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Friday 25 December 2020

मनखी अर राक्ष गण

 


जीतु बर्तवाल अर संतोषी बर्तवाल एक पाथु दुसरु चार सेर, कब्बी छत्तीस त कब्बी तिरसठ। बल भगवानल मिलै जोड़ी एक अन्धू एक कोड़ी। कद काठी मा मर्द गळदमु गोलु अर जनानी चटपटी छिपाड़ी। उमर मा द्वीयेक सालो फरक। रंग रुप त बिलकुल एकनस्या कळसौंळा कनय्या। द्वी जातकों मा चार जातकों का गुण। कै दफे घुघता घुघती एके घुर घुर दगड़ हैके घुघूऽऽती। कै दफै एक सुर मा़ अड़काट ह्यांऽऽ, ह्यांऽऽ क्वासां हिलांस। कबैर तोता मैना एक गळज्यू पाणि गुटुर गुटुर। अर बाज बाज बगत निरखालिस सिंटुला एक किबचाट कज्ये झग़ड़ा, माच्यो धिच्यों रांड भांड।

      द्वी बीसी तलक कु आचार विचार त इनु तैलु सीलु रैन पर येका बाद जनी जनी घ्वोळा पौथुला अयांणा सयाणा होण लगिन अर द्वीयें उमर अदरण अनुभौ बाटा जाण लगिन उनि उनि हल्ला रौळी जादा। जख दिर्घम धीर ह्वोण रौण खांण छयी वख अजाण बाळोपनो जन छिंजयाट। निरा सिंटुला। उच्याट्या गौड़ी जन सुदी ठ्यां लत़, अर मर्खु बल्दक जन सुदी सिंगा घच्वोळ। एक हैका तैं झर्रऽ-झर्र। काम धाम स्यूं पर जुत्यां बेलौं जन बाकि बगत खित्र्यां बल्दों खिर्त। एक हैके बाते सै ना सावो। छवऽटी म्वटी बात पर घचर पचर, कचर कचर। बिगैर बात कु भारत पाकिस्तान अर बिगैर खून ख़त्री कु माभारत। चैबीस घंटा मा वा छः सात घंटा निन्दो टेम गाळ ना जयां। माच्यो धिच्यो अर रांड फांड आम बात ह्वेग्ये छै।

      उन त टिपड़ा मिलोण बगत पंडेजिन बतै छै कि भै गरह नछतर से त जलमपत्री सेंड परसेंट फिट, इन मिल्यां जन घट्टा क जन पाथर चप्पऽ। भाग मा द्वीयूँ कु कुबेर विराजमान, खूब फलण फूळणों जोग छन। पऽर जजमानों ! गण जर्रा सि काण म्योण कनु म्येल्यौ। नोनु मनखी अर नोनी राक्ष गण ह्वेग्यां। द्वीयूं मा कब्बी कबार झगड़ा फिरसाद होणें रैलु। चलोऽ इत्गा बड़ी बात नि यीं कु इलाजो बि विधान छैं छिन। कैरीं कि कारण कु निदान होन्दन। बागदाना बगत एक तांबे तौली अर द्वीयूं फिट नाप क पिंगळु बस्तर ल्ये लियां वखिमु निबटे द्यूला तुम चिन्ता ना कैरा। उन बि कैकी गिरस्थी बिगैर कज्ये झगड़ा रैन्दी क्या। यो त युंका टिपड़ा मा ऐग्ये तब ब्वनु निथर तखुन्द देशों मा बिगैर टिपड़ा का राजन बाजन रैन्दा लोग। गंवार मन कु थंवार कन पड़दू। अर द्वी झणों का बीच जर्रा तू तू मैं ना ह्वावो त बात ही क्या ? इलै त स्वेण मैंसा तै कज्ये कज्याण बि ब्वल्ये जान्द।

      जीतु (जितेन्द्र) बारा पास कना बाद नौकरी वास्ता सैर चलग्ये छै, कुछैक साल मस्टोल मा रौणा बाद जलनिगम मा परामानेन्ट ह्वेगी छै। संतोषी सात भै बेंणियों घिमसाण मा जेठि बांठी होण से दर्जा पांच बाद इस्कूला बाटा ढुंगु फर्यक्याली छै पर स्या ठकुरेंण घर गिरस्थी बाटा खड़िंजा खूब बिछौण लगीं छै। संतोषिन अग्ने स्कुल त नि पढ़िन पर बाळापन बटिन खूब समझ हौंस रौंस चंट चालाक छै। किरमुळा जन लकार्या अर हिगंतर्या। यीं गुण होण से वा जिदेर बि भिज्यां छै। कब्बी कैन वूंकि बाड़ी सगौड़ी पुंगड़ा जर्रा उच्छयाद क्या करिन कि ब्वै से अग्ने द्वी लपाग पटम पिटे चटमताळी गाळयूं बर्खा कर्दी छै। लोग सीं नोनी बबर्राट सूणी हकदक रैन्दा कि भ्वोल स्या सौरास जाली त न जाण क्या कर्ली। नोनी कि छत्ती ब्वै बाबान जने उठण क्या देखी कि उनि हाथ पिंगळा कने कतामती होण लगिन। ठिक सतरा साल मा नोकरी वळु नोनूऽ रिस्ता क्या ऐनी स्यूं डवला सौरासा पौंछे दिनी।

      सौरास पौंछन्दा सयी संतोषिन गिरस्थी पर चम्म अंग्वाल भर्याली छै। मैत बटिन ब्वैन गिरस्थीऽ बाटु खूब दिखै सिखै छायी, भैर बण बोट, डोखरा पुगड़ी, रिस्ता नातु, बटिन भितर साट्यूं कुठार, झंवरा कुलाणा, ड्वार सतकार अर चुलाणा परे बाड़ीऽ भद्याळी तलक। देह मा स्या जत्गा कमति छै नाक मा वत्गा लम्बी तड़तड़ी। उतळु ज्यु र्खिस्याळु मन। दुन्यां से़ अपणी अग्ळयार चूंडी ल्येन्दी। काम काज भारा बोझ से सरील पर दया ना। किर्मुली हिकमत खिर्स का पिछने शरील कु जौळ बणे ढिक्का पिसणु रैन्दू पर क्या मजाल कि गिचू ऐ ब्वै ब्वली द्यो। सर्रा गौं मा जित्वे ब्वारी काम काजे हाम ह्वेग्ये छै। गौंका दाना सयाणा छुंवी लगान्दा कि ब्वारी ह्वो त जित्वे जन ह्वो। सूत ब्येन्ते इनि कि कैका ठट मुख नि द्यखदी अर नाक लकार मा कैतें मुख नि लगान्दी। गौं का युं लंपट छवरों तैं त वा ब्वारी गुरु ऐन भै। निथर यूं कमिनोंन नयां नयां ब्वारियों कु निखाणी कर्युं रैन्दू, अरे घ्यूर भौजी हम बी रयां पर इनि लंपट बलार जमानु चरितर छी छी छी। नांगों जमनु।

      संतोषिन पुंगड़ों मा अपणु औड़ू संतरा बिलस्तान नापयली छै। एक आद साल बाद ही सासु से अगल्यार्या होण लगिन। जित्वे छुट्टी औण पर पैली झवळा तमळु खिंचण बैठग्ये, मालिक तैं हिसाब किताब पूछदी अर लूटी चूंडी बैंक पोस्ट आफिस मा अपणा तर्फां कु भबिस्या निधी जमा बि कर्दी।

      अब सौजि सौजि मुबैल का दगड सैरों बटिन पाड़ मा बी ना ना परकारे हव्वा बगण लगीं छै। चस्साऽऽ डाना गंवाण्यूँ पर बी सेरों कि गरम हवै ताति लगण बैठग्ये। गौं मा नयां रिटेर हौलदार सुबदारों ढसक फसक ना मा सामिल ह्वेगी, फौज्योन जिन्दगी भरे तप तपस्या देरादून काशीपुर जना सैरों मा पांच विस्वा मा बिछाली छै। सरकारी करमचार्यों कि नौकरी उब अर परिवार उन्द चलिग्ये छै। नाक नाकी पराबटी वळा बि दिल्ली बम्बे एक कमरा मा चारपै फौल्ड करि द्वी तीन मनख्यों कि रस्वै पकाण लगग्ये छै। त यामा संतोषी तैं पठाळ छा कुड़ी उबरा कख संतोष होण छायी। पांचेक साल मा घ्वळणा द्वी पौथुल्या ऐग्यां अब द्वी का चार ह्वेग्यां छै। दिन भर जब संतोषी पुंगड़ा बटिन औन्दी त द्वी गुरमळा माटा मा लतर पतर, आंगनबाड़ी बटिन कब्बी एक खुट्टु कच्यै ओन्दू कब्बी हैकु मुंड फुटकुलु ल्यान्दू। बाळों हाल देखी वीं कि झिकुड़ी कमसे जान्दी। गरम्यूँ छुट्टयूं मा घौर अयां देशवाळी कक्या सासु कु ठसक मसक अर तैका नोन्याळों रंगत पैरवार द्येखी वींका गात सर्साट होन्दी अर अपणा नोल्याळों का पुतळण्यां गिच्चा पर माखा तैकि झिकुड़ी पर बिणाण लगि जान्दा।

      अब अग्ने वींन पक्का ठाणी कि ये दां छुट्टी मा वा (जितु) कुछ ब्वालो पर ! मैन यु ताम झाम पिछने लगे द्येण। संतोषिक समझ बतौंणी छै कि युंकि पितर भगत बुद्धिन गौं मा बच्चों भबिस्या खराब कन । जनि अफुं छाँ फोर्थ कलास, साब लोगों अग्ने पिछने घुमणा उनि यूंन म्यारा नोना बि बणाण। वींन साल भरे द्वी तीन छुट्टी मा जितु कु खूब मुंड खैन, भलै बुरै बिंगैन। आखिरकार ना नुकर करि जितु ल ठिक असाड़े तीन गते चैमासे रगड़ बगड़ से पैली घ्वळयोणु उठैन अर पट देहरादून किराया कमरा मा धैर दिनी। अर द्येळी पर छौड़िग्यूं बुढ्या ढांगा मेड़ी बुबा, रमणान्दा गाजी भर्यूं ग्वठ्यार अर नाजा कुठार। बूड़ बुढ्या दगड़ रैगिन वूंकी ज्वानि धत्यांयीं आतुरी, सूना उबरा डंड्याळी मा नात्यूं किबचाट किलकार्यूं याद। बल्द बैच्यां जन खौळया रैगिन वा, ना त रुवे ना हैंसी, बस ज्यू से भल होण खाणों आषीश वचन द्ये विधै करिं नातियूं तैं। 

      बुद्धि कि तेज तरार संतोषी सैरों कु हळण चळण चट बींगी बि छै अर समझी बि। साल भर मा ही परफेक्ट देशवाळी पाड़न बणग्ये। नोनु का किताब अर छुंवि बत से हिन्दी अंग्रेज्या शब्द गढ़वळी लबज मा रल्यौ मल्यौ होण लगिन। सौपिंग सापिंग मा दुकानदरों तैं खूब ऐंठदी, मोल भौ नाप त्वली कर्दी। बल, भै साब हमको ऐसा वैसा मत चिताना मुझे सब पता है तुम पाड़ियों को फूल बनाते हो।

जीतु फौर्थ कलास कर्मचारी, तनखा त कम छै पर विभाग मा बड़ा साबों दगड़ मेल मिलाप भलु, सद ब्याहार का परताप भैर सौटों पर काम बराबर मिल्दू, अर तैका परताप असाड़ै गाड़ कु छलार संतोषी का बट्वा तक पौंछण लगिन। इना मौका तैं संतोषी कख चुकोण वळी, द्वी झणोन इना उना समझि बुझि मोल भौ कैर भल जगा मा जमीन खरीदी अर लग-लग्यां मकान बि खड़ू करि दिनी। अब पक्का राजधानी आसन बासन ह्वेग्यां।

      जिंदगी सैरों भिभड़ाट मा खूब दौडणी भागणी छै, पर ! यूँ राक्ष गण अर द्यो गण कु आपसी ब्यौहार मथि कानी सुरुवात ही रैन। चट बांदरों जन भिड़ी जान्दा त फट सौ सल्ला करि चाटम चाट। पैली पैली त नोना बाळा मम्मी पापा कु कज्ये से डरदा छाँ पर डैली ढर्रा से वा बि धित्यैग्यां छां। जु मनखी भैरो जतिगा भलु होन्दू भितरो उत्गा कज्येख्वोर। द्वीयूं छुवीं इनि। द्वीयां अथीति देवो भवः का सिद्धान्त वळा। मेमान नवाजी आदर सत्कार मा बड्या। अपणा घौर से न क्वे खाली हाथ जाण चैन्द अर ना अणमनो। द्वीयां का मैत सौरास, गौं से सैर तलक बर्तवाल निवास पर मैमाने लंगत्यार लगी रैन्दी। द्वीयूं अपणा अपणा बाटी ल्येण देणु कंपुटेसन रैन्दू। एक कुठाराऽ नाजा सब्बी द्यैतार।

      निमाणा ब्यौहार इमानदरि से जीतु अपणा मोला अर मुल्की परबासियों का बीच सुलझ्यूँ समझदार भल आदिम छै। मुलक्या परबासी सुसैटी कु वा खजान्ची बी बणग्ये। दगड़या कु मनख्यात इनु कि सब्यूं का सुख दुख कौ कारिज मा हाजरी ह्वे जान्दू अर मौ मदद अलग कर्दू।

      द्वी झणें उमर ढै बीसी से अग्ने पौंछग्ये। नोना स्कूल से कौलेजों मा पौंछग्यां। जित्वे मथि वळि आमदनि जेठा मैना नोळा तलौ बणग्ये, विभाग निजीकरण मा जु चलग्ये छै। भैर फिल्ड बटिन भितर औफिस मा परमोसन क्या ह्वेन खिस्सु हौर जादा खणमणकार। जने बाल बच्चोंऽक इस्कूल कौलेजों खर्चा बड़िन उनि सुख्खी तनखा मा टिम टाम छै होणु। पैल्ये आमदनिन जु लम्बू हाथ कने आदत डाळीं छै वींतै थौड़ी खिंचण पड़िन पर नाक नाकी आर सार से गाड़ी चलणी छै खिंचणी छै। बल संतोष से बडु सुख कुछ नि होन्द, संतोषम् परम सुखम्। जित्वे अर संतोषिक उमेद अब उग्दा सुरज नोनो पर छै, खुट्टा टेकला त फेर दिन ऐ जाला।

      समै का दगड़ जित्वे समाज मा उठण बैठण ह्वेन मान परतिष्ठा बड़िन पर यीं परतिष्ठा का पैथर आदत कखि हौर भाजण लगिन। आयां दिन लालमणी कु गुलाम ह्वोण लगिन। क्वे दिन इनु नि छै जै दिन पार्टी दावत न ह्वो। कैका घौरे एक दिने पार्टी सार्टी इजत कु सवाल जु होन्द, पार्टी द्यैतारन छक्की पिवोण बि अर खलोण बि पर जित्वै हमेस क भैरे दावत भितर घावत होण लगिन अर वा महा झांझी बणग्ये। 

      अपणु नि देखण हाल हैका तैं देण स्वाल, आम दुन्यों आचरण ठैरु छुंवीं बत अर उठण बैठण मा हैका तैं ताणा अर उपदेस देण मा कुछ लोग माथमपुर्सी चितान्द। जीतु का कुछेक दगड़या बी इनि सैणा ग्वोरु भ्येळ हकौंण बळा छया। बैठक पार्टीयूं मा क्वी ब्वल्दू यार बर्तवाल जी जनान्यूँ तैं जादा मुख लगाण ठिक नि होन्दू। क्वी अरे यार बर्तवाल जी कु खाणु बिगैर ब्वारी गाळी नि पचदू। क्वी एक लपाग हौर अग्ने रामचरित मानस पर, बल ढोल गंवार शूद्र अर नारी, सकल ताड़ना के अधिकरी।

      तौं मास खत्ता जोग्यूं तैं वा लाटु बिंगी नि साकी। तौंकि बात पर खाली दाँत निपोड़ी हौं यार सच्ची ब्वोली भौंर पुर्येन्दू अर तबार तलक पैग चढ़ाणे रैन्दू जबारी तलक बाज जिबड़ा दगड़ कुस्ती अर खुट्टा आपस मा चांचड़ी नि खेलण लगदा।  

      राति जितु जब लंगतड्या मारि घौर पौंछदू त संतोषी मेडम कने सौण वळि, राति इग्यारा बजै आवो या बारा। मेडम ल अपणी फंचि देखदा ही बिसाण छ त बिसाणें च। झांज्यूँ दगड़ झांझ फांज मा चुप रौण ठिक रैन्दू स्या नि समझदी छै, कखि भ्वोळ सुबैर ठंडू ना ह्वो इलै तातु तातु डामण पर विस्वास कर्दी छै।

      झांझ मा जित्वा दिमाग तैं हौर बात त याद नि रैन्दी छै पर नारी ताड़ण के अधिकारी खूब याद रैन्दी फिर क्या नाली ताळन के अधिकाली ब्वोलि बौंळा बिटे खड़ू ह्वे जान्दू। या मा कज्याण कूल त कज्यै सौला पाथू। अग्ने सौजि सौजि गिचे आग हाथ मा औण लगिन, कब्बी संतोषी मेडम जितु तै झिंझोड़ी देन्दी अर कब्बी जितु एक आद झपाक लगै देन्दू। उन त क्वे बी आदिम हैका घौरा क मामला मा हाथ डाळण ठिक नि चितान्द फिर बी यार आबत अर भल पड़ोसी इसारा इसारा मा समझांदा रैन्दा कि तुमारु इनु भारत पाकिस्तान ठिक नि। पर द्वीयूँ शीष फैरो उलंघन जारी रैन्दू।

      आज जीतु तैं थाणा बटिन छुड़ोण खुणें जाण पच्छयाण वळा पौंछयां छाँ। तैकु लौकअप का भितर मुंड खाड़ डाळयूँ छै। मामला नशाखोरी, घरेलु हिंसा अर नारी उतपीड़ण कु छै बल। ब्याळी रात जीतु हौर दिनो से जादा धुत ह्वे घौर पौंछिन त द्वीयूं मा सदानी चारे माभारत ह्वेन, जादा झांझ मा तैकि बीपी इनि चढ़ी कि तैन संतोषी कळनस पर निगुरी पटाक मरिन अर संतोषी पथऽ भुयां, बाज खास बन्द। कुछेक टेम बाद मैजुळ बटिन नोनु ल हल्ला नि सुणि त दौड़ी दौड़ी मुड़ी ऐन। माँ तैं बेहोस देखी हक्का दक्की। बड़ू वळु जादा समझदार छै, पिता फर गुस्सा त भौत छै औणु पर वेन चुप घ्वोट मारण ठिक समझी, माँजी तैं होस मा ल्यणें खातिर खबसाई खुबसाई मुख पर पाणि छिटा छाटा दिनी पर संतोषी अड़कट्ये रैन। पर डोरिन द्वी छवटा नोनु ल रुवाट चिल्लोट मचैन। रुवोण ध्वोणें आवाज बगल पड़ोस तक पौंछिन।

      बगल पड़ोस मा एक जनानी सामजिक कार्यकर्ती टेपे छै वीं तै पता त छै कि यूँ कु सदानी हाल इनि च पर आज रुवाट कणाट सुणि वा हौर पड़ोस्यूँ दगड़ झटपट तख पौंछिन। बेहोस संतोषिक हालत देखी मैडमल चट पुलिस तैं फोन लगै घटना ब्यौरा दिनी। पुलिस ऐन जीतु तैं थाना अर संतोषी तैं डाक्टर मु लिगिन। घंटा द्वी घंटा मा संतोषी त होस मा ऐ घौर पौंछिन पर नशा अर घरेलु हिंसाऽक मामला मा जीतु लौकअप का भितर चलग्यूं।

      हैका दिन लौकअप का भैर बटिन ग्रिल पकड़ी नारी ताड़ण के अधिकारी कु उपदेस देण वळा जीतु तैं समझाणा छां। यार कन आदिम छै तु अपणी गृह लक्ष्मी मा तागत दिखाणु तति पौंठा पराण छै त मोला क पप्पु बोस मा दिखो जैन सर्रा मोले कि निखाणी करीं। हैकु ब्वल्दू यार बर्तवाल जी जखमु घड़ु वखमु हिल्लो त होन्दू छै पर जनानी फर हाथ उठोण बिल्कुल बेवकूफी वळु काम च। तीसरु - अरे भाई जबारी मि समझान्दू छै कि कलौ काल होन्दू पर तू ठेरु मर्द अब खा जैले हव्वा। हम त पूरी कोसिस कना कि मामला यखी पुलिस तक निबटी जौं पर देखा पुलिस माणदी कि ना। इन बुना बल झांझ्यूं तैं सजा होणे चैन्द। चैथु - यार जितु त्वेतैं त मि सब्यों मा समझदार आदिम समझदू छै पर त्वेन हमारु बि नाक काटिन, यार जब पचदी नि त किलै प्यून्दू इन। भाई पुलिस मा भूल करि बि हमारु नौ ना लियां निथर अग्ने तु स्वोची लियां।

      ब्याळी तक टेबल मा जबरदस्ती मेरा वास्ता प्ये ल्ये वलौं मुख से नाना परकारे बाते सुणि जीतु अपणी करणी पर मुंड खाड़ डाळी पछताणु छै कि मास्तो ना मि भला आदिम का चक्कर मा पुळक्येन्दू ना आज मेरी कूड़ी इनि आग लगदी। अपणी परबुद्धी पर ते तैं गुस्सा छै औणु।

      कुछेक देर बाद पुलिस वळा संतोषी तैं बयाना खातिर थाणा ल्येन। द्वी झणों तैं आमणी सामणी बिठै गिन। द्वीयें नजर आपस मा मिली त पछतौ मुख पर दिखेणु छै। वूंन नि सोचि छै कि हमारु स्यंटुलाचार एक दिन भैर यनु नांगा कर्लो।

पुलिसन संतोषी बयान ल्येन्दा पूछी।

दरोगा - क्या यु आदिम सदानी दारु प्ये लड़ै झगडा कर्दू ?

संतोषी - ना

दरोगा - क्या येन पैली बि तुमु पर हाथ उठैन।

संतोषी - ना

दरोगा - त ब्याळी येन किलै मारि तुमतैं।

संतोषी - मारि नि साब किचन मा मेरु खुट्टु चिफळयूं अर भुयां चौंकुला पर थोड़ि लगग्ये छै जै से मि बेहोस ह्वेगी।

दरोगा - हमुन सुणि कि तुम द्वीयां डेली झगड़ा रगड़ा कर्दा सच्ची ?

संतोषी - साब, दुन्यां चटक चल्दा तै चड़यूं अर सौजि हिटदरों तैं सड़यूं ब्वळदी। जखमु द्वी भांडा होन्दा बजदा त छैं च या त सब्यूं भितरे बात होन्दी। उन बि हम गण मा मनखी अर राक्ष गण छाँ, छवटी म्वटी बात त होणें रैन्द।

दरोगा - ओऽह या बात चा, गण की बात जलमपत्री मा रोंण द्या मेडम जी ब्यौवार मा देव अर मनखी गण बणि रावा। चलो आप तैं अपणा पति से़ क्वे सिकैत ?

संतोषी - ना साब बिल्कुल ना। जिन्दगी दगड़ा दगड छा ढळक्यां तक पौंछीग्ये आज तलक क्वे सिकैत नि ह्वेन त अब क्या होण। अपणु आदिम अपणु होन्द जन बि ह्वावो।

दरोगान जितु से - हाँ भयी आपकी पत्नी तो सच्ची पतिवर्ता है बिल्कुल खिलाप नहीं है आपकी क्या सफाई है ?

जितु - क्या सफै होन्द साब यींका परताप त मि डाना मुल्को आदिम आज सैर मा द्वी रोटी खाणु छै निथर मेरी औकात क्या छै।

दरोगा चलो आगे दारु पर कंट्रोल करो और रोटी को ढंग से पचाओ, बदहजमी की चू घर से बाहर नहीं आनी चाहिए, समझे ? ध्यान रख्यां दुबारा इनु केस मैमा ऐन त द्वीयूं तैं हवालात मा डाळ द्यूला। खड़ू उठा जावा अपणा घौर। आज फिर संतोषी कि बुद्धी विवेकन घौर ओडळु से बच्याली छै। पैली बार यूं स्यंटुलों आँखी एक हैका तैं डबळाणी छै।

 

@ बलबीर सिंह राणा ‘अडिग’


 

Tuesday 8 December 2020

छाळ निवाळ

    


    उबरा मा बक्यौ थौल सज्यूं छै, उबरा दैं कूणा पर द्यबता थान छै। जख दिवा धुपणु, चिमटा, फौड़ी, फोटो अर पुराणी फूलों माला लटकणि छै। उबरा बीच मा बक्या माराजो आसण। अद्दा कमरा एक पुराणी दरी बिछयीं छै पूछ कन वळा पुच्छैरुं तैं बैठणे व्यवस्था। बक्या आसणा तौळ एक दन्ना छै। बक्या मुख समणि द्वी थाळी।  एक मा ज्यूंद्याल, फूल, पाती अर सौ-सौ रूप्या द्वी नोट अर एक पच्चासक। हैका थाळी मा पिठैं, कुछ सिक्का अर धूप बत्ती। बक्या माराजो पैरवार द्यबता डंकरी वळ। स्यता कुर्ता भैर काळी फत्वै मुड़ी पिंगळी ध्वोती। मुंड पर लंबी चूळ, लटुलों पर चिफळपट त्यौल, कपाळ पर लम्बू लाल टीका, हाथ उन्द चांदी धगुला, कंदूड़ा उन्द चांदी मुरुकुला। जै टेम मि उखमु पौंछि पैली बटिन तीन आदिम तख बैठ्यां छायी, तौं कि तबारि छाळ निवाळ चलणी वळी छै। मिन बी हाथ जोडिन अर एक तर्फा बैठग्यों चुपचाप। पुछ्यारु/बक्या अर पूछ डाळण (छाळ निवाळ) वळा पुच्छैरुं की बीचे बात सुणणु रौ। नीतिगत बी या ही छै कि द्वी आदिमाक बीच मा तीसरा तैं चुप रौण चैन्द जबैर तलक वेका तालुक की बात ना ह्वावो। यख त मि द्यो थान मा जु अयुँ छै। 

      बक्यान अगरबत्ती उठैन अर गिच भितर कुछ मंत्र बड़बड़ैन, अगरबती बाळी द्यबता थाने तर्फां अगरबती करि। नतमस्तक ह्वेन। द्वी हाथ मुंड मा धरिन। मुंड भुयाँ धर्ती मा टेकिन। अर झटाऽक मुंड ऊब करि। द्वी झटाक गर्दन इने-उने झटकेन। मुंड डकड्येन। अर जोर से  होऽ.हो..होऽऽलक की लंबी किल्कताळ मारि।  दगड़ मा ज्यूंद्याल उछाळी मुठ्ठी बांधी। बंध मुठ्ठी पुच्छैरुं तर्फा बढै ब्वोली, भगतो जख्मु समझ आली हाँ बोल्यां। समझ नि आली ना बोल्यां। मि बाटे लाग द्यूला तुम बाटु बिंग्या फिर मि बाटु लगौलु। ल्या... ल्या.....वचन। सिध्वा थान बटिन निरासी क्वै नि जैलु रै। होऽ.हो..होऽऽलक। अर बन्ध मुठ्ठी सामणि बैठ्यां आदिमा हाथ मा ख्वोली।

बक्या - बौं तरफ मुख कैर, भ्वट्य्या यु तीन पाँच को मामला किलै छिन ?,  होऽ.हो..होऽऽलक, आऽऽ थ्रुऽऽ.... ।

पुच्छैरु - (हाथ जोड़ी नतमस्तक ह्वे) परभौ तुमुन बतौण, हम नर बांदरों क्या जाणण। तब्बी त तुमारा सरण मा छाँ अयाँ।

बक्या - अरे भ्वट्य्या यु चैपाई नि द्वपायी कु मामला छ। मर्द नि जनानी ध्याणी कि बात छ। छै कि ना ? झम्मऽ ज्यूंद्याल पुच्छैरुं तर्फां। समझ औणी त हाँ ब्वाला नि औणी त ना ब्वाला।  आऽऽ थ्रुऽऽ.... ।

पुच्छैरु - हौं परभौ समझ औणी तुम बाटु लगाणे रावा।

बक्या - (मुंड झटके कि) भगत द्वी जनानियों मा कज्यै लड़ै झगड़ा छिन ह्वयूँ कु। भारी खिर्त पड़यूं च खिर्त। द्यबता पुकारे ग्यों रे भगत, द्यबता। बक्यान ज्यूंद्याल उछाळी वूंका हाथों मा। ल्या कति छ ?

      द्यबतों का ज्यूंदाळों कु बी अपणु समीकरण होन्दू साब। अगर द्वि, चार, छः सम संख्या मा ज्यून्द्याळ ऐगि त मलप प्रश्न सुलझ्यां बाटा माने जान्द याने पूंजी। तीन-पाँच मा ऐन त मलप मामलो खराब जटिल उलझ्यूं अर अगर एक दाणी ऐगि त समझा ज्यूंद्याळ देण बळा तर्फां बटिन पक्की बात। पक्कू वचन। अखंड मोतिम।

      पुच्छैरा भगतन मुठ्ठी ख्वोली ज्यून्द्याळ गिणी अर मुंड मा धरि। वूं सब्यून कुछ देर स्वौचि, याददास्त ताजी करि अंदाज लगैन। हाथ जोड़ी बोली परमेसुराऽ सच्ची बात छ।

      जांच-पूछ, शंका-समाधाना का यीं तरिका मा आदिमक ध्यान खट वखि चलि जान्द जख पैली क्वे ना क्वे वाकिया या घटना घटी ह्वली जै बात पर वेकु सक सुब होन्दन। बक्या लाग देन्दू अर आदिम सक वळी बात तैं पुष्ठ्ठी का नजरिया से द्यखदू।

पुच्छैरु - परमेसुर ह्वे ह्वलु जु बी होंण छै, अब अग्ने रस्ता बतावा। छाळ निवाळु कारा।

बक्यान ज्यूंद्याल उछाळी मुठ्ठी वूंऽका तर्फां कैर बोली ल्या, कति छ ? द्यबता झूट नि ब्वोली सकदू। पुच्छैरुन ज्यूंद्याळ देखी त एक दाणि छै, तौंन ज्यूंद्याळ मुंड मा धरिन। हाथ जोड़ी ब्वोली प्रभो अंखड मोतिम।

बक्या - भगतोऽऽ ? द्यबता घत्ययूँ छन रे..  द्यबता। घात जैकार ह्यीं।  वे दिन बटिन तै घौर मा क्वे बर्गत नि। पाळी बल्दा स्यूं नि पैट्णा। भैंसऽक थन मा दूध नि छिन औणु। नोना बाळा चळ-बिचळ छ हव्यां पढण मा ध्यान नि। अर अर ..... होऽऽलक, थ्रूऽऽ...। कंपकंपी थर्थराट मा, ये ध्याणी शरील उडंगर छिन ह्वयूं, लकार नि कै बी काम पर।  दिन-ब-दिन सुखणी छ, छाती दूध नि पौजणु। च्यौंग चिड़चड़ाट जादा छन।

ब्वाला। छै कि ना ?

पुच्छैरु - परभौ सच्ची बात, सच्ची बात। हौर दगड्योऩ बि भौंर पुर्येन। परमेसुर अब तुमुल ही सही बाटू बतौंण। वीं बाटा जौला। जस मिली चैन्द। जन ब्वलला उनि करुला। मनखि बान्दर से गल्ती ह्वे जान्दी। जु बी लग्यूं बिलक्यूँ तैकु न्यूज-पूज, कुखड़ी-बाखरी सब द्योला। पर ! प्रभो यनु बतावा यू द्यबता कै जाग कै दिशो छ ? अर क्वो कु छै ? 

      बक्यान थकुला मा ज्यूंद्यालों तै एक अंगुठन अलग-अलग करि, तीन एक तरफ द्वी एक तर्फां, अर एक एक तर्फां । मने मन कुछ हिसाब जनु लगाई अर मुंड उन्द उब झटकैन। मोंण बौं तरफ करि अर चूळ मलासी हैंसद-हैंसद बोली। हाँ हाँ हँ हँ......अरे ब्वन क्या छ, जै ध्याण दगड़ यू झगड़ा ह्वेनी वेका मैत कु वीर भैरुं कु दोस छै रे... भैरु वीर। दगड़ मा कच्च्या वीर बी छ। पूरब पच्छिम दिशा बटिन अयूँ,। रौली तरीं च द्यबतै की।  फिर बक्यान तौंकि तर्फां बड़ा आँखा करि बोली टेम पर ये द्यबता शांत नि कर्ला त। त.... अग्ने क्या कर्लो मि ब्वोली नि सकदू। अरे.. अरे कंपकंपी थर्थराट मा, अब्बी... अब्बी त चैपायी दोष देणु भ्वोळ द्वपायी खंडित ह्वली मैंखुणि ना बोल्यां।

    भगत लोग सन्न। छाळ निवाळ मा संतोष होणा बाद वून पुज्ये विधान पूछिन अर वखि बटिन उच्चयणु कनु वचन दीनी। बक्याऽन एक पांच कु सिक्का, ज्यूंद्याल अर लाल पिठ्ठें एक कागज पर बांधी अर बोली भोट्या घौर जांद सै ही नये ध्वयेन, ये पुड़िया सारा परिवारा मुंड अरोखि परोखि अर पूसा मैना मा न्यूज पूज देणु कु उच्चयाणु कैर दियाँ। भ्वोळ बटिन फर्क नि पड़लि त मेरु नों ना लियाँ । ल्या,  झम्मऽऽ ज्यूंद्यालै छपाक तौंका मुख पर। होऽलक।

      अब वूं तीन आदिम्यूँ कु छाळ निवाळ कना बाद मेरु नंबर आयी मिन भी 150 रुप्या एक थकुला  मा, एक थकुला मा इग्यारह रुप्या डाळी, अगरबत्ती जलै अर हाथ जोड़ी अपणि संका ध्वयेन पूछी। बक्या माराजन द्वबाटा, तीबाटा, चैबाटा ह्वे किन गाड़ गद्ना घुमे-घामे मितैं अपणा बाटा ल्ये ऐन। बल वा ध्याण बाळापन मा गोरुं मा छै जयीं, द्वी बल्द आपस मा लडिंग, ध्याणऽन डौरिन किलकार मारी अर तबी तै जंगळे बयाळन लियाली। अब कज्याण त दगड़ नि छै, जु पुछदू। मिन ब्वोली चलो ठिक छ प्रभो ह्वे ह्वलु जु बी, अब समाधान बतावा, मिन क्या कन?

बक्या - अरे ! कन क्या जंगल की बयाळ छ। बयाळ कि पूजा लय्या-मया, चुंदड़ी-मुंदड़ी, एकहड्या रुवटी चार दिशों मा चलोण, दगड मा धौळी बाखरी धौळी कुखड़ि दे दियां। पंडेजी तैं खुस कैर दियां। फिर देखा स्या ध्याणी मुखड़ी फर चळक। दुर्सुपन्यां खतम। चळविचळ स्वाँ। अर हैका साल दूसरु जुंगडू तैयार धैर्यां। ‘काणा त्वेखुणी क्या चैणा द्वी आँखा साणा’ मिन बी हाथ जोड़ी पंद्रह हजारे फंच्ची बांधी अर किनारा बैठग्यों। पंद्रह हजारे फंच्ची इलै कि घौर बटिन जोर छै संका कु कि ब्वारी मुख गात पर दाद खाज ह्वोणी अर देवै दारु कु फरक नि। घौर वळों कु मन रखण तैं मिन बोली चलो आज यीं बाटा बि कुछ अनभौ लिये जावो।

      अब मेरा बाद नंबर आयी एक बौडी कु। बक्या मराजन सुरवाती परक्रिया पूरी करि अर बौडी तैं ब्वोली।

बक्या- दानी सयाणी ध्याण जखमु समझ मा आली त हाँ बोल्यां नि आली त ना बोल्यां।

बौडी - कंयारी ह्वे परमेसुर मेरु नोन्याळ ठिक कैर द्यावा। हूंण खाणो बाटू बतै द्यावा। अबाटऽक पाणि कूल बद्यै द्यावा। ज्व बी छ जखौ बी छ, जति मांगलो वति द्ये द्यूला, आखिर आस पर तुमु मा अयूँ माराज। बक्यान मुंड-मांड झटकायी ज्यूंद्याल पर ज्यूंद्याळ उछाळी, बुडळी तैं गाड़, गदना, द्वबाटा, चैबाटा, भैर भिर्त सब्बी तर्फां ल्ही बौडी मन टटौली टटाळी दोष गिणाई पर ! बुडळी  हाँ नि ब्वन्यां। सैद यीं उमर तक वा ना जाण कति बक्या पुछैरों तैं छपोड़ी मनख्यांण छै मि जाण। बक्या जै कु दोष बताणु बौडी वीं द्यबता पैली पुजणे बात ब्वनी रे। असैमति देणी रै, बक्या सवाल पर ना ब्वनी रै। अब बक्या करों त क्या करों, बड़ी ठीड गेख्याण ऐन या आज।

      देखा साब फिर भी यीं बक्या पुछ्यारा लोग अफूं मा पक्का साइकोलोजिस्ट होन्दन समणि वळा मुख का भाव भंगिमा देखी कै ना कै बाटा लगै ही देन्दा।  हमर पाड़ मा सब्यों जीवनचर्या एकनस्या, सब्बी एक धर्म का लोग, गाड़-गदना, द्वबाटा-चैबाटा, धार-वार, एड़ी-आँछरी, नर्सिंग-भैरों एक जना। सब्यों कु एकी हर्त-कर्त। जमीनी बनोट अर द्यबता मानिद बरोबर। भले नौ अलग अलग ह्वावो। बक्या पुछ्यारा या गणत कन वळा समणि बैठ्यां आदिमें हाँ अर ना मा वेकु जबाब ढूँडी देन्दा। हाँ, ना ब्वलण मा आदिमें दुख्येणि नस पकड़ी लिन्दा।

      विस्वास बड़ी चीज छ साब, यो ही आस्था से ईलाज कु मनोवैज्ञानिक कारक बि होन्दन। बीमारी इलाज त दवै-दारु मेडिसिन कर्ली पर मानण वलूँ का अटल विस्वास होण से इन जांच-पूछ, पूजा-पाठ से संका कु समाधान होन्द जै से दवै-दारु असर छांट दिख्येन्दू। मनखी कु विस्वास ही च जु वेका बंध्या हार्मोन्सों तैं रिलीज कर्दू। विश्वासा मनखि मा सकारात्मकता लान्दी फेर मनखि पराणी निराशा से आशावादे तर्फां उन्मुख ह्वे जांद। ये कु फर्क मनखि सोच, वेका काम कर्मों पर पड़द, जै कारण प्रतिकूल हालातों मा अनुकूल प्रभाव सुरु ह्वे जांद।

बल ‘दुःखी कु वेद प्यारु‘। जब आदिम पर गौळ-गौळा ऐ जांद अर कै बी बाटा जश नि मिल्दू त आखिर मा वा संका का तर्फां चली जान्द अर संका निवारण आस्था आध्यात्म से अग्ने कखी नि। टॉप मैन आईडियल धरम कु श्रेष्ठ पुरुष भगवान, द्बता। बाल भर संका पाड़ खड़ू कैर देन्दू। सक से बड़ू जैर कुछ नि। यां ले आज बि पाश्चात्य रंग मा रंग्यां परबासी भै बन्द बि इना सकस्याट धकध्याट दूर कना वास्ता कब्बी कब्बी गौं घौर बौड़ी जान्द।

      परबल विश्वासा छ त आध्यात्म बल से जश जरुर मिल्दू ये मा क्वे सक नि। हाँ अपणा कर्मों पर सकस्याट धकध्याट नि ह्वयूँ चैन्द ‘माणि किन भगवान नि माणि त ढुंगू’। हाँ जर्वत से ज्यादा रुढ़िपंथी जीवन तैं दुख कस्टों कि कुट्यारी बणे देन्दू। जिन्दगी भर वा मनखी पूजा पाठै फंची बोकदू बोकदू थौक जान्द पर बिसौंण्यां कब्बी नि पान्दू। जादा टूणि मुणी, बक्या पुच्छयारु वळू परिवार हमेशा दुखी रैन्दू। आध्यात्मिक शक्ति सच्ची भक्ति से मिलद अंधभक्ति से ना। पेट खराब ह्वयूं छ त वेखुणी परेज अर दवे चैन्द न कि मंदिर मा भंडारु। खैर अब नयीं पीढ़ी यीं च्वोळा चक्कर से भैर आणि या बी भलि बात छ, पर यूँ तैं बी अपणी सच्ची सनातन संस्कृति कु पल्ला नि छोडयों चैन्द निथर जंगल मा कति परकार का डाळा-बोट छाँ पर पच्छयाँण वे कि होंदी जु दूर बटिन नजर ऐ जावो।

      बल ‘खैणी की माटू अर गैणी किन दोष‘ निकळी जांद। तो साब बक्यान बौडी तैं बिगैर दोषो कख छोड़ण छयी, बक्याऽन बौडी तैं सरि पृथि घुमोणा बाद आखिर दौं एक त्रुप कु पत्ता फेंकि ।

बक्या - ध्याणी ये भोट्या पर सैद लग्यूँ बल।

      खैर भेट पावोर त थकुळा उन्द ऐग्ये छै पर बक्यों कु सिधान्त होन्दन कि क्वे बि गेख बिगैर दोष बतायूं खाली हाथ नि जाण चैन्द। परंपरा अर रोटी सवाल जु छन निथर वृति बाड़ी खतम। 

      सैद कु नौ सूणी बुडलिन एक झटाक मा हाँ ब्वोली दीनि। किलेकि बौडिन नोना खतिर अज्यूं तक एक सैद ही नि पूजी छायी बाकी अपणा धरम का घर्या अर बण द्यो नमाण मा तैन ‘मुंड पताळ खुट्टा अगास कैर्याली छै’। आखिर हार मान माणि बुडळी आज मुड़ी गंगाड़ बटिन इतगा दूर डांडा मुलुक अयीं छै। बल ‘नजीक कु जोगी दूर कु सिद्ध’ जु होन्दू’। यीं बक्ये हाम सारा इलाका मा छै कि फलाण डाना गौं दिवानीराम ततकाल बक्या छ।

      इलै बौडिन बि बिगैर छाळ-निवाळ करि खाली हाथ कने जाण छै। जब बक्या तै आखिर मा हिन्दू द्यबता नि मिली त बौडी का संतोष वास्ता मुसलमान कु स यी। या ही छ रुड़ीपंथी की अति। नोनु पर सैद् निकळणा बाद बुड़ळी रुण बैठग्ये परमेसुरों तुमुन अब ठीक पकड़ी वा निर्भगी ननछना छौरों दगड गंगाजी नयेंण जांदू छै़, वखी निर्भगी मुसलमानों कबर बी छ बल। भिज्यां लोगुन राति गंगजी छाला स्यता पैरवार घ्वड़ा सवार सैद दिख्यूं बल। वखी लगी ह्वलू मेरा नोन्याल पर वा अबिन्डों खबैस।

      ब्वला परमेसुरो ये कु न्यूज पूज। जु मागणु दयेणु तैयार छ, पर मेरु नोनू कुबाटा बटिन सुबाटु अयूँ चैन्द। जश की पूजा द्योलु। पर! परमेसुरो कैन पूजण यु सैद अर कनक्वे पुजण ? हमारा इने आज तक यु अबिन्डो खबैस कै फर नि लगिन।

      बक्यान सैद पुजणे तरकीब बतायी। कि फलाण बाजार मा फलाण मुसलमान पुज्यारी छ वेतैं मौलवी बोल्दन वींमा जयाँ वा सब बतै द्यूला, अफूं कर्दू वा कर्म कांड।

      अब क्वे होर गैख नि छ त बक्यान अपणु द्यबता घरेंण वाजिब समझी अर वेन एक लंबी किल्कताळ मारी होऽऽलक।  मुंड मा द्वी हाथ बांधी, मुंड भुयाँ टेकी, मुंड उठेन, मुख फर हाथ फिरेन अर नोर्मल ह्वे ग्यों। सब्यों तैं सेवा लगै राजी खुशी पूछी किलेकि वा अब द्यबता भेष से मनखि भेष दिवानीराम ह्वेग्यूं छै।

      दिवानीरामल चा पाणी त नि पूछी किलेकि अज्यों बी घौर गौं समाज मा हरिजना घौर बिठ खुल कर खांदा पीन्दा नि छाँ। न जाण कब तलक यू कुलक्षणि रिवाज खत्म ह्वोली। हाँ दिवानिन अपणी नोनी तैं धै लगै सौंप सुपारी मंगेन। चिलम भरी अर उखम जति बैठ्यां छाँ सब्यों कु आदर सौंप सुपारी अर चिलम से करि। बल सुखा नाज बर्जित नि होन्दू। अरे सूखो नाज बर्जित नि होन्दू त गीला मा क्या जैर डाळयूं। वी आग वी पाणी, भांडी बर्तन। छूवा छूते यीं कुपरथा कबारी खतम ह्वलि कु जाण। बजार मा त क्वे नि पुछदू कि क्वो छ, क्या छ। यनु दोहरा चरितर ठिक नि। भगवान रामऽल त इनि नि करि वूंन सबरी बैर खुसी से खैन। इनि धर्में दुकानदरि का कारण हिदुत्व दुन्यां मा उपेक्षा कु पात्र बणिन। अब समै ऐज्ञों  इनि विरोधाभाषी रिवाज से भैर औणे।

      वे दिन मि सुरु से आखिर तलक मि बौडी जांच पूछ दयखणु अर सुनु रौ। जान्दा बगत बात चीत मा मिन बौडी तैं एक सांस मा पूछी कि बौडी तुमारू नोन्याल कति बडू छ ? क्या कर्दू ? अर क्या ह्वे वेतैं ?

बौडी- (रुंवासी ह्वे) बाबू बडूऽ छै वा खडौण्यां। द्वी नोन्यालों बुबा छ। यू ही निहोंण्यां यकुलो औलाद छ मेरी। पर ! क्या कन बाबा तैकी मति खराब ह्वेगी। सर्री कूड़ी मुंड मा धरीं। निरासपंथ वळू काम छिन कनु कु। नाती ब्वारी तैं डैली डमखाणु। मितैं अर अपणा बुबा तैं ज्यै-स्यै गाळी देणु। अरे ! वा त बड़ी घौरे बेटी छन मेरी ब्वारी जु इत्गा सौंणी। ये खुणि बोल्दन भल सूत-ब्यैंत, खानदान। 

मि - बौडी क्या बीमार सिमार नि छ आपक लड़का ?

बौडी - न बुबा ना बिमार-सिमार नि छ वा निर्भगी। खूब खाणु पिणु अपणु ळदड़ू फानू। सुबेर अन्वेंण (कल्यो रव्टी) खै निरपट् ह्वे जाणु तै कु बजार मर्छवाड़ी। वखी फुंड दिनभर रैन्दू डबखणु अर व्यखुन्दा हमेसा धुत्त बणि औणु घौर। फिर क्या, सब्यों की निखाणी कनु परिवार मा एक हल्ला रौळी झगड़ा। बुबा तै कुब्यसनऽळ तैंन मेरी गंगछाला सैरें जमीन मारछों मा गिरवी धैर्याली। मि ध्यान लगै सुणणु छै बौडी बिदागत।

      बौडी अग्ने अपणी दुख्यारु लगाणी रै। बुबा उन त मेरु लाटू बिल्कुल सिधूऽ गौ मनखी छ। कैका ठड मुख नि चान्दू। मुख नि लगदु कै खुणि पल्या सौर बी नि ब्वन्यां, पर तै मर्छवाड़ी पाणी प्येणा बाद वा मनखि… मनखी नि रौणु चा। पता नि क्या जी लगि तै फर, कैन क्या करि, क्व जाण। मैंतें वीं दिन पता चली कि ममता इत्गा अंधी होन्दी। 

अग्ने बौडिन द्वी हाथौन चटमताळी मारिन। अरे मित ब्वनू सचु भगवान ह्वलू त वे कु पट निर्बीजो निरासपंथ हुयाँ जु मेरी घरकुड़ी नि ह्वोण देणु।

मिन बात बडै ब्वोली, बौडी तु ब्वनी सीधू छ, पर ! कबैरी तलक ?

बौडी - बुबा जबैर तलक वा तै मार्छोंक मूत दारू नि प्येणु।

मिन ब्वली बौडी सुबेर दस बजी बटिन वा मर्छवाड़ी पड़यों रैन्दू, ब्यखुन्दा धुत बणि औणु, रात दस इग्यारह बजि तक ड्रामा कनु अर सुबेर आठ बजे उठणु।  तऽऽ. इन ब्वाल कि चैबीस घंटा मा वा केवल सुबेर द्वी घंटा आठ से दस बजि तक ही सीधू गौ समान छ ?

बौडी - हों बुबा सच्ची। ठिक ब्वनु तु।

      मिन बोली बौडी तै फर कुछ लग्यूँ-बिलक्यों नि। क्वी द्यबता मसाण, सैद-सूद नि छ। तै फर वा मर्छवाड़ी पाणी लग्यूँ बौडी, मर्छवाड़ी पाणी। पूज सकणा त तैकु तै दारु पुजाऽ तैकु दारु इलाज करावा मलप तैकी लत बंद करावा। बाकी सब ठिक ह्वे जैलू। किले छाँ तुम ये पूछ-जांच मा ढफकणा। बौडिन बोली बुबा तु बी ठिक छ ब्वनू पर बिगैर कुछ लग्यूँ-बिलक्यों इनि थ्वोड़ि कन छै तैंन।

      बौडी अपणी एकढयपुल्या बात पर अडीग छै। किलै कि समाजै अति रुडीवादिता आदिम तै क्वै हैकी बात स्वीकार नि कन देन्दी। ना कब्बी स्वोची कि इन बि कारण ह्वे सकदू। आम देहात मा आज बी समाज का अंर्तमन मा मेडिकल साईन्स ना बल्की देवी द्यबता, भूत-पिचास, खबैसों कु दोस अर घात जैकार ही बैठयूं छन। सक संका हैकी बात अंगीकार नि कर्दी।

      तब ब्वला इत्गा सीधू छ हमारु समाज जख कुब्यसन लत बी कुछ लग्यों-बिलक्यों कु कारण माने जांद। नोनू छ लोफर महा झांजी अर ब्वै छिन डफखणि बक्या पुच्छयारा मा।

      मिन आखिर बात मा बौडी तैं ब्वोली, बौडी तु नि माण्दी तेरी सही पर सच्ची बात या च कि तैकु छाळ निवाळ द्यो द्यबता बक्या पुछैरुं मा नि बल्कि यमराज मु जरुर च। मेरी इनि खड़खड़ी बात सुणी बौडिन मेरु ही छाळ निवाळ कैर दिनी। बल कैकु छ तु यनु कुबीज, यमराजा यख जयां त्वै मास्ते कुटुम्दरी अर मि अपणु सी मुख ल्ये वख बटिन निकळग्यूं। 

 @ किस्सा नब्बे का दसक कु

मर्छवाड़ी – मार्छा/ भोटिया बस्ती

छाळ निवाळ -शंका समाधान

@ बलबीर राणा ‘अड़िग‘

मटई चमोली 9871469312

https://udankaar.blogspot.com/

 

Wednesday 18 November 2020

असौंग उड़ान

 


अर्चनाऽन पिताजी खुट्टा बानी सेवा लगैन, अच्छा पा मि जान्दू छौं ।

ठिक च बाबा जो टेम पर। यीं करोना का चक्कर मा एयरपोर्ट वळा बि इम्रीगेसन खुणें चार घंटा पैली बुलाणा छाँ। जो मेरी लाटी जो, उड़ । क्वे बि उड़ान असौंग नि होन्दी बा, असौंग त मनखी होन्दू। उड़ ल्ये जथ्या हौंग सक्या च। कैर अपणा मने। दिखौ दुन्यां तैं अपणा पंखों तागत। पर ! बेटा कट्यै ना। पितान अर्चना मुंड मा हाथ धरि ब्वोली।

कट्यै ना ! पिताजी मुख बटिन ‘कट्यै ना’ शब्द सुणि वींतैं जर्रा झस ह्वेन।

कटयै ना। मि बिंगी नि पा ? क्या ब्वन चाणा ?

      हाँ बुबा, बिगान्दु त्वैंतै। बेटाऽ अगर पतंगै डवोरि टेट राखाऽ त वा उड़ि नि सकदी तैकी सार्मथ पांजी रै जान्द अर ढीली छवाड़ाऽऽ त वा दूर तलक मन इच्छा उड़ि त सकदी पर या मा तैकु कटेणु डौर रैंदी। बस बात इतगा च। सबसे बड़ू सुख बिंगाण। अर दुःख बिगें नि सकण होन्दू लाड़ी। मेरु सुख दुःख तेरा हाथ पर। 

      अर्चना समझदार पढ़ी लिखीं हुणत्यळी। पिताजी बात बिंगी बि छै अर यीं शब्दे व्याख्या मने मन कर्याल बि छै। ठिक च पा आपक बेटी आपक नाक रखली। अर तैन अटैची उठैन सब्यूं तैं बाई करि घौर बटिन निकळिन।

      अर्चना तैं पता छै कि जै बाटा मि जाणु छ वा इत्गा सौंग नि वा बि नोन्यूं तैं। तैका परिकति पिरेमन चढ़ाचूड़ी मातृमि असौंग उकाळ चढ़ण चुनि। आज वा जाणी छै विदेश, पर्यटक गाइड कोर्स पर। तां से कि वापस ऐ ज्यू भौरी दिखै साकु अपणी यीं स्वाणी धर्ती कु बैभौ दुन्यां तैं। दिखै साकु अभौ कु बाना मारि सिकसौरिन उन्द भाजणा वळों तैं यख रौणों आसरो।

 

@ बलबीर सिंह राणा अडिग

#udankaar

 

Monday 9 November 2020

न्यूतु

 


    

    बिगैर नौ का नम्बर से वर्टसैप मा एक चैट पाई, लिख्यूं छै ‘हाई’। डीपी देखी मि चौंक ग्यायी कि ना क्वी बात चीत ना सेवा सौंळी, खाली ‘हाई’। भाई क्या ह्वाई ? आज घाम कने बटिन आई। जनि मैसेज फर नीलो टिक आई, मिनट बाद। किड़िंग किड़िंग किड़िंग,......झड़ झड़ झड़,..... झ़डझड़ाट करि अंद-चंद फोटों झमड़ाट, जन कि कैन पक्यां जामुना डाळा पर मरमरू हात अजमै ह्वलु। ऐरां मुबेल बिचारु सीं डाळ तैं सै नि साकी अर तैन झप्पऽऽ आँखा बुजिन, बाज-खास बंद।

      तख रावा ! अब खा माछा। आज बिचार छै कि कुछ भलि कथा बात ल्येखुला त वा बि ह्वाई। नि आन्दू वा ‘हाई’ नि ब्वल्दू मि क्या ह्वाई, अर नि होन्दू मेरु राजन बाजन सौंजड़या कड़कड़ू।

      क्या कर्दू साब पैली त मुबेल बचाणे युक्ति स्वोचि, कि सुदी अड़गट्यूँ छै या सदानी वास्ता स्येगिन। मिन गिचा भित्रे अद्दा अधुरा रक्षा मंत्र बड़बड़ेन। ऊँ नमो गुरुजी कु आदेस घोर, अघोर, महाघोर, बज्रघोर वीर हनुमंत, मैसासुर आग चल। बीर बाबा भैंरों की दैणा जागे, ह्रूं ह्रीं ह्रां ह्रीं ह्रें ह्रों ह्रूं फट पड़े। फुर्र मंत्र फट स्वाहा।

      फिर तैका मुख पर स्क्रीन क्लीनरन छस-छस छपाक धरिन, कौंळा कपड़न तैकु गात मुंड मलासी। मथि मुड़ि जति छेद छाद छाँ तौं फर फू फा करि। वीं टू जी जनरेशन तैं फोर जी मा तड़तड़ू खड़ा रौणे हिकमत दिनी कि सै ल्ये बाबु हम बिगैर जी बळा बी त सौण्यां तुमुतैं। औन बटन दबेन, त तैन थ्वोड़ी देर रगर्याट त करिन पर जंत-मंत करि आँखा ख्वली द्ये।

      जनि मुबेलोऽक बाज-खास घत पर ऐन मिन पैली चोट मा वा चैट ख्वोली जै बदिन यु टू जी विचारु अड़गटये छै। कुछ देर तक नेटवर्क बि रिंग रिटव्ळी कनु रौ पर पांच मिनट बाद मेरा स्क्रीन पर वां सोब मुखिड़याँ नाना परकार का सूट बूट मेकप मुख मुद्रा मा छाँ, जौं दगड़ मिल्यां त दूर पर बाज बचन बि निराणी पुराणी ह्वेगी छै। मने-मन कै तें सेवा लगै कै तें चिरन्जीव बोली अर ज्वा पच्छाण मा नि ऐन वूं तैं हाई करिन। पर डोरिन हाई ल्येखी नि साब। दुबारा पंगा लेणों मतलब छै कि टू जी बिचारे सदानी बिदै। अर फोर फाईब जी लेख खिसा सिलणु कु मिमा हिकमत नि छै।

      त साब, तौं फोटों रस्याणाऽक बीच एक ब्यौ कारड नजर ऐन, भैर लिफाबा मा कैकु नौं-ना कुछ नि छौं अर भितर वळा फर सब कुछ, पूरो विवरण जति होन्द।। मथि टौप ऊँ गणेसायः नमः वक्रतुण्ड महाकाय से लेकर मुड़ि तिरछा कट मा दर्शनाभिलासी तक। दगड़ मा सबसे तौळ, मेले मामु की शादी में जलूल जलूल आना बि सामिल छौं। अर एक चिपतरी अलग चिपकईं छै, जै फर लिख्यूं छै मान्यवर आप सपरिवार बराती हैं बल।  

      कारड मा तारिक देखी स्थिति साफ ह्वेगी छै कि भयात मा ठिक तिसरा दिन बाद ब्यौ छै। मुनड़ी मानड़ी पैरणे सीन से पता चलि कि फोटो सगै दिने छ। देशऽक आखरी कूणा पच्चीस सौ किलोमीटर दूर अपणों तैं देखी मन हर्षित प्रफुल्लित ह्वेगी, क्या ब्वन हिन्दी मा, बल दिल बाग बाग। उन त अजक्याल यीं स्मार्ट फोना जमाना मा लोग भैर हजारों किलोमीटर दूर वळों दगड़ द्ववकुला हुयां रैंन्दा अर एकी भितर द्वी गज मा यकुला। सात समुदर पार तलक एक गळज्यू पाणि दिखेन्दू, पर बगल सोरा भारा मा आग दर भ्योट। खैर सोरा भारें छुंवी पिसतरी बटिन इनि रै मैल्यो जन हमारी छै, तु दूण मि सौला पाथु।

      चलो नोर्मल फोन सिगनल बटिन आज फोर जी महा सुपरसौनिक स्पीड तलक पांचेक साल लग्यां छै सीं ‘हाई’ तैं पौंछण मा, पर स्याळ न्याळ पौंछग्ये छै, अब निसाब से खुसी होण वाजिब। भै साब मि बि उतळु आदिम, यीं खुसी मा पोणा पूछि पकोड़ी जग्वाल नि करि अर झट मैसेज टेब मा क्लिक मारिन। मयाळी भासा मा सेवा सौंळी बधै शुभकामना टेप करि फूल पाती इमौजी अलग।

      फिर यीं खुशी मौका पर ज्यू ख्वोली टमऽऽ एकावन सौ एक रुप्या मेरि तर्फां बटिन न्यूतु ससम्मान प्रतिष्ठा मा ल्येखी। सैंड बटन पर क्लिक मारिन अर जन कारड आई मैसेज मा स्यां, उनि न्यूतों बि पौंछिग्ये च्वां, टिक टिक। कुछ दिन तलक त नीला टिक कु जग्वाळ कनु रौ पर मैना भर बाद बि वा काळु कु काळु ही रैन। नीलो बि कने होण छै वेन, जब द्वीयूँ अपणा तर्फां कु माटु जु छळकयुं छै अपणेस पर।

 

@ बलबीर राणा ‘अडिग’

असौंग शब्दों अर्थ

 डाळ - औला वृष्टी

कड़कड़ू & अड़गट्यूँ  - बेहोस/ मुर्छित होना

बाज खास - आवाज और सांस

जंतमंत - जैसे तैसे

सै - सहना

घत - सही स्थिती

द्ववकुला - संगे साथी

आग दर भ्योट - एक दुसरे की सह ना सहना, ना देखना

स्याळ न्याळ – आखिरकार

 

#Udankaar


 

Thursday 5 November 2020

झंटयौल


कै समये बात छ, एक बुढ्या अजब सिंग का तीन नोना छै बल, नोनु मा अपणेस, भै भयात, एक जुट एक मुठ भलो छाई। खूब ह्वणकारी छै तिन्यां, नौकरी-चाकरी, घर-बण सोब चौगस। बुढ्या जिन्दगी भरो अबिन्डो अर कुड़बाग टेपो मनखी छाई। पर औलाद निमाणा अर दौ-मौ छै। बृद्ध ओस्था मा जनि परलोक जाणों बगत ऐन तनि एक दिन बुढ्यान सब्बी नोना अफूं मा बुलै कठ्ठ करिन।

      अरे नोनो, ब्यटो। मेरु जाणों बगत औण वलु छ, अब ना जाण कखमु धागु टुटी जौं। अर साब बुढ्यान अपणु ल्येण-देण, हिसाब किताब तौं मा बतैंन बिंगैन। अर आखिर मा, सब ठिक-ठाक भवनचारी छ रे नोनो भगवाने किरपा सि ये गुठ्ठ्यार मा। पर ? अटगी -अटगी सौजी ब्वोलि। पर ?  तुमु मा एक तैं मेरी जैजाद नि छ रे । तैका बाद बुढ्यान अग्ने क्वी जुबान नि ख्वोली।  क्यांकु, किलै, कुछ नि बतैंन कि कैतें किलै  नि छ जैजाद। तिन्यायां नोना हक-दक !! आखिर घड़ी मा कैतें, किलै पुछणें हिकमत बि नि ऐन। स्याळ-न्याळ कुछेक दिन मा बुढ्यै वा तीति जुबान सदानी वास्ता बंद ह्वेगिन।

      नोनु ल पितर कारिज मा बड्या  सुपुत्र धरम निभैन। चर्चरी बरबरी तेरवीं तिरिसी खवेंन लोगूं तैं।  पर बाबा का आखर दौं अणमिला बचन सब्यूँ क जितम बिणाण लगिन। एक हैका तैं सक्के नजरन देखण लगिन। भै भै मा भितर-भितरे  खुण्स-मुण्स सुरु होण लगिन। भितरे वा खुण्स मुण्स कज्ये झगड़ा मा भैर औण लगिन, अर आखिर एक दिन वा बिबाद खुल करि पंच्येत मा ऐन। पंच्येतन बि क्या ब्वन छै यीं जद्दि बद्दि मा। वा बि जब अबिन्डन भ्येळ त धिकाई पर उन्द नि चैन। पंच्येतन तिन्यां भै तैं पुळयै-पथ्यै सौ-सल्ला पर रौणे सल्ला दिनी, कि यार दगड़यो  ब्वन वळु त चलग्ये, अब तुम किलै च अपणु बरमंड ततौणा सिं बात फर।  अर उन बि सरकारी रिकोर्ड मा तुम तिन्यां अजब सिंह का ही नोना छन।

      पर ? दिन दीनी तिन्यां भै भितर वा बात ग्वऽसै जन आग सुलगणी रै, कि हमु मा झंटयौल क्वो च ? दिनो-दिन राड़-धाड़ बड़ण लगिन। आखिर जब पाणी मुंड मथि औण लगिन त एक दिन कैकि सल्ला पर तिन्यां भैऽन म्वर्यां बुबा पर अदालत मा केस दर्ज कैर द्ये।

जज मा जब अजब सिंग कु अजब केस पौंछी त जज साब बि पैली दां गफळा-चिफळी मा ह्वेन। पर बिक्रमादित्यै कुर्सिन फैसला त देणु छै। जद्दि बद्दि छै पर कुछ काण-म्योण त रै ह्वलु बुढ्ये बात मा, बिगैर उण्स-बिण्साऽक बुढ्यान यतनि आग नि लगाण छै। बिगैर चिटिंग-बिटिंग लगि चिमराट नि पड़दी बल। बड़ा अदिमों कु बड़ू दिमाग बल।  

      जजन अफूं मा हल निकाळी अर मुवकिलों तैं हैका दिन पेसी तारीख दीनी अर ब्वोली कि ते दिन अपणा पितजी फोटो दगड़ मा ल्याउन। हैका दिन अदालत लगिन, बुढ्ये फोटो सामणी दिवाल पर टंगणों आदेस दिये ग्यो। जज साबन अदालतै कारवै सुरु कैरी ब्वोलि कि भै लोगो मिन सूणि तुमारु बुढ़या भौत अबिन्डो छाई सच्ची। सब्यून हां मा मुंड हिलेन। अर उल्टु म्वन दां वा तुमरी झिकुड़यूं मा डाम जुदे धैर चलग्यों। त, ब्वाला, क्या यना अबिन्ड आदिम तैं सजा मिलण चैन्द कि ना ? सब्यून खिर्सी-ख्र्सिी हाँ ब्वोली। फेर जजन इनि हौर सुलगणी वली बात ब्वोली कि जां सि  वा तिन्यायां खूब जिगस्यो, अर अपणा बुबा फर गुस्सा कैरो। जब तिन्यूं पारा सातौं अगास चढ़िन त जज साबन बोली निकाळा खुट्टोऽक ज्वोड़ू अर जुत्यावा तै अबिन्डा तैं। 

      आदालत मा सब्बी लोग जज साबा आदेस से हकदक छाँ कि औलाद कन क्वे अपणा बुबा पर जुत्ता मारि सकदू। चै बुबा कतिगा नखरू अबिन्ड-सबिन्ड किलै ना ह्वो, पर बुबा त बुबा होंदो। सच्ची औलादे हिकमत त कत्ते नि ह्वे सकदी पर झंटयला-मंट्यलों क कुउमाळ, क्व जाण, ऐ जावो। 

      जजन फेर गुस्सा मा बोली रुकणा क्या छाँ ? मारा साले तैं जुत्ता। छपोड़ी जुत्यावा। पैली अपणा जितमो डाम स्येळी कारा फेर मि द्योलु फैसल। ज्यून्दो होन्दू त अब्बी डळदू जैल वीं बुढया तैं।

अब तिन्यां भै गुस्सा मा ज्वोड़ु उठै भिभड़ाट करि जाऊन, पर फोटो समणी झिसकी जावो, कैकु हाथ ना उठौ। जज फिर तौं तै हौरि गुस्सा दिलों, जिगस्यावो अर वा तिन्यां भिभड़ाट करि जावो अर फोटो समणी झिसकी जावो।

      त साब। तातु-मातु यीं झपोड़ा-झपोड़ी मा आखिर तिन्यों मा एक की हिगमतन नातो चौबाटा धैर फोटो पर जुत्ते झपाक मारि दिनी। सर्री अदालत सन्न !! चुप।

      जज साबल ओर्डर ओर्डर करि टेबल बजैन, केसा विषय मा बिगैर कुछ ब्वलि आज आदालत की कार्यवाही यहीं पर समाप्त होती है बोली कुर्सी छोड़ी भैर निकळग्यों।

      सब्यों सक-सुब निबटी ग्ये छै कि झंट्यौल क्वो च। जुत्ता मनु बळु बि अब अफूं मा हकदक छै, पर वा कैर बि क्या सकदू तैका भितर झंट्यौल खाब कताड़ी खड़ु छै अर सच्चू पुत्र गैब।

 

@ बलबीर सिंह राणा अडिग

 

असौंग शब्दों कु अर्थ :-

 

 झंटयौल - नजैज औलाद। कुड़बाग - बदजुबान। दौ मौ - सम्पन। स्यालि न्यालि - आखिरकार

खुण्स मुण्स - वाद विवाद। जद्दि बद्दि - असंगत बात। ग्वऽसै – गोसा/ उपला। गफळा चिफळी - द्वंद्वात्मक स्थिति। काण-म्योण - कंकड़ मंकड़।  उण्स बिण्स - ऊँच नीच। चिटिंग बिटिंग - कीड़ा काटना। जिगस्यो – जिगस्योण/ गुस्सा दिलाना। खिर्सी-खिर्सी - अत्यंत गुस्से में होना।

  



Tuesday 3 November 2020

निसाब

 


    

      आज अदालत मा भिज्यां भिभड़ाट छै। होण बि किलै नि, जब केस इनु ह्वा। एक तर्फां पीरी घ्यन्दुड़ी अर हैका तर्फां पिरेम मिस्त्री। बात इन छै कि पिरेम मिस्त्री का आळा/खादरा मा रोण वळि पीरी घ्यन्दुड़ी कुऽ मालिक पिरेम मिस्त्री पर अभ्योग लगयूं छै, बल यु हमारु हत्यारु छ। हमारा घौर उजाड़ण मा सबसे बड़ू हाथ येकु छ, युऽयी कुड़ियूं त्वोड़ी सिमेंटेट मकान बणान्दू। 

    तो, साब मामला पौंछिगयूं अदालत मा।  घ्यन्दुड़ी तर्फां बटिन सरकारी वकील पैरवी कनु छै अर भौंणयेर छाँ वन्यजीव संरक्षण मंत्रालै, कत्गा समाजसेवी संघठन, पक्षी मित्र, पर्यावरण विद अर साहित्यकार नमाण। प्रींट, इलैक्ट्रोनिक से लेकर सोस्यल मिडीया मा यीं केसै चर्चा सळौ जन डार छयीं छै।

      त साब। अदालतै कारवै सुरु ह्वेन। पक्षा वकीलन जिरै मा सर्रा संगसारा नियम कानून ख्वोली अदालत मा घ्यन्दुड़ी निसाबो पक्ष रखिन अर जीव संरक्षण का खतिर मानवीयता कु सज्ञान दिलै पिरेम मिस्त्री तैं सक्त से सक्त सजा देणें सिफारिस कैर थैंक्यू मि लॉर्ड ब्वोली।  पिछने दर्शक दीर्घा बटिन भौंणयेरों ताळी अर हुंगरा बदिन अदालत गुंजिन।

      बचौ पक्षऽक वकीलन जिरह मा अपणा मुवकिल तैं हर कोसिस निर्दोस साबित कने कोसिस करि। पर ! आखिर दां जजऽक फैसला मा पिरेम तैं सजा सुणेंयी ग्ये। आज जैका पठाळ छा कूड़ी भितर कतिगा घ्यन्दुड़यें मवसी राजन बाजन छै वा हारीग्ये छै अर जीत्याँ छाँ वां सब जौंका आलीसान भवनों मा पौथुलों क्या किर्मुलौं बासु नि छै।

 

@ बलबीर राणा अडिग

#udankaar


 

Wednesday 28 October 2020

औनार

 


       देस्वाळी नोनी ममकोट छै जयीं छुट्यों मा। मैना भर स्या मामि दगड़ पुंगड़ा पाटळ, घास न्यार, बण बूट खूब घूमिन। गंवाणी ठसक मसक मा छक करि छीणी कुणीऽऽ फोटू विड्यो बणैन। कुछैक फोटु फेसबुक इंस्टागराम, टयूटर पर कबिता गजलौं मा घुमणी छै, कुछैक यू टयूब, टिकटोक मा छमकणी छै। कुछैक वेबसैटों पर फोटू कोन्टेस्ट मा दमकणी छै। अर वा पाड़ इकुलांस मा रुणी छै कणाट्यणि छै।  

         उन्द जाणा दिन देस्वालिन ब्वली मामि ऐसूं छुट्टी मा बड़ू मजा ऐन यख।

मामिन बोली औं बुबा मजा घुमण वळों तैणि औन्दू यख रोण वळा त अज्यूं बि ख्वजणा छाँ अपणा हिस्से खुसि, उब औन्दी चिफळी सड़क अर उन्द चिफळदा अपणों मा। 

        युं डांडी कांठयूं पर गीत-बात, कबिता परवासी मेमान गाणा भाण्जीऽऽ परबासीऽ। रैवासी त खैंर्खयणा छ, खिर्सी खीर्सी खुसाणा छ। ठुला, ढयौर परीऽ गरुड़ बण्यां, छवटा बिगैर पाणी माछा तड़तड़ाणा अर खौ-बाग सैं-गुस्से हुयां, क्या ब्वन ताऽ।  तुम जावा बुबा जावा। औंदी जांदी रयाँ द्वी दिन सैयि तुमरि खुशयूँ दगड़ खुश राला युं धार गाड़ मुबेल कैमरों मा, उन बी या पाड़ अब निरसी, खैंखर मा बजरा घौ देणु बरसों बर्स।

         देस्वाळी नोनिन अपणु झकतक उठैन अर उन्दो बाटू लगिन, पर न जांण अब किलै वींतैं टकटकार रौंत्यळी डांडी मा अपणी रंग-चंग अलसी जन लगणी छै। 

असौंग शब्दूं अर्थ :- 

देस्वाळी - भैर परदेश वळी

ठुल - बड़ा 

ढयौर - मोरयूं जानवर

खैंर्खयणा - दुश्मनी लेण

खिर्सी - जलन/ईर्ष्या 

खैंखर -खुंदक 

अलसी - मुरझायी सी

@ बलबीर राणा 'अड़िग'

Friday 23 October 2020

कुछ

 

   

    
    क्या करलि गंगसारी राणी, जैका छोरा बुद्धि ना बाणि, इनि हाल नागपुर्या काकिऽक बि छै, नोनु र्निबुद्ध लाटो, जख देखी तवा परात, वखि बितैन रात, घचौरी घच्वर्यूं घ्वोड़ु। बाद मा कखि आळी जाळी ना ह्वो इलै काकिन बगत पर आळी ब्वाळी करि ब्यवै दिन। पर ब्यौ बाद बि तेतैं ना सौंण बर्खो ना भादो गर्जो।
    एक दां ब्वारी छै मैत जयीं, काकिन बोली जा रे घुंत्या ब्वारी बद्यै ल्यो अर काकिन तैका हाथ पांच रुप्या धरिन कि बाटापुन ‘कुछ’ ल्ये लियां, सौरास रितो हाथ जाण ठिक नि।
ऐरां घुंत्या ठैऽरि गरुड़ौ घिन्दुड़ु। तैन स्वोचि ‘कुछ’ क्वी चीज होन्दी ह्वली अर वा बजारपुन ‘कुछ’ खुज्याण लगिग्ये।
    घुंत्या- लालाजी तुमारा यख ‘कुछ’ बि च ? जी हाँ, यख कुछ ना भौत कुछ च, ब्वऽलाऽऽ तुमुतैं क्या चैणु ? जी मितैं भौत कुछ ना, *कुछ* चैणु। दुकानदारोऽन बि तैकि मुडळी बिंग्याली छै।, कुछ खुज्ये-खुज्ये तेतैं ततऽन बजार कुछ नि मिली अर वा अणमणु रिता अग्ने बाटा लगिन । 
    चल्दा-चल्दा बाटपुन कै गौं मा एक बौडी सग्वाड़ी मा तुमड़ा छै गाणि, घुंत्यऽन पूछि बौडी सु क्या छ ? बौडिन बि तैका पूछणा ढंग-ढाळ से मसखरी मा ब्वलि या बि छ *कुछ*।
    घुंत्या लाटा तैं ‘रुद्री रब्ये’ ह्वेगी। तैन बौड़ी हथ मा झट पांच रुप्या पकड़ाई, लै बौडी ये ‘कुछ’ मितैं द्ये द्यै। बौडी तैं बि ‘काणा त्वै क्या चैंद, द्वी आंखा साणा’। बौडिन सबसे ठुलु तुमड़ु तैमु सौंपिन। घुंत्याऽन बि चम्म तुमडौ भारु लगैन। 
    अब ! चल तुमड़ा बाटे-बाट चौरास, घुंत्या लग्यूँ सौरास।       
 
शब्दार्थ :-
आळी ब्वाळी  - जैसे तैसे/दिन रात
बद्यै - बुलौंण
तुमड़ा - कद्दू
रुद्री रब्ये - खुशी बरखा
ठुलु - बड़ू
 
@ बलबीर राणा ‘अडिग’
 
#udankaar

Thursday 22 October 2020

भैंस्या


 

     बाप रे बाप !! गौं मा बि अब कन बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बणग्ये भै, यखा लोग बि कख पौंछिग्यां। कैकि च भुला स्या मकान ?

भैंस्ये छ भैजी।

क्व भैंस्या, पुष्कर ? जी, ठिक पच्छयाणी तुमुन। 

वे गौं बटिन औण जाण वळा सीं मकान देखी एक हैका तैं इनि पूछदा।

गौं मा पुष्कर नौ का तीन लोग छाँ एक मास्टरजी, हैकु फौजी, जु घौर मु छै वा भैंस्या, पर पुष्कर सिंह बर्तवाल (भैंस्या) हणति गिणती मा इलाको संभ्रात नौ। बिगैर भैंस्यो कैकि पुज्ये मा दय्बता ना तूसौ अर ब्यौ मा सबत ना बाजो इनु जाण्यां माण्यां नौ।

तिमंजिला तरासी लेन्टरदार कूड़ि, सड़क पर द्वी गाड़ी, पंयार चार घ्वड़ा अर डेड द्वी सौ बखरें तांद, पाळी भाबर्या बल्दें जोड़ी, किल्वड़ा द्वी मुर्रा दुधाळ भैंस अर साळी खर्क मा चळ-चळकार धौळि गौड़ी सदनि बंधी रैन्दी। बारामासी लेंदो चैदामासी त्यवार।

लाखों जत्थो मालिक छै भैंस्या। चल्दू फिरदू बैंक, जवरकट्टा भितराऽ खिसा हर टैम मल्यो रंगा तीन चार गडवळि भरीं रैन्द। मौ-मदत, आर-सार जैन जखिमु मांगी वखिमु हाथ खीसा उन्द डल्दू, पर सौकार बणि गनखुल्या कै से नि खैन।

भैंस्यो बाळोपन गरीबी टूटो टालो मा बीतिन, बाबा निरंकार लाटु, भजिराम हौलदार, जैन जख लगेंन वखि। बिचारन सरि जिंदगी हौलदार सुबदारां फट्या पुराणा मा काटिन, पर छौं हिगनत्यारा मनखि। सत स्वभौ आदिम तैं भगवानल बि भलि हुंणतल्या औलाद दिनी।

      गरीबा नोने पढ़ै बी गरीब ही निकळी पर घर्या कामऽक सल्ल लकारन भैंस्या नौं आईकन बणेयाली छै। बाळापन बटिन गाजीऽऽ पाळण-परेख कै डाक्टर से कम ना अर गाजी बिजनिस मा गुजराती। 

       तैड़ु निकलणु जसीलो हाथ चैंद बल, गाजी बिजनिस मा भैंस्या इनु जसीलो सळतम सळतम तैड़ु निकळदू छै। तैका सल्ल से लतैड़ गौड़ि पैंजा त गैळ बल्द सीं पैटी जान्दू अर बांजा बंठर गाबिण ह्वे जान्दा। आज कति मवस्यूं रुजगार भैंस्या परताप चलणु छ।

भैंस दगड़ भैंस बणि अर खच्चर दगड़ खच्चर बणि खयेन्दू या बात ब्वै न रोटि दगड़ खवाईं छै। अपणु म्वोळ माटु करि ही धर्ती मा खाण निकळदी यीं बात तैका मन घौ करिं छै। ज्वानी बिनसरी बटिन काठे धर्ती मा काठौ आदिम बणि जत्था पर जत्था जोड़णु रौ, गौरु भैंस, बखरा, घ्वड़ा। चौं तर्फां बटिन पन्याळा पाणी क्या लगिन आमद कु चर्खा सर्रसराट करि बथौं देण बैठि। भ्यंकळे बन्दूकन तितर मने कब्बी नि सोचि।

भाग मा ह्वो त भुंया कचाक मारि बि अन्न निकळदन ब्वनै बात चा, बात तऽऽ या चऽ कि बीज भलु ह्वो त ढुंगा मा बि जमी जान्द। ह्वणकार हड़ताल मा नि बैठदू। बल, बाटु जिबाळ त बांगा खुटटौं तै होन्दू सीधा खुट्टा वळा एकी टांग मा ऐबरेस्ट चड़िन।

 

शब्दार्थ

पंयार - बुग्याळ गाज्यों विकसित देश

जत्था - पशुधन

गनखुल्या - ब्याज

हिगनत्यार - सचु ईमानदार

लकार - काबिल

गाजी - पालतु पशु

पन्याळु - घटौ पाणी पेप

 

@ बलबीर राणा अडिग

#UDANKAAR