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Sunday 31 December 2017

नव वर्ष आगम अभिनंदन


आशाओं के दीप जले
जीवन उन्नति पथ बढ़े
निश्चल गंगा धार सी धवल
भावनाओं की पाती बहे
महके जीवन वाटिका
खुशियों का मृदंग बजे।

आगोस में हो प्रेम बन्धन
नव वर्ष आगम अभिनंदन।

उन्नत हो खेत खलियान
बाग-बगवान खूब फले
हरित रहे धरा माँ आँचल
हर घर सुत समभाव पले
राष्ट्र हित में कर्म साध्य हो
नव सृजन कीर्तिमान गढ़े।

न हो आपदों का क्रंदन
नव वर्ष आगम अभिनंदन।

न छिने किसी बाल का बचपन
वृद्धों का ससम्मान बना रहे
मान मर्यादा जन पल्लवित हो
मानवता हर हृदय गम रहे
देश प्रतिभा विश्व पटल छाये
ज्ञान विज्ञान परमचम लहराए।

महकता रहे भारतवर्ष आँगन
नव वर्ष आगम अभिनंदन।

आगम = आविर्भाव  
@ बलबीर राणा ‘अडिग’


Tuesday 5 December 2017

क्षणिकाएं


1.
गीला हाथोंल
थामणु च
सुख्यां रेतक रिश्ता
ये सोची की कि सैद
हथग्वलि नमिल
कुछ देर रुक जाला
अजक्याला ये औडाल से।
2.
बगत बगद च
उकाळ उँदार
द्वि तरफ़ दिन रात
रुखि रुड़ी, गीलू बसग्याल
पूसे ककड़ाट बसन्ते फुलार
बिगैर थो खै
चलणु रैन्द
लिखणु रैन्द
जीवन कु बेsखाता।
3.
उन पैली बटिन
तय त नि छ
पर !
सुख- दुःख
उथान पतने बी
एक उमर होंदी
जलम भर क्वे नि निर्तन साब।
 4.
यु चखळ पखळ
सुदि नि पायी
अपणु म्वोळ माटू करि
भैंस दगड भैंस बणी
तब जे किन आयी।
 5.
क्या स्वचणा ?
ख्वाब गैणा जन
चम चमकद दिखेंण चेंद
झल कीड़े चार दिखणा त
समझो मंजिल पर
पोंछण मुश्किल च।
                                         
*@ बलबीर राणा "अडिग"*