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Monday 15 April 2024

गीत : उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु

 


छैल डाळू कु रिश्ता 

उकाळ कु उंदार 

भौंरा फूलों कु दगडू 

गैंणा अर अगास 

उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।


जन अँख्यूँ कु द्योखणू 

कंदुडियूँ कु सुणणू 

गिच्चा कु बोलणू 

ख़ुट्टों कु हिटणू 

रसना अर स्वाद का जन 

उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।


जन मुखड़ी अर ऐना

निंद अर स्वेंणा 

ज्यू अर रीस 

कंठ अर तीस 

पुटुग अर भूख का जन 

उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।


जन नाक अर नथुली 

घसेरी अर दथुली 

हळया अर सिंटगी 

गुडै अर कुटळी 

सिपै अर बन्दूक का जन 

उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।


जन गात अर झगुली 

डोंर अर थकुली 

कृष्ण अर बंसुळी 

ठंगरा अर लगुली 

ढोळ अर दमुवा का जन 

उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।


माछी अर पाणी 

गुरू अर वाणी 

कला अर कलाकार 

झूठ अर गळदार 

कवि अर कविता का जन 

उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।


गीत : बलबीर सिंह राणा 'अडिग'


Sunday 14 April 2024

कुण्डलिया

 

फजलै सेवा लगान्दू, द्यौ सूरज भगवान।

सेवा लांदू ब्वे-बाबा, गुरू ब्रह्मा प्रणाम।।

गुरू ब्रह्मा प्रणाम, ध्येनी जीवन उल्याळौ।

धरती मा ज्योणूक, ध्येनी कटकटौ सारो।।

जिंदगी जौं परताप, कटेणी सौजी सजिलै।

यीं स्वाणी धर्ती को, छ दर्शन होणू फजलै।।


@ बलबीर राणा 'अडिग'

मनहरण घनाक्षरी : पैंसा

 


पैंसौं की छ यारी सारी, पैंसौंन क्या-क्या नि सारी।

पैसौं की छ माया सारी, पैंसा सार-तारी चा ।।

पैंसा नि त रकबक, पैंसा परे झकमक।

पैंसौं मा यी घल्च-बल्च, पैंसा यी गुज़ारी चा।।

 

पैंसा पैंसा करि त्वैन, जिंदगी कु सार ख्वैन।

सदानी जोतियूँ रयूँ, बणी रयूँ बैल चा।।

संगता अंग्वाळ भौरी, दिन-रात करि जोड़ी,

सुख ल्यौणू तैं मनखि,  ह्वै जांद तू घैल चा।।

 

@ बलबीर राणा अडिग

14 Apr 24

Thursday 11 April 2024

अफ्वावों पे ध्यान ना द्या

अफ्वावों पे ध्यान ना द्या

झुट्टों तैं सम्मान ना द्या


बोल-बचन जुबाना पातरौ
सुद्दी तबो ज्ञान न द्या।

निमाणा ईमानदरों बस्ती मा
चकडैतों उणि मान न द्या।

सच करड़ू ब्वने हिगमत नि त
चिफळी गिचौ विषपान ना द्या।

कन द्या वूंतैं अपणी मर्जि को
अपणु थोप्यूँ व्यौधान न द्या।

ऐड-चैड काम नि औण जोन
सु झुट्टा आसौ दान ना द्या।

मनखी पच्छयाणी वोट करा
हैका बोल्याँ पर बेमान न द्या। 

11 अप्रेल 2024


Wednesday 10 April 2024

बेटी जाणा बाद

 



बेटी जाणा बाद
घौर ह्वे जांद
जन
बिगैर बाछी साळी
बिगैर बल्दों पाळी
बिगैर पोथुल्यूँ फजल
बिगैर घ्वीडों चाँठू
बिगैर गेणों रात।

बेटी बिदै बाद
ब्वे बुबा रै जांद
बल्द बेच्याँ जन
खौळयाँ।

बेटी बर्यती धूम-धाम
चैल-पैला बाद
उबरा डंडयाळी मा
पसरी जांद
यकुलांसौ सुनपट
अर 
भैर भितर सुणेदू
अद्दा रातौ जन
गदनों डरोण्याँ सुंस्याट।

©® बलबीर राणा अडिग 

Saturday 9 March 2024

ब्वै फजलै जात्रा



ब्वै फजल उठ जांदी छै 
या
वीं का उठण सि फजल होंदी हो 
ख्वणी-ख्वणी
ना फजलन जाणी ना ब्बैन ।

खादरा, धुर्पला अर 
भैर संतरा डाळी मा 
चुँच्याँदी घिन्दुड़ियाँ 
ब्वै तैं जगौंदी हो 
या कि!
ब्वै उठणा खबसाटन
स्या फजल होणु इशारा करदाँ हो
ख्वणी-ख्वणी
ना घिन्दुड़ियून बतैन ना ब्वैन पूछी।

तै मंगरन बि कब्बी
वीं तैं अहो! ना, नि करि
कि अज्यूँ मि नांगी छौँ 
कख छन तू बंठा ल्ये
यति हुर्रमुर्रा मेरी निंद ख़राब कनी।

चम्म घाम चमचौंण तक
हम फसोड़ी सियाँ रौंदा
ब्वै कि बाँटी अद्दा निंद
अर
ब्बै बिजीं रौंदी छै
हमारा बाँटिग अद्दा राती तक।

घामा औण तलक 
सु बगत ही तति लम्बो होन्दू हो
या ब्बै का तति लम्बा हाथ 
कि स्या सब्बि काम छंटयै छुँटयै 
खाली ह्वे जांदी छै
हमु तैं लाड़ करि उठाण उणि।

दादौ हुक्का भरी जांद छौ 
जुठ्ठा भांडा सुखिला ह्वै जांदा छाँ 
भैर भितर खौड़ सोरयूँ रैंदो छौ 
गुठयार पुन मौळ सुतर ह्वे जांदो छौ 
अर
गौड़ी भैंसी मु साळी बैठी
कुछ दूध भितर परोठा उंद
कुछ केतली उंद लड़बड़ी चा मा 
अर कुछ दूध भद्याळी उंद
ताताणु धरयूँ रैंदो छौ हमारा वास्ता।

आटू औल्याँ खस-खस्सा
हाथन जब ब्वै उठौन्दी छै हमुतैं
तब
हमारी पुतळणयाँ मुखड़ी
समणी होंदी छै
घाम से भी दमकौँणयाँ 
वीं कि मुखड़ी
अर स्या
लड़बड़ा चा गिलास दगड़
बोल्दी उठा बा, छाँट उठा 
आज तुमारा पिताजी औणा म्येल्यौ
भैर ठंगरा मा बैठी
सु कव्वा रैबार ध्ये गयूँ।


@ बलबीर राणा 'अडिग'
मटई ग्वाड़ बैरासकुण्ड

भजन

 



मनख्यूँ का गैल्या,

पाप भर्यों मैल्या

चल पंछी बणी जौला

बद्री विशाल का चरणों मा

चल माथा टेकी कि औला

जै बद्री बोली कि औला

जै बद्री बोली कि औला 


दुन्याँ का रंग मा नि रंगणु 

तैं रंग मा पाप भर्यों चा 

माँ चंद्रवंदनी को मंदिर

ऊँचा डांडा मा कन सज्यूँ चा

प्वतळयूँ  का भेष मा जौला

बादळ बणी कि उड़ी जौला

माँ चंद्रबदनी का चंरणों मा

फुल पाती चढ़े कि औला।

जै माता बोली कि औला

जै माता बोली कि औला 


जै माता जै माता जै माता जै

जै माता बोली कि औला। 


काली मठ मठणयाँ काली

हे माता तू रक्षा कारी

केदार कांठा भोले शंकर 

हे बाबा रुष्ट ना ह्वायी

सौजी उकाळ चढ़ोला 

बाबा का दर्शन कर्योला 

बाबा केदार का लिंग मा

जल दूध फूल चढ़ोला

जै केदार बोली के औला

बम बम बम बोली औला 


गढ़देवी माँ धारी माता

सुरकंडा सुरकूट कांठा 

जगपाल माता जगदम्बा

देणी हुयाँ ईष्ट देवी नंदा 

माँ नंदा जात मा जौला

झूमी झूमी जागर लगौला 

चौ सिंग्या खाडू का पीठी मा

माता भिटोळी चढ़े औला

जय नंदा बोली कि औला

जय भगोती बोली कि औला।


गढ़भूमि हमरु गढ़वाल

वीरों भड़ों की चा थाती

तेरा खातिर मरि मिटी जौला 

गढ़भूमि हे जलम माटी 

पुरखों का बाटा हिटोला 

छाँचड़ी झुमेला ख्यलोला 

ढ़ोल दमोंऊं की थाप मा

पाँच भै पंडो नचौला

जै गढ़भूमि बोली कि औला

जै गढ़वाळ बोली कि औला। 


जै माता जै माता जै माता जै

जै माता बोली कि औला

जै बद्री बोली कि औला

जै बद्री बोली कि औला।


मनख्यूँ का गैल्या,

पाप भर्यों मैल्या

चल पंछी बणी जौला

बद्री विशाल का चरणों मा

चल माथा टेकी कि औला

जै बद्री बोली कि औला

जै बद्री बोली कि औला 


@ बलबीर राणा अडिग