रुणझुण बर्खा
छुम्यां छम्यां पाणी,
कख हर्चे बसग्याळ
तेरी वा बाणी,
अब किले इतगा
रोष मा आंदी,
किले ज्यू जमाणा
घौ करि जांदी।
जुग बटिन तु
धर्ती सिंचणी रे,
हरी भरी लता
कु आषीश देणी रे,
अब बादळ फाड़ी
बिणास कनि चा
रगड़ बगड़ मचे
जीवन घैल कनि रे।
अब किले कनि
इतगा तुथ्याणि बुत्वाणी
अब किले इतगा
जल परलै मचाणी
रुणझुण
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कब्बी जमाना
मा तेरा गीत गांदा छाँ,
चैमासे लर्कातर्की
माया भिजान्दा छाँ,
मन मोण्यां होन्दा
छीड़ा छंछणा
गाड़ गदन्यां
हैंसी खैली बगोन्दा छाँ।
अब चटमताळी मार्दी
बदळों की गाणी
सब्बी चबट कर्दु
ज्यू जमाणे की धाणी
रुणझुण
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घर कुड़ि लपेटणु
मवसी कि मवासी
हेरां ब्वनू
नि छौडणु कनु तैसी नैसी
किले बसग्याळ
तु अभिषाप बणिग्ये
चैमासी का गीत
छोड़ी कंराट ह्वेगी
तु बी कलोकाल
जनि कनि रे स्याणी
तब्बी त हर साल
मनखी डुबाणी
रुणझुण
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@ बलबीर राणा
अडिग