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Saturday 12 October 2019

मनसा


मन मा कबि कबि
स्वचणों छ कि
माया/पिरेमा बिगैर
अपणैस से दूर
यकुलांस का दगड़
जीवन जात्रा करि जावो
फर ज्यू तौं रुखड़ा बाटों का
कांडा कण्डालीss  दयेखि
झझराणों छ किले ?
वा बुद्ध अर ध्रुव
मनखि नि छाँ क्या?

@ बलबीर राणा 'अड़िग'



Tuesday 8 October 2019

बोला तुम मा आज, राम क्वो छ




अधरम पे धर्में विजय ह्वेन
राम लाम बटिन घोर बौड़ी ऐन
फेर रामराज्य सुरु
यनु रामराज्य
जैन *सर्वेभवन्तु सुखिनः*
*सर्वे संतु निरामया:* मंत्र दिनी
क्या मनखि क्या जीव नमाण
सब्बी सुख दुःख एक समान
यनु जीवन दयेखि परलोक बटिन
रावण तैं बी संतोष ह्वे कि
चलो मेरा पापाs बाना धर्ती पर
मनखी और मन्ख्यात को जलम ह्वे
पर आज !!
रावण खूब खुस होणु,  खिलपत ह्वे हैंसणु
कि वे युग मा त रामल कैका
ज्यू मा मैं तैं नि बसण द्य्यायी
पर आज कलजुग का हर मनखी अपणी
आत्मा तक मैं तैं जगह दियाली
वा, होर जोर से ठहाका लगाणु
हमारी बुद्धि पर, विवेक पर, धर्म पर कर्म पर
भैर भैर राम, भितर मि रावण विराजमान
अरे ! साल मा एक बार क्या
हर दिन तुम मेरु पुतोळु जगावा
मैं फर क्वी फर्क नि पड्द
पुतोळ असली आदिम होन्दू क्या ?
हा हा हा ह ह........
अरे ! भुलाओ यनु बतावाss
 कि !
तुमु मा आज राम क्वो च ?
मंत्री या संतरी
अधिकारी या चपडैस
दुकानदार या ठ्यकदार
जमदार या गलेदार
उधोगपति या प्रधानपति
धरमगुरु या बामण ज्यू
बिठ या दलित
रणनीतिकार या पत्रकार
छ रे क्वी राम ? बोलाss
नाss, नs ?
तो सच्चे स्वीकार कण मा क्यांकि सरम्
कि,
भैर रामों नौं
भितर मेरा कामां सौं ।

@ बलबीर राणा 'अड़िग'





Monday 7 October 2019

गद्दाग्वोळी

भुयाँ त रिंगरिट्वळी हुयीं
टक लगे अगास द्यखणु छौं
छुयूँ छुयूँ मा टुकु पौंछिग्यां
यूं छुयूँ मिजात बिंगणु छौं 

धुँवां रौळी मचायीं सर्रा पृथी
भैजी मुठ्ठी मुठ्योंळ उर्याणु छौं
क्व टपकाणु कख बे टपकणु
ऐरां चैतु काका तनि टपराणु छौं

अयां पोरों दां वाळा बी, छुयों ल्यैकी
तौन बी छुयूँ छुयूँ मा ही, मळकैनी
पांच साल तलक छुवीं भकौरणा रयाँ
हमुन छवीं बिंगैन वोंन छवीं क़ुर्च्यनी

भुलाs नोना भुखै पातणे रय्यां
खंतणो बिगैर नांगे नाचणे रय्यां
दिदाs नोनोsक उगत्याट् घबग्याट
सीं छुयूँ सुणी हवा मा उड़णा रय्यां

अब न पच्यैणु न उन्द उब होणु
एक गद्दाग्वोळी चिताणु छौं
कु जागे पीड़ा जिठाणु बैद हुयूँ
अपणा बल्दे जन मार सौंणु छौं
छुयों कु संगति बजार लग्यों
छुयोंक मोल भौ छुयों मा हौणु
कन लूटमार मचीं यूं छुयों की
जु पाळी बांधी वी गैना कटु हौणु

छुयूँ की बाखरी छुयूँ कचम्वळी
जब चावा तब बणावा
अंगुल्यों का टच मा सरो व्योपार
डिजिटल पुज्ये जबैर बी मनावा।

गद्दागवोळी = पेट की अवस्था जब अपच
में न नीचे होता है न ऊपर
@ बलबीर राणा 'अड़िग'