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Saturday 28 March 2020

सुख समृद्धि बिज्वाड़



मेरु बाबाजी  अपणा
हर नयाँ साला दिन
डलदू छै
जौ बिज्वाड़
दय्बता थान मा
धर्दू छै नौं दिनों बर्त
कर्दू छै अनुष्ठान
सिंचदू छै बिज्वाड़
नौरतों तलक
ह्वे जान्दी छै
झकमकार हरियाळि
चड़ान्दू छै जौ डाळी
दय्बतौंऽका मठ मा
बिज्वाड़ बटि काटी
धर्दू छै एकपत्या
जौ कि डाळि दूर्वाआशीष
सब्यों मुंड मा
कर्दू छै कामना
गौं-ख्वाळा
बण-बूट
गाजि-पाती
दुन्यां संगसारे
सुख समृद्धी का वास्ता
अब मिन बी कोशिस करि
समाळी अर जमायी
वा बिज्वाड़ 
साल मा द्वी बार
कुछ अंखार
कुछ स्टेटस का वास्ता
अब अग्ने
भ्वोळ नयीं पीढ़ी
क्या कर्ली क्व जाण
बिज्वाड़ त बिज्वाड़ छ
बिज्वाड़ नि त डाळी नि
डाळी नि त
मनखि माणि नि।
@ बलबीर सिंह राणा 'अड़िग'

Thursday 26 March 2020

अठ्वाड



1.
वे का मन मा न जाण
क्या आयी, खाण-खाणें
वेंन झट गैणु तौड़ि
अर साळी पल तर्फां
चल्ग्यिे जौ पुंगड़ा उज्याड़
गुस्यांणिल धै लगैन
घौऽर त ओ
त्वेतैं ये अष्टमी मा मिन
अठ्वाड़ोंऽ नि द्यायी त,
मेरु नौं रौत्यांण नि,
बागिन यति क्या सूणीऽ
झपा-झप द्वी चार
हर्रा जौ का गफ्फा मारिन
अर
डौरिन चुपचाच दौंळा पर ऐग्ये
कि कखि गुस्यांण
सच्ची न द्ये द्यौं
अठ्वाड़ मा ।

2.
अठ्वाड़ से पैलि
वेऽका सिगों फर
चिफळापट त्योळ,
रंगिळा, पिंगळा फुर्का लगाई गयां
मुंड द्वी तर्फां बटिन
म्वटि बर्तोंऽन बांध्ये ग्यों
चौं दिशा बटिन
हजारों लोग
सीटी बजाणा छाँ
स्वींताळ कना छाँ
बाजा भुंकरा घमकाणा छाँ
खुशी मनाणा छाँ
अर,
वा बिचारु बेजुबान
ताण लगाणु छै
दौळा फर जाणूंऽ।

3.
रंग बि रंगा चक्र मा
वे कु मुंड
संड/मुसंडोऽन बर्तोंऽन थाम्यों छै
वामणों मंत्रों उच्चारण/आह्वान
बाजा-भौंकरा, ताळ-कंकसाळों नाद
सातों असमान पौंछणु छै
नंगा धड़ंगा पस्वांऽ हाथों फर
फर्सा, खडगा चमकणा छै
अर, वा वेबस बागीइन्तजार कनु छै
खडगे च्वोटेऽ
अठ्वाड़ खतम होंणें
मनख्योंऽ का जितम स्येळि पणें
अपणा ल्वै छराक फर
तौं घर/गौं
हर्रां-भर्रां होंणें।

4.
भै साब
आज बी
वखी छ हमारी
बुँखाळे कालिंका माता
कुरुड़े नन्दा भगवती
अर उनि छ
घर-घर बिराजमान
ईष्ट देबी माँ दुर्गा
आज बी वा
अपणा भगतोंऽ  
मनोकामना पूरी कनी
आर्शीवाद देणि
छप्पर फाड़ी
पर !
तनि धै नि लगाणी,
कि !
मितै अठ्वाड़ ल्या
हजारों बेजुबानों बलि कैरा
नृशंग हत्योंऽ तमासु बणांऽ।

रचना: बलबीर सिंह राणा 'अडिग'
मटई बैरासकुण्ड, चमोली

Tuesday 24 March 2020

कुरुणा मामारीऽ घात छ


ज्यू पराणी धिर्गम धैरा
चार दिनों की बात छै
कुछ दिन घौरे मा रावा
कुरुणा मामारीऽ घात छै।

माणि ल्या सरकारेऽक बात
भैर पुन सुद्दी मुद्दी जावा
काम नि छ जब क्वे अड़चन
भीड़ कु हिस्सा न ह्वावा
ज्यान से जरुरी कुछ नि
जर्रा सीं भूल चूकैऽ बात छै।

ज्यू पराणी धिर्गम धैरा
चार दिनों की बात छै
कुछ दिन घौरे मा रावा
कुरुणा मामारीऽ घात छै।

बच्यां राला त दगड़या
माटू खैणी कै कि खैल्या
द्वी दिन टुप टाप रैल्या
मवसी अपणी हम बच्येल्या
बैरीऽ कख लुक्यूं क्व जाण
त्यारा या म्यारा गात छै।

ज्यू पराणी धिर्गम धैरा
चार दिनों की बात छै
कुछ दिन घौरे मा रावा
कुरुणा मामारीऽ घात छै।

मजाके बात नि छै
दुन्यां मा भै काऽम मच्यूं
किड़ा मकौड़ौंऽ का जनु
लांसोऽ कु डांग लग्यूं
रैल्या जब ये जगत मा
तब त दिन छै रात छै।

ज्यू पराणी धिर्गम धैरा
चार दिनों की बात छै
कुछ दिन घौरे मा रावा
कुरुणा मामारीऽ घात छै।

रैल्या सुखि शन्ति त लाटा
फिर भौरि जाला रीऽता पाथा
द्वी दिन अफूं तैं गुठ्ये किन
कखि नि हर्चण्यां तुमारा बाटा
द्वी दिन खड़ू रौणुु यकुलो
या मनखी मनख्यातैऽ बात छै।

ज्यू पराणी धिर्गम धैरा
चार दिनों की बात छै
कुछ दिन घौरे मा रावा
कुरुणा मामारीऽ घात छै।

@ बलबीर सिंह राणा ‘अडिग’
24 मार्च 2020

Sunday 15 March 2020

छिटगा : ममता

1.
ममताऽऽ, ए ममता
चुप घ्वोऽट मार दौं
ना ब्वोल, कतै न ब्वोळ 
अपणा बारा गाराऽ सब्योंन पीसण

2.
ऐरां ममताऽ....
तु माण्दी नि ?
स्या ज्वान क्या
बुड्या बी ह्वे जाऊंन 
पर, त्वेन तैं 
अबोध बाळा ही रैंदिन सदानी।

4. 
ममताऽऽ
तेरी मनसा रैन्दी कि 
स्या सदानी बाळा ही रावो
अर, तेरु पल्ला पकड़ी
रिंगणे रावो, तेरा चौं तर्फां
अर तु कब्बी काँधि
कब्बी घुघि धैर ळाड़ कने रौ।

5.
ममताऽऽ
तेरु स्वभौ मि जण्दू
तु मानण वळी नि छ
त्वेन त ब्वने छ
आखिर सांस तलक।

6.
ममताऽऽ
मितैं लगणु 
तेरु वा क्वांसू पराण
नखरी माया
तौं तैं लुळा न बणें द्यो
अरेऽऽ, जाण द्ये, उड़ण द्ये ।

7.
ममता, ममताऽऽ ! 
त्वे नि लगणु 
तेरु हर बात पर
गाइड कन, ना नुकर 
तेरु हकौऽ  अहंकार त नि छ
कि ? हमेश मेरी कमांड रावो।

8.
ममताऽऽ, ए ममता
सच ब्वोल, तेरा मन मा 
यो सवाल छै कि ना ?
पतंगे ड्वोर ढीली छवाड़ा त
वा भौत दूऽर तलक उड़ी जांद 
पर ! ते कु कटणें डौर रैन्दी
अर, टेट करा त 
स्या उड़ी नि सकद
जति तै कि सामर्थ छ।

@ बलबीर राणा 'अड़िग'