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Thursday 18 June 2015

मसाणो का ठाट पड़े


ॐ नमो आपदा देवी
तेरी जन बार पड़े
मसाणो का ठाट पड़े
खूब चखल-पखळाट पड़े
दुन्या की चाहे किलकिलाट पड़े।

ॐ नमो
हरीश दा को आदेश
किशोर दा को आ देश
कै भी गाड़ पूजा
कै भी धार नचावा
ढोल बजा या भोँकर बजावा
कंडाळीन झाड़ा
या गरुड़ पंखोंन झाड़ा
मसाणो की
झाड़ सी.बी.आई. से नि होली
चाहे जन्ता की आण पड़े
बीजेपी वलों की ताण पड़े
फुर्र मन्त्र फुर्र मसाणो
फुर्र फुर्र फू फू......

ॐ नमो
गुरुघंटयाल खबेस कु आदेश
बोल मसाणो
क्या खायी तुमून
क्या पायी तुमुन
अगास मा कने गया
धरती कु चक्कर कण काटी
फुर्र मसाणो चट चाटी
फुर्र मसाणो कट काटी
फुर्र फुर्र फू फू......

मसाणो उवाचो
गुरूजी तुमारा सौं
पहाड़ छोड़ी कखि नि गयों
थोडा सिकार-भातन बांधो
डबल बेड ऐसील बांदो
बांधो डीजल स्कूटर की सवारिन
बांधो हवे जहाज की हवा ळ
ओ.....ओ .....ओ कीsलल....

ॐ नमो
केदार बाबा कु आदेश
बद्रीनाथ कु आदेश
कृपा माँ भवानी की कृपा
देश विदेश बटिन
लोगन खूब द्याई
कुछ चकडेतों न पायी
कुछ हमुन भी खायी
इत्गा भिबडाट किले
इत्गा चिरी मंचिं त
कुंबे जांच नि किले
ओ.....ओ .....ओ कीsलल....

ॐ नमो
प्रकृति दयबता कु आदेश 
कखि भूकम्प करुलो
कखि बरखा बरखलो
कै की कुड़ी हिलोला
कै की बगोला
ये बाना तुमारु ग्येर भरुला
फुर्र मसाणो
नि हूँण अजाण
नि रुसाण
फुर्र फुर्र फू फू
जब तलक कांग्रेस बीजेपी रैली
तुमारी पूज्ये हुणि रैली
फुर्र मसाणो पट पटकावा
फुर्र फुर्र फू फु ........।

ॐ नमो
नेता खबेस दा कु आदेश
सुण ल्या रे मसाणो हमारू आदेश
खाणा रोला पीणा रोला
ये उत्तराखंड मा उताणा ह्वे रोला
लोग त शेरों मा भाजी गेन
यख हमुन त रेण
खोला भी हम प्योला भी हम
फुर्र मसाणो फुर्र
झट झटकावा
जख मिली तख चटकावा
जनता कु दुःख फुर्र स्वाहा
पाहाड़क पीड़ा फुर्र स्वाहा
फुर्र मसाणो फुर्र हराम का पैंसा सुर।

ॐ नमो
मनखियत कु आदेश
हमूतें ना सुणावा
हम मनखी नि
हमूतें ना बिंज्ञावा
हम रागसस  छां मासाण भूत प्रेत
नि कै पार्टी से भेद
सरकारक इष्ट छाँ
जो भी कुर्सी मा बैठु
वे का हम छाँ
फुर्र जन आन्दोलन फुर्र स्वाहा
फुर्र फुर्र फू फू ......

रचना:-बलबीर राणा 'अडिग'

फुर्र मसाणो फुर्र फुर्र


ॐ नमो मसाणो कु राज, कन ठाट-बाट
भैर मुर्दों की कारुणा, भितर चखल-पख्ळाट।

ॐ नमो
हरीश दा को आदेश
किशोर दा को आदेश
कै भी गाड़ पूजा
कै भी धार नचावा
ढोल बजा या भोँकर बजावा
कंडाळीन झाड़ा
या गरुड़ पंखोंन झाड़ा
मसाणो की
झाड़ सी.बी.आई. से नि होली
चाहे जन्ता की आण पड़े
बीजेपी वलों की ताण पड़े
फुर्र मन्त्र फुर्र मसाणो
फुर्र फुर्र फू फू......

ॐ नमो
गुरुघंटयाल खबेस कु आदेश
बोल मसाणो
क्या खायी तुमून
क्या पायी तुमुन
अगास मा कने गया
धरती कु चक्कर कण काटी
फुर्र मसाणो चट चाटी
फुर्र मसाणो कट काटी
फुर्र फुर्र फू फू......

मसाणो उवाचो
गुरूजी तुमारा सौं
पहाड़ छोड़ी कखि नि गया
थोडा सिकार-भातन बांधो
डबल बेड ऐसील बांदो
बांधो डीजल स्कूटर की सवारिन
बांधो हवे जहाज की हवा ळ
ओ.....ओ .....ओ कीsलल....

ॐ नमो
केदार बाबा कु आदेश
बद्रीनाथ कु आदेश
कृपा माँ भवानी की कृपा
देश विदेश बटिन
लोगन खूब द्याई
कुछ चकडेतों न पायी
कुछ हमुन भी खायी
इत्गा भिबडाट किले
इत्गा चिरी मंचिं त
कुंबे जांच नि किले
ओ.....ओ .....ओ कीsलल....

ॐ नमो
प्रकृति दयबता कु आदेश 
कखि भूकम्प करुलो
कखि बरखा बरखलो
कै की कुड़ी हिलोला
कै की बगोला
ये बाना तुमारु ग्येर भरुला
फुर्र मसाणो
नि हूँण अजाण
नि रुसाण
फुर्र फुर्र फू फू
जब तलक कांग्रेस बीजेपी रैली
तुमारी पूज्ये हुणि रैली
फुर्र मसाणो चट चटकावा।

ॐ नमो
नेता खबेस दा कु आदेश
सुण ल्या रे मसाणो हमारू आदेश
खाणा रोला पीणा रोला
ये उत्तराखंड मा उताणा ह्वे रोला
लोग त शेरों मा भाजी गेन
यख हमुन त रेण
खाला प्योला भी हम
फुर्र मसाणो फट स्वाहा
फुर्र फुर्र फू फू........

रचना:-बलबीर राणा 'अडिग'

Monday 1 June 2015

भैर वाळी भितर बल

भैर वाळी भितर- भितर
भितर वाळी भैर बल
मोंस्याणि का कोळि स्येलि
अपणी ब्वे गैर बळ।

सेमन्या प्रणाम की मिठी भोंण मा
हेलो हाई की मर्च कैन मिले
अंग्रेजी लोड़ल थैंचि-थैंचि
निखाणी आज किले बणे
हम गँवाड़ी का गंवार नि
ऐग्या अब त सैर बल
मोस्याणि का कोळी ......

बिंग तो जाता हूँ
बोलना नहीं आता बल
मेरे को क्यों दोष दे रहे हो
मम्मी डेड ने नहीं सिखाया बल
समे-समे की बात मान ल्या या
घुमे ल्या बगत-बगत का फेर फर
मोस्याणि का कोळी......

दूध बोली कु तिरिस्कार कैर
पढ्यां लिख्याँ अनपढ़ किले
वा अंग्रेजियांण नि छयी अपणी ब्वे छयी
जैन बोतल नि, दुधि कु दूध पिले
किले जिझक् किले सरम
दिन दोफरा हो या, राति सुबेर बल
मोस्याणि का कोळी .......

खूब सीखा अर सिखावा
देश परदेश की भी विन्गावा
ब्वनु-बच्यांण तब्बी होन्दु
बिन जाण्या लाटू रैन्दु
फर?
अपणी ना बिसरा ना हर्चावा
ये कु ब्बी उत्गा मान बढ़ावा
निथर? मिट जाळी पच्छ्याँण नि रैलू वर्चस्व
भिंडयाँ ह्वेगी देर अब ना करा अबेर
नि पड़दी मोस्याणि का कोळी स्येलि
नि बनाण 'अडिग' अपणी ब्वे गैर ।

रचना:- बलबीर राणा 'अडिग'