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Sunday 10 July 2016

भाजण द्या


भाजणा छिन भाजण द्या रुकाणु सवाल बिल्कुल नि,
जर्वत ह्वली हैक आळा मन्खियों अकाळ बिल्कुल नि।

पंख त पैली वों पर लगिन जु पलायनक रुण रुणा छिन,
देखा-देखी सब्युं का उड़ी अब कैकु सवाल बिल्कुल नि।

लगीं छिन आग जब चौं तरफ़ा सब्युं का फुक्येलु मेरु क्या,
पाणि ल्येणु सांसु नि छिन त जग्णु मलाल भी बिल्कुल नि।

बल सुख सुविधओं की बात नि होंदी त पाड़ वाळी बाते नि,
गाड़ी मा चलणे आदत जु पड़िन उकाळे बात बिल्कुल नि।

@ बलबीर राणा 'अडिग'
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