धर्ती पर जीवन संघर्षों वास्ता च, आराम त यख बटिन जाणा बाद, ना चै किन बी कन पड़ल, ये वास्ता लग्यां रावा, जत्गा देह घिस्येली उत्गा चमक, उत्गा संचय जु यख छुटलू। @ बलबीर राणा 'अडिग'
Search This Blog
Sunday 28 July 2024
प्रीत गीत
कांठियूँ को हियूँ यनु गळणू रैलो,
पाणी बणि गदन्यूँ मा बगणू रैलो।
तिसळी मेरी माया सौंजड़या,
प्रीत कि तीस मा भटकणू रैलो।
फजल को घाम रूमुक होण तक,
बौंणचर गाजी किलौठा बंधण तक,
पंछियूँ का घौल, बासा औंण तक,
निन्यारियूँ कु भजन, भजण तक,
मैं तेरी जग्वाळ मा बैठीयूँ रौलू।
कांठौं को हियूँ यनु गळणू रैलो,
पाणी बणि गदन्यूँ मा बगणू रैलो।
जगमग जुन्याळी छाळी रात्यूँ मा,
गैंणों भौरी रात का जक-बक मा,
झळमळ जुगनू का उज्याळा मा,
घनघौरी औंसी, की रातियूँ मा,
त्यारा खुट्टा छाप तैं छौपणू रौलू।
कांठौं को हियूँ यनु गळणू रैलो,
पाणी बणि गदन्यूँ मा बगणू रैलो।
बण मा बुंराँस फुलण लगिगे,
पाखौं मा फ्यौंली हैंसण बैठीगे,
सारियों मा लय्याँ पिंगळी ह्वेगी,
सर्री पृथि बसंत कु, मौळयार छै गे,
त्वै बिन जिंदगी अणमौळया रैगे।
कांठौं को हियूँ यनु गळणू रैलो,
पाणी बणि गदन्यूँ मा बगणू रैलो।
चखुलौं जन आगास मा उड़ौला,
कफु हिलांस बणि खुद मिटौला,
निरपँखी माया मा पँख लगै जा,
द्वियूँ की प्रीत तैं, उड़ान है द्ये जा,
मायादार झुकुड़ी मा उदंकार रैलो।
कांठियूँ को हियूँ यनु गळणू रैलो,
पाणी बणि गदन्यूँ मा बगणू रैलो।
तिसळी मेरी माया सौंजड़या,
प्रीत कि तीस मा भटकणू रैलो।
6 जून 2024
ट्रेक - 18000'
@ बलबीर राणा अडिग,
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment