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Thursday 22 October 2020

भैंस्या


 

     बाप रे बाप !! गौं मा बि अब कन बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बणग्ये भै, यखा लोग बि कख पौंछिग्यां। कैकि च भुला स्या मकान ?

भैंस्ये छ भैजी।

क्व भैंस्या, पुष्कर ? जी, ठिक पच्छयाणी तुमुन। 

वे गौं बटिन औण जाण वळा सीं मकान देखी एक हैका तैं इनि पूछदा।

गौं मा पुष्कर नौ का तीन लोग छाँ एक मास्टरजी, हैकु फौजी, जु घौर मु छै वा भैंस्या, पर पुष्कर सिंह बर्तवाल (भैंस्या) हणति गिणती मा इलाको संभ्रात नौ। बिगैर भैंस्यो कैकि पुज्ये मा दय्बता ना तूसौ अर ब्यौ मा सबत ना बाजो इनु जाण्यां माण्यां नौ।

तिमंजिला तरासी लेन्टरदार कूड़ि, सड़क पर द्वी गाड़ी, पंयार चार घ्वड़ा अर डेड द्वी सौ बखरें तांद, पाळी भाबर्या बल्दें जोड़ी, किल्वड़ा द्वी मुर्रा दुधाळ भैंस अर साळी खर्क मा चळ-चळकार धौळि गौड़ी सदनि बंधी रैन्दी। बारामासी लेंदो चैदामासी त्यवार।

लाखों जत्थो मालिक छै भैंस्या। चल्दू फिरदू बैंक, जवरकट्टा भितराऽ खिसा हर टैम मल्यो रंगा तीन चार गडवळि भरीं रैन्द। मौ-मदत, आर-सार जैन जखिमु मांगी वखिमु हाथ खीसा उन्द डल्दू, पर सौकार बणि गनखुल्या कै से नि खैन।

भैंस्यो बाळोपन गरीबी टूटो टालो मा बीतिन, बाबा निरंकार लाटु, भजिराम हौलदार, जैन जख लगेंन वखि। बिचारन सरि जिंदगी हौलदार सुबदारां फट्या पुराणा मा काटिन, पर छौं हिगनत्यारा मनखि। सत स्वभौ आदिम तैं भगवानल बि भलि हुंणतल्या औलाद दिनी।

      गरीबा नोने पढ़ै बी गरीब ही निकळी पर घर्या कामऽक सल्ल लकारन भैंस्या नौं आईकन बणेयाली छै। बाळापन बटिन गाजीऽऽ पाळण-परेख कै डाक्टर से कम ना अर गाजी बिजनिस मा गुजराती। 

       तैड़ु निकलणु जसीलो हाथ चैंद बल, गाजी बिजनिस मा भैंस्या इनु जसीलो सळतम सळतम तैड़ु निकळदू छै। तैका सल्ल से लतैड़ गौड़ि पैंजा त गैळ बल्द सीं पैटी जान्दू अर बांजा बंठर गाबिण ह्वे जान्दा। आज कति मवस्यूं रुजगार भैंस्या परताप चलणु छ।

भैंस दगड़ भैंस बणि अर खच्चर दगड़ खच्चर बणि खयेन्दू या बात ब्वै न रोटि दगड़ खवाईं छै। अपणु म्वोळ माटु करि ही धर्ती मा खाण निकळदी यीं बात तैका मन घौ करिं छै। ज्वानी बिनसरी बटिन काठे धर्ती मा काठौ आदिम बणि जत्था पर जत्था जोड़णु रौ, गौरु भैंस, बखरा, घ्वड़ा। चौं तर्फां बटिन पन्याळा पाणी क्या लगिन आमद कु चर्खा सर्रसराट करि बथौं देण बैठि। भ्यंकळे बन्दूकन तितर मने कब्बी नि सोचि।

भाग मा ह्वो त भुंया कचाक मारि बि अन्न निकळदन ब्वनै बात चा, बात तऽऽ या चऽ कि बीज भलु ह्वो त ढुंगा मा बि जमी जान्द। ह्वणकार हड़ताल मा नि बैठदू। बल, बाटु जिबाळ त बांगा खुटटौं तै होन्दू सीधा खुट्टा वळा एकी टांग मा ऐबरेस्ट चड़िन।

 

शब्दार्थ

पंयार - बुग्याळ गाज्यों विकसित देश

जत्था - पशुधन

गनखुल्या - ब्याज

हिगनत्यार - सचु ईमानदार

लकार - काबिल

गाजी - पालतु पशु

पन्याळु - घटौ पाणी पेप

 

@ बलबीर राणा अडिग

#UDANKAAR


 

3 comments:

  1. वाह अडिग जी, भौत रौंसदार कानि ! भैंस्या कु किरदार गज्जब ! 👌👌

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