वल सारी सटयाड़ी पल सार क्वदयाड़ी
रौंत्याळी डांडियूँ बीच गौं-ख्वाळी हमारी।
मेरा गौँ मुल्क देखा हरीभरी हरियाळी
धरती मा स्वरग चा गढ़भूमि हमारी।
हियूँ चूळा कांठा अर मखमली बुग्याळ
पंच बद्री पंच परयाग, पंच छन केदार
घर-घरौं बिराज्यान थौळ अर थान
द्यौ भूमी धरती बसदा द्यौ द्यबता नमाण
बारा मैना बारा मासा रंगत रंदि भारी
धरती मा स्वरग छ गढ़भूमि हमारी।
कांठौं की पीठ बटे छीड़ा छन बगणा
पाखौं की छत्ती बिटे छौया छन फूटणा
बसुधारा मंगरौं बगदो अमृत जल पाणी
गंगा जुमना कु मैत हियूँ चूळा हिमानी
कळ-कळ छळ-छळ छप्प-छप्प छळारी ।
धरती मा स्वरग छ गढ़भूमि हमारी।
बामणी बौडी धै लगाणी चौक का तिर्वाळी
पुंगड़ौं मा हमारा क्वो छ तू घस्यारी
घात चटमताळ कनि काकी स्या चुनारी
किलै खाई मास्तौ तुमुल कखड़ी सु हमारी
तकदक साग भुज्जी छन बाड़ी सग्वाड़ी।
धरती मा स्वरग छ गढ़भूमि हमारी।
लौ-मान बगत बार पिंगळी छ सार
नाज-पाणी रड़का-रड़कि भौर्यान कुठार
मौ-मदद हाथ बड़ौंदा देंदा सौंग सारौ
खुसी खुसी उच्यांदा लोग मनख्यातौ भारौ
सुख दुःख मा सौंग सारू देंदी बेटी ब्वारी ।
धरती मा स्वरग छ गढ़भूमि हमारी।
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