छैल डाळू कु रिश्ता
उकाळ कु उंदार
भौंरा फूलों कु दगडू
गैंणा अर अगास
उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।
जन अँख्यूँ कु द्योखणू
कंदुडियूँ कु सुणणू
गिच्चा कु बोलणू
ख़ुट्टों कु हिटणू
रसना अर स्वाद का जन
उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।
जन मुखड़ी अर ऐना
निंद अर स्वेंणा
ज्यू अर रीस
कंठ अर तीस
पुटुग अर भूख का जन
उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।
जन नाक अर नथुली
घसेरी अर दथुली
हळया अर सिंटगी
गुडै अर कुटळी
सिपै अर बन्दूक का जन
उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।
जन गात अर झगुली
डोंर अर थकुली
कृष्ण अर बंसुळी
ठंगरा अर लगुली
ढोळ अर दमुवा का जन
उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।
माछी अर पाणी
गुरू अर वाणी
कला अर कलाकार
झूठ अर गळदार
कवि अर कविता का जन
उनि रिश्ता छ तेरु-मेरु।
गीत : बलबीर सिंह राणा 'अडिग'