचना एफ आर आई तैं दिनी वूंन कुछ उपचार त करि पर वा जादा कारगर नि ह्वे सकि। वन विभाग अर पर्यटक विभाग तैं पता होंणा बाद बी वून लोगुन ये करामात तैं रोकणैं क्वै कोशिश नि करि। मानव हस्तक्षेपा कारण 2007 मा एशिया कु यो महावृक्ष खतम ह्वेन। वेका बाद रावत जी अर एफ आर आई का वैज्ञानिकोऽन दुबारा इनु हि प्रजाति कु वृक्ष तैं, ते जगह लगाणों प्लान करि ये वास्ता वे महावृक्षै याद मा एक जल कलश यात्रा आयोजन करै ग्यो जै मा त्योंणी अर आस पास का 12 गौंऽक लोग बाजा गाजों दगड़ ऐनि अर वे जहग पर नयूं कुळैं डाळु रोपिन। क्वै बी डिर्पाटमेन्ट जन बी ह्वो अद्यलो बुस्येलो काम त कने रैन्दू पर काम का पैथर सच्ची पीड़ा डिर्पाटमेन्ट तैं ना बल्कि अनन्य पिरेमी या भक्त तैं होन्दी इना ही वृक्ष भक्त छ हमारा मैती दिदा। 

उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र कु सेवाकाल

पदमश्री कल्याण सिंह रावत जीऽन शिक्षा विभाग मा अपणी सेवा सह अध्यापक अर प्रवक्ता रुप मा दिनी ये का अलौ रावत जी जिला शिक्षा एंव प्रशिक्षण संस्थान (डायट) गौचर चमोली, सर्व शिक्षा अभियान जिला कार्डीनेटर देहरादून जन महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करि। ये का अलो रावत जी 2009 से 2012 तक उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र द्यारादूण मा वतौर वैज्ञानिक डेपुटेशन पर सेवारत रैन। यख बी वूंकि उपलभ्धि अनुकरणीय रैन। उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र मा रावत जी कि उपलभ्धि  नन्दादेवी राज जात मार्ग कु जी पी एस रुट मैप तैयार कन, उत्तराखण्ड का सब्बी इस्कूलों आंगनबाड़ी से इन्टर काॅलेजों पैलि बार जी पी एस मैपिंग बणान अर हरिद्वार महाकुम्भ मैळा मा इसरो का वैज्ञानिकों दगड़ सैटेलाईट सर्वीलांस जना ऐतिहासिक काम रैन। ये दौरान वूंतै भारत सरकार द्वारा बेस्ट साइंस अचीवमैन्ट अवार्ड से बी नवाजे गयां। 

पर्यावरण संरक्षण का हौर अनन्य नवनीय कार्यक्रम

पर्यावरण संरक्षण की पीड़ा रावत जी मा जीवन पर्यन्त रैन अर अज्यों बी छ ये पीड़ा तै दूर कना वासता वा निरन्तर अभिनव प्रयोग कना छाँ। सर्व शिक्षा अभियान जिला कार्डीनेटर देहरादून का कार्यकाल मा रावत जीऽन त्रीपल एफ  (FFF) Fruit For Further यानि भविष्य का वास्ता फल मुहिम सुरु करिन ये का तहत हर इस्कूल का तमाम मास्टर हर साल एक फल कु डाळु लगाणें प्रावधान धरि ग्यो अर मास्टर जी द्वरा अपणा पाँच प्रियतम विद्यार्थीयों से वीं डाळे समाळ संरक्षण कनो काम दिये ग्यो। ये मुहिम का तहत 40 हजार फल का पेड़ अर चार लाख फल उत्पादन कु लक्ष्य रख्ये गयु। यो भविष्य मा खाद्यय संकट तैं दूर कन मा दूरगामी प्रयास छायी लेकिन वूंका रिटैर आणा बाद यु कार्यक्रत कुड हलन्त मा चल्ग्ये पर अज्यों बी रावत जी सरकार का माध्यम से प्रयासरत छाँ। 
 ग्राम गंगा अभियान 

2014 मा रिटैर होणा बाद रावत जीऽन प्रवासी उत्तराखण्डीयों तैं अपणा गौं माटी से भावनात्मक रुप से जोड़णा वास्ता ग्राम गंगा अभियान सुरु करि। ये का तहत प्रवासी भै बन्धू अपणा द्बता थान मा एक गुलक रखी वेमा हर दिन एक रुपया अपणा गौं का नाम डाळदा। अर 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस का दिन ये तैं अपणा गौं मा भेज देन्दा। यूं पैंसों कु क्रियान्वयन अर गौं का बच्चों तै पर्यावरण से जुड़ण का खातिर वूंन USERC ( उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र)  देहरादून का माध्यम से गौं गौं मा बच्चों कु एक स्मार्ट ईको क्लब बणयूं छै। यो क्लब गौं की महिला मैती संस्था का दगड़ मिली कर प्रवासी भै का पैंसों से वूं का नौ कुे एक डाळु लगान्द। 100 रुप्या हर बच्चा तैं वे डाळे समाळ संरक्षण का वास्ता दिये जान्द बाकी बच्यां पैंसा गौं का शिक्षा स्वास्थ्य तैं लगान्द। यो कार्यक्रम प्रवासी लोगों तैं अपणी माटी से ज्वन कु अभिनव प्रयोग छ अर जगारुक पर्यावरण प्रेमी प्रवासी लोग येमा भौत दिलचस्पी लेणा छ। ये अप्रीतम काम कु सर्रा राज्य मा हौर प्रचार प्रसार की जर्वत छ ताकि सब्बी प्रवासी लोग होर प्रगाड़ रुप से अपणा गौं माटी से जड़ला।  

आगामी योजना त्रीपल पी (PPP) पाँच पेड़ पीपल

सब्बी जणदन वर्तमान मा कोरोना मामारी का चल्दा पूरो देश लौकडौन हुयूं छ जै का असर से प्रकृति तैं सांस लेणु मौका मिली अर पर्यावरण शुद्ध हवा पाणी देण लगीग्ये। श्री रावत जी की भविष्य योजना छ कि उत्तराखंड तैं स्वच्छ धर्ती बणाण त हर गौं मा पाँच पीपल का डाळा लगाण जरुरी छ। किलै कि पीपल आक्सीजन कु सबसे प्रमुख स्रोत च या वृक्ष रात का टेम पर भी ऑक्सीजन कु उत्सर्जन कर्दू। ये मुहिम का खातिर हमारु उत्तराखण्ड भविष्य मा ऑक्सीजन कु हब बणि जैलु जै से आध्यात्म राज्य मा पर्यटक का विकास मा भी वृद्धी ह्वली। रावत जीऽन पीपळा डाळा उगाणु काम एफ आर आई देहरादून मा सुरु कर्याली।   

अवार्ड /पुरुस्कार

पुरुस्कारों की बात करै जावो त जनवरी 2020 तलक रावत जी तैं सरकारी अर गैर सरकारी संस्थों द्वारा लगभग तीन दर्जन से जादा अवार्डों से सम्मानित करैगे, यूं मा मुख्य रुप से पदम श्री, बेस्ट साइंस अचीवमैन्ट अवार्ड भरत सरकार, गढ़ गौरव, गढ़ विभूति, दून श्री, उत्तराखण्ड रत्न, शिवानन्द फाउंडेशन अवार्ड, दधीची अवार्ड आदि भौत लम्बी लिस्ट छ। हाँ एक बात मि यख जरुर बोलण चान्दू कि उत्तराखण्ड सरकारन अज्यों तलक अपणी ये प्रतिभा तैं क्वै सरकारी पुरुस्कार नि दीनि आशा छ सरकार यीं बातौ सज्ञान ल्येली। 
जीवन मा अवार्ड रिवार्ड, मान सम्मान, पूजा प्रतिष्ठा या दंड तिरिस्कार सोब कर्मो की देन छ, बलऽ जन बुतला उन काटला, साब जीवन आउट पुट इनपुट का सिद्धान्त पर काम करदू ये मा क्वे सकै गुंजेस ही नि छ। लठ्ाऽ बदली लठ्ऽ ही मिलद फूल मिलण सै रै। गीता मा भगवान कृष्ण अर्जुन तैं ब्वोलदन -:
न कर्मणामनारम्भान्नैष्कमर्यं पुरुषौऽश्नुते । 
न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति ।।  
हे अर्जुन खालि कर्म सुरु कण से क्वे सिद्धी प्राप्त नि ह्वे सकदी ना ही कर्मों कु त्याग करि भग्यान बणिन। नैष्कर्म सिद्धी प्राप्त कना वस्ता कर्म त कनें छ बल्कि लगातार अर लगातार वीं कर्म कु अभ्यास होण जरुरी छिन। बल “योगः कर्मसु कौशलम्“ अर्थात कर्मों मा कुशलता ही योग छ अर कुशलता का वस्ता मन कर्म वचन से वे काम मा घिसण अर तपण पड़दू तब जै किन कखि कुशल बणि सकद। कुशल मनखी चट सफल ह्वावो यां कि बी क्वै गरैन्टी नि छ, जन पैली बी उधृत छ कि सच्ची सफलता का पिछने लम्बी समयवद्धता, संयम अर कर्मों की लम्बी पृष्ठभूमि होन्दिन। यना ही निष्काम कर्मों की पृष्ठभूमि से आज हमारा कल्याण सिंह रावत ‘मैती‘ जी प्रकृति, पर्यावरण अर समाज सेवा मा दुन्यां का आईकॅन छाँ। रावत जी का कर्मयोग से नयीं पीढ़ी प्रेणा ल्येली यन मेरु परम विस्वास छ, अर हम सब्यों कर्तव्य छ प्रेणा दियेण बी चैन्द निथर यू धर्ती फिर जल्दी उनी उसर ग्रह खण्ड बणि जाली जन ब्रहमान्ड का हौर ग्रह छिन। 

@ बलबीर राणा ‘अडिग‘ 
मटई चमोली 

पूरो लेख श्री रावत जीऽका विस्तृत साक्षात पर आधारित छ। 

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