Search This Blog

Monday 5 August 2024

ब्वे

 



1.  ब्वे इनि हौंन्दी

 

सुरेश आज बि ऑफिस बटी औवर टेम ड्यूटी करि अद्दा रात मा पौंछयूँ घौर। तबार तक नीता मुबेल मा छै मैसीं। सुरेशन बोलि माँ तैं दवै दियाली छौ ना नीता ? नीतान मुंडी हिलै। चल मि जरा हाथ मुख धौंदू तू खाणु गरम कौर द्यै। वीन झल्लै कि बोलि तुमारी नौकराणी नि मि रात बे-रात तलक, टेम बि हौन्दू कुछ। तखमु धरयूँ खावा। स्या छिंगर्या ह्वै भितर चलिगे विस्तर मा। सुरेशन कुछ नि बोलि अर गुसलखाना चलि गयूँ। वापस आई त माँ तंगत्याट करि खाणु गरम छै कनि कीचन मा।

 

2. ब्वे शरेल

     ब्वे इखारी भैर-भितर सर्का-बर्की छै कनि अर पार रोड़ मा नजर छै दौणाणी कि मेरु दिनेश नि आई अज्यूँ तलक, रातै बारा बजण वळी छन। इनि सर्का-बर्की मा रातै एक बजी भैर मोटर सैकिलौ घुँघ्याट सुणैंन। सु सट्ट कीचन मा खाणु गरम कन लगी। दिनेश भितर आई अर धंगद्याट मा अपणा कमरा मा चलिग्यूँ। ब्वेल तैका टेबुल मा खाणूं थकुलौ धरी, ऐ बा भौत अब्यौर करियाली रे तिन ? ले पैली खाणु खो तब स्यै जयाँ ।  पर दिनेश लम्बू-तम्ब निचंद ह्वैगे छौ विस्तर मा। ब्वे तैं पता त छौ कि सु दगड़यूँ दगड़ होटल बटे छौ खै-प्यै अयूँ पर ब्वे शरेल कख माणदू।

 

3. ब्वे बोने रौंदी

 

     सौला सालौ आकाश भैर टेबुल मा छौ खाणु खाणू अर ब्वे तै उणि तव्वै उगायीं रुवटि छै द्योणि, ज्वा रुवटि जरा सि बि फुकेन्दी वेतैं स्या अलग करदी अर ज्वा ढक्क उगै साफ फुंक्याळी रौंदी वेतैं आकाश तैं देंदी । पर ! आकाशौ ध्यान खाण पर ना बल्कि मुबेल पर छौ, सु एक हाथन छौ चट-चट मुबेल मा टेप कनू अर सर्र-सर्र छौ स्क्रीन सरकाणूं अर हैका हाथन छौ रुवटि तौड़णूं,  पैल्या ढै बजी जना समाचार। सु कच्च-कच्च करि पाँच मिलट मा एक कौळ घूटदू जन तैका गिच्चा फर बख़रों जन मवै बीमारी छै हुईं होली। सु मुबैल देखी कै दां मुल्ळ हैंसंन्दू कै दां गिच्चौ बांगू करादो। कैदां त सु रुवटि कौळू भुज्जी बड़ीख उंद ना बल्कि भुयाँ टेबल मा डोबदू। ब्वे भितर बटे उगयीं रुवटि तैका थकुला उंद रखदी अर तैका थकुला उंद बे ठंडी हुईं रुवटि भितर ल्ही जांदी।

     स्या जति बार रुवटि लांदी तति बार बोल्दी, द रे ! पैली खाणु खौ बा ! बाद मा पौढ़ी लियाँ। पर तैकु ध्यान बिल्कुल बि ब्वे बोन मा नि रैंदू कि ब्वे यनमण्यां डेली बोने रैन्दी। बुबा बैठक बटे तैकि हरकत छौ द्योखणू कि सु चैट फर छौ निन्यानबै चक्कर मा घुमणू। बुबा लाल पिंगलौ छौ होणु मने-मन। तैकि हरकत ना बल्कि तैकि ब्वे छुवीयूँ फर कि बाद मा पौढ़ लियाँ। ब्वे कु प्यार यति लाटौ अन्धो बि नि होण चैन्द कि लड़ीकै अबाटै हरकत वींतैं पढ़ै लगौ।

 

4. ब्वै अपीड़ नि ह्वै सकदी

     बीर सिंगा ब्यौ हैका साल यी ब्वारिन चार बीसी फर पौंछण वळी सासु सुरमा कु चुलाणू अलैद करियाली छौ कि म्यार बसे नि त्वै ढ्यौरै गुजराट सौंण। बुढळी बुढयान्दो एक बीज सु बि बोर्डर दुश्मना नजर फर। यीं पाँच सालै नौकरी मा ब्वारी डौरिन बीर सिंगल ब्वे तैं कब्बी एक टुकड़ौ खट्टे-मिठ्ठैं तक नि चखाई। जबार बि सु छुट्टी औन्दू ब्वारी चिळाण जन झप्पाक मरदी तैका बैग फर। हाँ दुन्याँ दिखाणू तैन मुस्किल से पाँच सौ मावारी लगै छौ ब्वे नौ फर। ब्वारिन त कब्बी किलै पूछण छौ जौर-मुंडारा मा कि जी ल्या एक रुवटि।

     आज दुफरा सुरमन देखि कि ब्वारी उबरा सुबेर बटे ध्वाँ नि उड़ी, त स्या अपणी कुबड़ी कमर पकड़ी ब्वारी डंडयाळी पौंछी, तख देखि त ब्वारी पेट पिड़ाल छै कराणी चारपै मा। सुरमान बिगैर सोची ब्वारी पेट स्वोरण सुरु करि, वी तैं अपणा पाँच स्वीलीकुड़ौं अनुभौ छौ कि छः मैना बाद कोखी जीव कबारी इना उना भटकी जांद। कुछैक देर मा ब्वारी तैं सज पड़ी।

     ऐ ब्वारी!! सझ पड़ी त मि एक गफ्फा भात ल्यौन्दी बा, तिन सुबेर बटे कुछ नि खाई आज। अब ब्वारी गिच्चा मा बाज ना, आँख़्यूँ मा अंशधारी छौ बगणी।

 

5. ब्वे नि बींगली त क्वो बींगलौ

 

     सु जबार बटे दयरादूण बटे आयी परिसान छौ दिख्यौंणू, ब्वेल पूछी ऐ रे सूरी किलै छौ रे परिसान ?  तू मेरी चिंता ना कौर बा, अज्यूँ त मेरा खुट्टा छिन चलणा, जबार गौळ बैठी जाली त तबारी-तबार। जावा तुम खुशी से जावा तुमारी बि अपणी जिंदगी छन, सरी दुन्याँ लगि उंदारा बाटा तुमु दे किलै रयाँ यख। पाड़ मा उन्द भाजणू यी हौणा लोग पैदा, सु कुछ ना माँ बोलि टरकै देंदु।

     द्वि साल पैली जबार बटे सु नाती हिमांशु होयूँ तबार बटे सुरेन्द्रै ब्वारिन सु एक ठड्डा शूल छौ धरयूँ कि अब बाल बच्चा वळा ह्वैग्यां, यूँ कि पढ़ै चिन्ता कौरा। चला दयरादून, मैं सि पिछने आँयी सब्बि ब्वारियाँ चलिगे। तेरी मास्टरगिरिन तब औंण मेरा काम जब मेरी कमर बैठी जाली तेरा बुबा तौं सैंचारु खैन कन मा। दगड़ वींकु सासू दगड़ छौ बिगैर बतौ अब्वलौ लगायूँ कि भ्वळा दिनों दयरादूण मकान बण जैलो त बुढळी ना लगि जावो पिछने ।

     ब्याली ब्वेल सु सुरेन्द्र कैमु छुवीं लगाण सूणी छौ कि दिदा सब खंड खेल्याली, बीस लाख लून निकाल्यूँ, दसैक इना उना बटे करि पर अब तीनेक लाखै छन कमी होणी रजिस्ट्री वास्ता। अब हौर बाटा बन्द दिखेणा छन मितैं,  भैजी क्या होलू कुछ समझ नि औणी ? कज्याणी बोल्याँ फर सुद्दी फाळ मारी मिन मैल्यौ ।

     आज सु सुरेन्दर स्कूल बि नि गयूँ सुबेर बटे छौ खौळे दानेण मा मुंड खाड़ डाळी बैठयूँ।  भितर बटे ब्वारी को छौ एक घ्याळ मचायूँ कि नि छै बसे त किलै कौची मुंडी। तबार ब्वैल एक कुटयारू तैका समणि रखी, ले बा कति छन कम पड़णा ? यु मेरी धरी पूँजी छ तुई गिण, अर सु छन योक नथुली, योक बुलाक अर योक चन्दरहार सरा मिलै कि पाँचेक लाख तक ह्वै जाला मि जाण । धरि-पाँजी अपणा का काम नि औण त कैका काम औण।  ब्वारी छै हिमांशु तैं कौळी डाळी भितर बटे लुक्का-लुक्की देखि ख़ुश होणी अर सुरेन्दर रुआँसू टकटकी लगै ब्वे कु मुख द्योखणू।

 

कानियां : बलबीर सिंह राणा अडिग


 

No comments:

Post a Comment