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Wednesday, 28 October 2020

औनार

 


       देस्वाळी नोनी ममकोट छै जयीं छुट्यों मा। मैना भर स्या मामि दगड़ पुंगड़ा पाटळ, घास न्यार, बण बूट खूब घूमिन। गंवाणी ठसक मसक मा छक करि छीणी कुणीऽऽ फोटू विड्यो बणैन। कुछैक फोटु फेसबुक इंस्टागराम, टयूटर पर कबिता गजलौं मा घुमणी छै, कुछैक यू टयूब, टिकटोक मा छमकणी छै। कुछैक वेबसैटों पर फोटू कोन्टेस्ट मा दमकणी छै। अर वा पाड़ इकुलांस मा रुणी छै कणाट्यणि छै।  

         उन्द जाणा दिन देस्वालिन ब्वली मामि ऐसूं छुट्टी मा बड़ू मजा ऐन यख।

मामिन बोली औं बुबा मजा घुमण वळों तैणि औन्दू यख रोण वळा त अज्यूं बि ख्वजणा छाँ अपणा हिस्से खुसि, उब औन्दी चिफळी सड़क अर उन्द चिफळदा अपणों मा। 

        युं डांडी कांठयूं पर गीत-बात, कबिता परवासी मेमान गाणा भाण्जीऽऽ परबासीऽ। रैवासी त खैंर्खयणा छ, खिर्सी खीर्सी खुसाणा छ। ठुला, ढयौर परीऽ गरुड़ बण्यां, छवटा बिगैर पाणी माछा तड़तड़ाणा अर खौ-बाग सैं-गुस्से हुयां, क्या ब्वन ताऽ।  तुम जावा बुबा जावा। औंदी जांदी रयाँ द्वी दिन सैयि तुमरि खुशयूँ दगड़ खुश राला युं धार गाड़ मुबेल कैमरों मा, उन बी या पाड़ अब निरसी, खैंखर मा बजरा घौ देणु बरसों बर्स।

         देस्वाळी नोनिन अपणु झकतक उठैन अर उन्दो बाटू लगिन, पर न जांण अब किलै वींतैं टकटकार रौंत्यळी डांडी मा अपणी रंग-चंग अलसी जन लगणी छै। 

असौंग शब्दूं अर्थ :- 

देस्वाळी - भैर परदेश वळी

ठुल - बड़ा 

ढयौर - मोरयूं जानवर

खैंर्खयणा - दुश्मनी लेण

खिर्सी - जलन/ईर्ष्या 

खैंखर -खुंदक 

अलसी - मुरझायी सी

@ बलबीर राणा 'अड़िग'

1 comment:

  1. देसवाळी नौनी की औनार ! भौत बढ़िया चित्रण अडिग जी ! अर जु असौंगा शब्दों कु अर्थ आप दीणा छवां वेसे पाठकवर्ग भौत लाभान्वित होलु ।

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