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Tuesday 19 May 2020

गजल



मनखी खुशी बगत सदानी द्वकुलु होंदू,
न जाण खैरी बगत किले यकुलु होंदू।

जों उण्स-बिण्सों पे ध्यान नि देन्दा हम,
वा, दुन्या तैं फट-फटांग चमकिलु होंदू।

त्वा अपिछने जति जोड़ा जुत्ता फाड़दू,
वा भैसाब मुख समणी वति मयलु होंदू।

छुयों फिटकरिन जु मथि छाळो लगदू,
मनसा जड पर वा वति़ कौजलु होंदू।

खुण्सो ज्वा बाटु सिद्दा असौंग चितान्दा,
अडिग, चकडै़तों तैं वा भलु सजिलु होंदू।


उण्स-बिण्सों - नुक्ता बात
खुण्स - अछूत, गतल

@ बलबीर राणा 'अडिग'

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