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Monday 19 December 2016

***बगत****


पल्या धार बटिन हवा आणी त छै छयी
माया की खुशबू अपणा दगड़ लाणी त छै छयी।
बंद रख्यां छां जब ड्वार मोर तेरा
ते हवा न हैंका तरफ जाण त छै छयी।
सिं चाँद सी मुखड़ी नि देख सकी तू
मुंड कु पल्ला वेन सरकाई त छै छयी।
खुटा तेरा ते बाटा नि लग्या वें कु क्या कसूर
छै फुट्या सड़क तेsका गों जाणि त छैं छयी।
धै नि लगायी सुणदरा भौत छां कंदूड् लगे बैठ्यां
आंख्यों आंख्यों मा वेन विंगायी त छै छयी।
तू मुंड पकड़ी रुणु छै पीठ फरके ते बाटा मा
जांदा दों तेन टाटा करि हाथ हिलायी त छै छयी।
@ बलबीर राणा 'अडिग'