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Wednesday 7 January 2015

चकबंदी बिंगि जावा

किताब मा लिख्यां आँखर त मिऽटी जान्दा
भाग मा लिख्यां नि मिटदा
किताब त क्वी भी लिख सकदा भुला
जोग त्वेन अपणु खुद लिखण भुला

किले बिबलाट कनु मेरू प्यारू भुला
कुसंगति लोभ मा न भाग मेरू भुला
किले मन अपणु भरमान्दू भुला
चकबंदी मंत्र तें विंगी जा मेरा भुला 
समझी मेरु भुला
विंगी जा तु भुला........

देव भूमि मां जन्म मिलदू कै जतन का बाद
ये तें अर्खाद ना जाण दे हे भूलाऽऽऽऽऽऽ.... आज
हरि भरि ये भूमि तें बांजा ना बणण दयावा
बाप दादों की थाती तें खाली हूँण से बचावा

जड़ जंगल जमीन की लडे छिन भुला
सचु गढ़ पुत्र छै त लड़ जा मेरु भुला
रोजगारक रुण अब तु ना रोवू भुला
अपणु रोजगार अफुं बण जा मेरु भुला
रोजगार बण जा मेरु भुला........
रोजगार बण जा तु भुला

माफियों कु जंगल राज कब तलक रैलू 
राजनीति ठ्यकदारोंक हाथ कब तलक ठगण रैलू 
गरीब क्रांति मिशन कुणी चौक-चौका पोंछावा
विकासक रांकों थामी घर-घर उज्यालू करि जावा

गणेश भैजी स्वेणा तें साकार कर भुला
इकुलांस हुन्य्याँ पाड़ तें उदंकार कर भुला
ये धरती को भुम्याल छै तु रक्षा कर भुला
पाडे कि पाणी-ज्वानी समाल मेरु हूला
समाल मेरु भुला
रक्षा करि जा मेरु भुला .....

किले बिबलाट कनु मेरू प्यारू भुला
कुसंगति लोभ मा न भाग मेरू भुला
भाग मेरू भुला .....
भाग मेरू भुला .... 

गीतकार :- बलबीर राणा “अडिग”
15 जनवरी 2013

जब ह्वेली चकबंदी

रैली अपणी हदबंदी जब ह्वोलि चकबंदी
नि रैली दूर धार गाड़ पुंगड़ी पाटळी
काम धाणी ह्वोलि सन्क्वाळी ।

भैजी/भुलाओ अब निरास ना हो
गरीब क्रांति की आश जगी हो
तेरा नो की ह्वोलि तेरा पुंगडूं घेराबंदी
रैली अपणी हदबंदी जब ह्वोलि चकबंदी।

बांजा डोखरी सूनी तिबारी त्वे भट्याणि हो
पिछने मुड़िक देख तेरु यु गौं त्वे धै लगाणी हो
ना जा मुख मोडी भुला त्वे तेरी ब्वै बुलान्दी
रैली अपणी हदबंदी जब ह्वोलि चकबंदी।

मार अंग्वाल तों धार कांठा की पुंडगि हो
बोंलाँ बिटो कमर कस तेरा हक़ की यु लड़े हो
गरीब क्रांति की अलख त्वेन देळी देळी जगान्दि
रैली अपणी हदबंदी जब ह्वोलि चकबंदी।

नि भटकलु तु अब दिल्ली की सड़्क्यों हो
बेरोजगारक रुण–धूण सरकारक मुख ताकण हो
अपण हाथ अपणु भविष्य त्वेन खुद ल्येखंण
रैली अपणी हदबंदी जब ह्वोलि चकबंदी।

गीत:–बलबीर राणा 'अडिग'
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