ब्याली बुबान पुर्यायी
आज तुम छाँ पुर्योंणा
भ्वोळ नोना पुर्याला
यू छिन अगळ्यार
जै कि बारी आयी
वेन गाड़ी दौड़ायी
सब्योंन अपणा बारा
गारा पिसण
घट का सल पर छः
यू सर्री पिसै
कैकु मैदा जन महीन
कैकु पींड जन दड़दड़ो
अर कैकी
भंवार* भी नि भर्यएंदी
भौंड़* बणि मथि-मथि उड़ि जांद
हाँ, ये मा घटsन वत्गा र्फियोंण
चै नाज उड़ो या छिर्यों।
* भंवार = घट मु पिस्यां आटे ढांड।
* भौंड़ = पिसाई का दौरान उड़न वालो आटो।
@ बलबीर राणा 'अड़िग'