ब्याखुन्दा बगत भैर अंध्यारु
ह्वैगे छौ, मोल्ला वळौंन लैट बत्ती बाळिल छै। मि पूजा बत्ती करि जनि
थान बटि भैर बैठक मा आयी उनि मुबेलौ घ्वां-घ्वां, कुण-कुण, कुण। मिन हर्यूं बटन
सरकायी ही छौ कि म्यार हेल्लो ब्वन सि पैली हैका तर्फां बटिन म्वटी गैरी बाज मा।
हल्लोऽऽ....?
जी सर क्वौ साब बुना होला ? मिन जबाब दिनी।
हैका तर्फां बटि - हल्लो मैं थाने से इंस्पेक्टर दाताराम बोल रा हूँ।
ऐपड़ी ब्वै !....थाणा सुणि मि झस्स झसकेग्यूँ, गात थर्थराण लगी। धक्द्याट
सुंस्याट, मन मिलट मा सर्री पृथी घुमण लगि, पुलिस ! थाणादार !
किलै भाई ?
क्या ह्वे ह्वोलू ? सवाल अंगयार जन
ख्वपड़ी चटकौण लगिन।
जी सर, जी सर, जी... जी, मिन हकळै-हकळै जबाब
दिनीं।
आप व्यास जी ही बोल रहें हैं क्या ?
जी सर, जी सर, जी...जी। मि उनि घबग्याट
मा।
ये सुन्दर सिंग आपका पड़ोसी हैं क्या ?
सुन्दर सिंग ? मि अचकच गद्दागोळी मा, कि पड़ोसी त भौत छिन पर सु
सुन्दर सिंग क्व दां ह्वलो। एक तर्फां गुसैं जी, तौंका बगल मा खनेड़ा जी फिर जोशी
जी कुमौं वळा। हैका तर्फां खंडूरी जी, वूंका बगल मा नेगी जी फिर शर्मा
जी बागपथ वळा सब्जी मंडी ठ्यकदार। सड़की पल्ली पार असवाळ जी अर तौंका हौर-पोर कुछ देशी कुछ गड़वळी] तौं से परिचै नि छन। मकान त बस्ग्याळा
च्यूँ जन उगणा सैरों मा क्या पत्ता क्व छिन सुन्दर सिंग ? ख्वण-ख्वेणी। मि
अफूँ मा यी गुड़-मुड़ कन लग्यूँ।
इतिगा स्वचण-स्वचण फेर हैका तर्फां बटिन। अरे व्यास जी कथा बाद में करना पहले
मेरे सवालों का जवाब दीजिए।
जी, जी, जी सर, बतांदू छौं। पर अब्बी तक भी मेरी ख्वपड़ी सुन्दर सिंग तक नि
पौंछी सकी छै।
फिर इंस्पेक्टरन सवाल करी। व्यास जी
कथा कुथा में ही व्यस्त रहते हो या पड़ोसियों को भी कुछ ज्ञान ध्यान देते हो ?
अबारी तलक मि जरा हळकू ह्वेगी छौ। कि मेरा परिवार सि तालुक क्वी बात नि। मिन
जरा खुली करि जबाब दिनी। साबजी मि कर्म को व्यास नि छौं बल्कि मेरु नौ, सुधाकर व्यास च।
सुधाकर प्रसाद व्यास। सर नेम छ व्यास, व्यास बामण बल। मूल निवास
द्योपरयाग। अर मि पेसा सि मास्टर छौं, आदर्श प्राथमिक विद्यालय
ग्राम कुनैथ कपीरी पट्टी चमोली गढ़वाल मा।
मि अबारी तलक गढ़वळी मा छौ बच्याणूं। फर हैका तर्फां बटि नि समझण वळी इनि क्वी
परतीकिरया नि ऐ छै। फिर मिन हिन्दी मा यी ब्वोली। साब मेरी बात समझ में आ रहा है
ना ?
जी व्यास जी मि भी गढवळी छौं, नि बिंगण वळी क्वी बात नि, आप सच्चे ब्वाला।
हैका तर्फां बे जबाब ऐन।
साब मिन क्या सच्चे ब्वन मि अज्यूँ तक भी तै सुन्दर सिंग तक नि पौंछि सक्यूँ।
सब्ची मा, कुछैक पडोस्यूँ तैं जण्दू त छौं पर सुन्दर सिंग याद नि औणू।
राम कसम, बात नि बणाणू सच्ची बात या छ। आप ब्वाला क्या बात छ ?
इंस्पेक्टरन बात अग्ने बड़ै। बात या छ ब्यास जी कि यु आदिम परिवार लैख नि छन, बिल्कुल बि ना, मि तुरन्त येकि
एफआरआई दर्ज करि लौकअप मा पौंछाण वळू छौं। कन अदिम च यार। महिला उत्पीड़न का केश लग
गया तो अपनी नौकरी भी गंवायेगा और अंदर भी जायेगा। आपका क्या कहना है। अगला भैल
एकी सांस मा सुन्दर का बारा मा सारांश सुणै।
मि अज्यू बि घंघतौळ मा छौं, मिन बोली, इंस्पेक्टर साब आप
कै विषयै बात कना ? मामल क्या छ ? अर ये कु मैं से क्या
लेण-देण ? जै आदिम तैं मि पछयण्दू ही नीऽ, तैका मामल मा मितैं
किलै छन घिसणा ? मिन जरा कर-करो ह्वै जबाब दिनी।
भाई साब मि आपतैं नि घिसणू, ये आदिमन आपौ नम्बर दिनी कि
साब, मेरा पाड़ोसी छन। भल आदिम छाँ। मेरा बारा मा यूँ से पूछी
ल्यावा। लो आप ही बात करो इनसे।
गुरुजी प्रणाम। मि आपौ पड़ोसी सुन्दर सिंग नेगी, खंडूरी जी का बगल फर पिंगळा
मकान वळू। मरण्यां पर चिफळी भौंण मा हैका तर्फां बटि आवाज ऐन।
जी नमस्कार, मिन जबाबा दिनी।
तै कि अवाज सुणी जर-जरा सकल याद औण लगिन।
हाँ !....... अरे यु त वी ही लगणू ज्वा चार दिन पैली पल्ली पार असवाल जी
नोनी ब्यौ का कौक्टेला दिन जनानी बैखा संबन्ध मा लेक्चर टेप छुवीं लगाणू छौ। मरद
उत्पीड़न टेप कुछ विषै पर छै फौं बाग बण्यूँ। उन त खय्यां-पियां मा जादाकर मनखी अपणी लगान्दा पर सु भै साब समय अर समाजै छौ कुछ
लगाणूं।
तै दिन जनु मि तै से बोक छौ मनू
वा फेर घचौरी-घचौरी छौ अपणी पर औणू, जनु कि तै दिन मि पारटी खाण
ना तैकी सुणण न्यूतयूँ हो असवाल जी को। हौं हौं करि मेरी हौंग तोडियाली छौ दगड़याल। तै दिन
का हौं हौं कना चक्कर मा तैन मैं फर भरोस्वू करि हो आज क्व जाण। नित तै दगड़ मेरी
कब्बी व्यग्तिगत भिटवळी नि ह्वेन।
म्यार यति सुमिरण करद सु दगड़या
हेलो गुरुजी, गुरुजी मेरी आवाज औणी छै, हैका तर्फां बटि भटयाणू छौ। मिन
उत्तर दिनी, नेगी जी आपक अवाज औणी छन, ब्वला जी भै साब, क्या मामल छ।
गुरुजी क्या ब्वन। यु म्यारा परिवारै करामात छ। छव्टा-म्वटा रिबड़ाट पर थाणा
नपौंणा। म्यार समझ मा नि औणी कि परिवारा गार्जिनल परिवार तैं गैड बि नि कन क्या ? हे रे समया......।
अर तेन लम्बी सास ल्ये अग्ने बोली गुरुजी आप एक दां यख आवा फेर लगोलू पूरी बिदागत, फोन पर क्या ब्वन।
थाणा बटि मितैं छुड़ै द्या। सर्रा मौल्ला मा आप पर यी भरोसु छ। यति बोली सुन्दर
सिंगन कौल केंसिल करी।
मि जिट घड़ी स्वचदू रयूं कि क्या बात छै यार, जाण ना पाच्छयाण मि तेरो
मेमान।
तबारी, अजी क्या बात छ ? क्वो छ ? क्या छ ? अर तुम जी सर, जी सर, कख छां सर्कोंणा ? तति हक-बक किलै छाँ
हुयाँ ?
ल्यावा रे ! अबारी तलक छवटी गोळयूँ तिबड़ाट छै सुणणू अब बम बर्सोण लग्यां मुंड
मा। श्रीमती जीऽन रस्वै बटि भैर औण दा एकी सांस मा दना-दन सवालों बम दागिन।
तैका सवाल अनसुणी करि मिन जिट घड़ी चुप रौण वाजिब समझी। फर ! हे रां दा श्रीमती
जी कख छै ठौ खाण वळी।
पता नि तुम मर्दों कि सु कुट्यारी किलै बांधी रैंद। अपणी जनानी मा नि ब्वलला त
क्वो छ वा तति विस्वासी। साफ-साफ बतावा क्या बात छ ? तुमारा डिपार्टमेंट का साब
छै क्या। क्या करि तुमुल ? क्या ह्वेन। अब तक श्रीमती जर्रा निमाणी ह्वेगी छै।
अरे भग्यानी यनि क्वी बड़ी बात नि पुलिस थाणा बटे कॉल छौ।
ऐ ब्वै पुलिस ???
स्या बि करंट लग्यां जन झट्ट द्वी लपाग पिछने।
अरे यार मत पेरशान हो, हमारे घर का मामला नहीं है। वो बगल पड़ोस में हैं कोई नेगी
जी। सु छिन पुलिसऽक थाणा मा बंद कर्यूं। मिन बिंगायी।
ओ ?? ओ .....अच्छा ! फुंड फूका लौ तौं रांड मास्तों
छुवीं। बबाली मवासी। क्वैऽऽ भल्यारी नि
तख। अलौ ? तुम तौंका चक्कर मा ना पड्यां वां।
सैद श्रीमती जी नेगी परिवार से वाफिक छै म्येल्यौ।
श्रीमती जी बात सुणि मेरी ये मामल मा जिज्ञैस बड़ि। नित मि चिन्ता मा छौं कि
पुलिसो कौल किलै आयी। किलै कि पुलिस से मि भौत डरदू। डरण वळी बात यु नि कि मि
पुलिस को भुक्त भोगी रयूं। बल्कि मितैं अपणा बाबै बात याद छ टक्क। कि ब्यटा, जीवन मा द्वी चीजों
सि अदिमों पल्ला नि पड़यूं चैंद। एक पुलिस पटवारी याने कोट कचैरी अर दूसरो अस्पताळ।
यु द्वी जगा अदिम तैं उर्जित नि होण द्येनी।
अच्छा बतौ क्या छ तौं नेगी परिवारो चक्कर ? मिन सवाल करि।
अरे कुछ नि यार। छै बि छै अर कुछ बि ना। कज्याण परबुद्धी अर मौर्डन टेपै।
कज्यै जरा झांझी अर सिददो अन्ड्वान।
अन्ड्वान मतबल ? मिन सवाल करि।
क्या अन्ड्वान ? इना लाटा बण्यां जन कि तुमू तें कुछ पता नि। दस साल ह्वेगी
हमु उणि यख बस्यां अर चारेक साल तै मवसि उणि। क्या चार साल मा तुमु तैं कुछ पता नि
चलणू कि अगल बगल मा क्या छन होणु। भ्यास कै मुल्का। श्रीमती जी हैंसण लगी।
सच्ची यार।
क्या सच्ची यार ?
त बोल ना क्या मामल छ। मिन पुळक्योंण वळा अंजाद मा बोली।
श्रीमती - अरे वा भैजी जबार भी छुट्टी औंदू तख माभारत सुरु ह्वै जान्दी। आज पैली
बार नि छन। स्या कज्याणिल सु कति बार भ्यैज्याली थाणा मा।
मि -अच्चा !
श्रीमती- क्या अच्चा ? कन लाटा छां बण्या ?
मि - चल त बोल, बोल। मिन हैंसी जबाब दिनी।
श्रीमती - क्या बोल, जन अजक्याल सैरुं मा चलणू तनि तौं कु बि हिसाब किताब। अति
मोर्डना चक्कर मा घर कूड़ी मुंडयौणा छन दुन्यां। “त्यौल कम चिबड़ाट जादा”। स्या जननी
अर वीं कि नोनी एकदम देशवाळ फौरनर इस्टेल वळा। अद्दा रात तक खाणू, द्वफरा तलक सिंयाँ
रौण। दिन रात मुबेल मा मोंण कैदी, आपस मा बात विचार हूं हां, घूम-गस्त सैर-सपाटा
वळा। “पातर अदनंगो जमानु”। सु भैजी घौर आंन्दू त तौंका हालत सुधारणा कोसिस मा कुछ
जादा ही टोका-टाकी कैर देन्दो म्येल्यो। तब तूना-मुनी माभारत मा बदली जांदी। जब
साल भर क्वी निर्झक रैलो त वीं तैं हैकक ब्वन फालतू टुकै त लगली। मथि बटि सु कज्यै
घुट्टी-घाट्टी लगै देंदो त गुजराट, मेरी कमै मा कमीनापंथी, मार-निकाळ पर ऐ
जांदो बल, यन सुणी मिन लोकूं मा। बस फेर छुवीं छां फूली कि बमकार ह्वै
पुलिस थाणा मा फूटद। सु कज्यै जाण तक यनु रिबड़ाट रैन्दो बल, खण्डूड़ी दीदी ब्वनी
छै।
अच्छा त या बात च । यार जखमु घौड़
रैंदो वखमु हिल्लो त होंदू यी च, परिवार मा तति त चलणू रैंद।
अब तु बतौ तेरा बड़डाट मा मि बि फफड़ाट करुन
त यख बि तनि नोबत नि ऐ जांदी क्या। वा त भगवानो सुकर मान मि जनु लाटो मिली त्वेतैं।
श्रीमती - ऐ म्यारा सकर्या ! जन कि कन ह्वला बिल्कुल दूध मंगा ध्वयां। तुमारी घुंघ्याट
मि सैन नि कोरदी त क्या-क्या नि होण छौ। यन बोला दौं कि मि जनि सिद्दी लाटी मिली
तुमुतैं।
मि- चल छ्वाड यार आग लगौ। लुकां बाना हमुन किलै बणण सिंटुला। मिन सट्ट हाथ
पकड़ी स्य अपणी तर्फां खैंचद टौपिक हळको करि। अच्छा-अच्छाऽऽ त यु बात च। यार यति
बड़ी बात क्या होणी होली कि अपणा भितरै बात पुलिस तक पौंछणी ?
अजी ”जख एक पाथू अर हैकु चार सेर” ह्वै जान्द त तख इनि मेसि
आंद। चुप रा लुकाणी बात फर किलै छां मुंडारु कना। अब तुम इन बतावा तुमु तैं किलै
करि पुलिसन कौल। श्रीमती जिन सवाल करि।
मुझे नहीं पता, पुलिस ने उसे पूछा होगा कि है कोई तेरे पक्ष वाला। तेन मि
लपेटी दिनी।
श्रीमती- क्या मतलब ? उन त बुना कि मितैं कुछ पता नि अर सु कख बे बण्यूँ तुमारु
खास।
अरे यार खास क्या, तै कि छुंवी मा हौं हाँ क्या करि कि तेन खास मण्याली मितैं।
परसी पल्ली-पार असवाळ जी नोनी ब्यौ कौक्टेला नि छौ जै दिन तख छै वा झांज मा
लेक्चराट बण्यूँ मिन हुंगरा क्या द्येनी कि सु चिपकीग्यै।
श्रीमती- अजी छवाड़ा, बिराणी मवसी झंजट कख छां अपणा मुंड मा डालणा। मौल्ला
मा होर बि त च। तौं परपंच्या परिवारा चक्कर मा ना पड़ा इनि ना ह्वो स्या कज्याण
भ्वोळ तुम तैं भी ना फंस्यै द्यौ। श्रीमती फिर रस्वै मा चलिग्ये।
इत्गा मा मि सटपट सुलार पैनी
तैयार ह्वेन अर भैर निकळग्यूं पुलिस थाणें तर्फां। श्रीमती भितर बटि ऐ, आ कनी छै, पर मिन स्कूटी
र्स्टाट करि अर पौंछिग्यूँ थाणा मा।
पुलिस थाणा मा पौंछणा बाद पता चली पूरौ मामल।
सुन्दर सिंग चम्याळा गौं, पट्टी लस्या को रौण वळू, हाल निवास हमारा दगड़
नन्दादेवी कलोनी फेक्टरी रोड़ डोईवाळा। कौस्टगार्ड कु सिपै, होलदार पद पर। परिवार मा जनानी, एक नोनी अठारेक सालै, नोनू बारा-तेरा
सालौ। चार साल पैली मकान बणें बसेन यख, सिरनगर बटे बल।
तख पुलिसन तैकी सिकैत का
विडियो अर औडियो क्लिप मितैं सुणेंन जु तैकी नोनी का दियां छां। यु छन जी येका
कारनामा। जबार भी यु घौर आन्दो बच्चों तैं परेसान करदू, मारदू-पीटदो, अपणा पैंसों तड़ी
दिखान्दो कि मेरी कमै मा छिन तुम नाचणा। मास्टर जी इसको समझाओ कि सभी लोग अपणा
परिवारा वास्ता कमान्दा। यां का दगड़ इंस्पेक्टरन ये कि जनानी अर नौनि सिकैत अर
बयानै कॉपी भी दिखेन, दगड़ मा मैला अयोग मा तौं कि रिपोर्टे एक अर्जी भी।
ऐरां भगवान मेरा जना इक्ढयपुल्या
मनखिन यनु मामल पैली बार देखी। मैं हिलण बैठिन, पर चलो आज समाजौ एक नयूँ
बिषै फर स्वचण अर सीखणों मौका मिली। मिन इंस्पेक्टर तैं हाथ जोड़ी कि साब आप यी
द्याख ये तैं मि चल्दू, ये का बचौ पक्ष मा मैमा कुछ नि। मि ये भै साब तैं त भली कि
जण्दू भी नि। न्यौ निसाब आपा हाथ फर ही च मिन क्या कन।
इंस्पेक्टर मोटू लदूडौं फर
सुलझ्यूँ मनखी लगभग पचास का धौर या पार। श्री दाताराम डौभाल जी द्वारीखळ का बल।
तौन फिर अग्ने बोली मास्टर जी ऐसे हजारों केशों को निबटा चुका हूँ पर ये भाई मेरे
जैसे वर्दी वाला है। इलै येतैं बचाणैं कोसिस कनू, निथर मेरु क्या आईपीसी की
धारा 498-(ए), धारा- 228 (ए) का तैत घरैलू
हिंसा अर मैला उत्पीड़नों द्वी केश टेकअप करि कोर्ट मा पौंछे द्यूला। पर मि ब्वनू
आप पडौसी छां कुछ जण्दा ह्वला, ताळी एक हाथल नि बजदी। फेर
ये कि नौकरी सवाल अलग। कई बातैं सोचनी पड़ती है मास्टर जी हमको, स्कूल मा जु अ आ आपन
पढ़ाई तौं कु मतलब इना केश सिखौणन यख। अर
हाँ जबार यु घौर मु तांडव कर्दो बल, तब ये कि जनानी अर नोनी कै
रिस्तेदारों यख चली जान्दी, जबार तक ये कु कळौ मुख नि ह्वै जान्द फुन्ड। अन्ड्वान कै
मुल्क को। अर इंस्पेक्टर भैर चलिग्यों।
जनि मि घौर औणा वास्ता खड़ू
उठण बैठयूँ उन्नी बैंच मा बैठयां सुन्दर सिंगन मेरो हाथ खींची अर रूणू गिगड़ाणू लगीग्ये कि गुरुजी बैठा मेरी भी
सूणा जरा। वेका बाद आप बेसक चलि जयां। मि ना ना करि बैठिग्यों। फेर सुन्दर जी
ह्वैगी सुरु। बीस बाईस साल पैली बटिन जबारी तैकु ब्यौ ह्वै ह्वोलो।
अग्ने तैन कौक्टैला दिने
बात दोहरै कि आपी ब्वाला व्यास जी कि मैलों संगता सुणें जान्द यीं जमाना मा फर हम
बैखों सुणण वळू क्वो छ। मैलों तैं एक ऊँची अवाज भी उत्पीड़न ह्वै जाणी फर मेरु जीवन
नरक बण्यूँ यु उत्पीड़न क्वो सुणलो। ज्वा बिडयो औडियो आपतैं यून सुणायी सु तीन साल
पैल्यौ छ करोना काल को, तबार मि बी लॉक डोन मा फंसैग्ये छौ। तबार बटि जबार भी मैं
छुटटी औन्दू सु बिडयो यख पौंछी जान्दी। अर गुरुजी आप त जानकार विद्वान छां आप ही
बींगा कि यूँ बिडियो, औडियो मा हैका तर्फें आवाज अर बिडियो किलै नि छ, जै का जबाब मा मिन
जुबान खौती ह्वली। जनि मयेड़ी तनि जयेड़ी। एडिट करायूं तै को। स्या नोनी भबिस्या बी
वींन जुगपट कैरियाली, नौं की डिग्री कनी। नोनू मेरु एक सरकारी होस्टल मा धर्यूं
दयारादून जब वेकि देखभाल अर पढ़ै नि होणी रै। क्या ब्वन साब म्यार प्रारब्धल त
मितैं ढूंगा मा धरियाली। ब्वै बाबा सैं दिस्ट छां मेरा अब्बी, द्वी भै छन योक घौरे
मु भलो कारोबार छै कनू अर योक दिल्ली मा छौं मनिजर, तखी रैन्दो परिवार दगड़।
यार आबत सब मितैं काळीपार
का ह्वेग्यां। बाबा सदानी थौच देन्दू कि रे सुन्दर अपणी स्वैणी पल्ला मा रैलो
सदानी कि कब्बी समाज दुन्यांदरी खबरसार भी ल्येल्यौ। भै-भयति गौं समाज मा कति
परकारा सुख-दुख औन्दा पर तेरी तर्फां बटि जुगपट। साब ब्यौ हुयाँ बाईस सालौं मा भली
कि यार आबत नि पच्छाणी मिल। द्वार बाटा ठीऽक एक मैना बाद चुल्याणू उच्यै सिरनगर
ल्यै छौ किराया कमरा मा। साल मा मेना-द्वी मैनें छुटटी मिल्दी। बेल्ट बंदूकै नौकरी, बारामास समोदर मा, जीवन भरै सिपै गिरी
पौ-पगार तौं का ढसक-मसक फैसन मा फ्वाँ हूणा छन। यूँ का यीं उड़ण्यां चाल-ढाळ सुधरणा
चक्कर मा कब्बी मि सि कुछ गलत-सलत ब्वल्यै जान्दो त सु टप्प रिकौर्ड ह्वे पौंछी
जान्द पुलिस मा अर तौंकु ब्वल्यूं मेरी ख्वप्ड़ी मा यी सड़ी जान्द सदानी वास्ता, कि चल रे सुन्दर यु
अपणा चुलणें बात च। बैख जु छौं।
गुरुजी मि प्येन्दो जरुर छ
फर मिन कब्बी होण-खाणें बात सि हौर बात नि बोली कै खुणी। आप जण्दा घौर परिवार मा
हर काम सौ-सल्ला पर होन्द, स्या जनानिल अपणी मर्जिल भौगपुरै एक बीगा जमीन औण-पौण मा
बेची यखमु तीस लाख मा अस्सी गज ल्येनी। सु मकान लून मा बणैंन मिन अलैद। वा भी तेन
अपणा नौ फर कर्यूं। छुटटी मा एक रुवटी टेम फर नि मिली मितैं आज तक, जनानी हथौं धुयां
कपड़ा पैरण मेरा भाग मा छैयी नि छ जन। ऐटीएम तैका हथ मा दियूँ। क्या ब्वन अजक्याल
गुगल पे बटि औन लेन जैमेटो-फैमेटो बटि आणू जादाकर खाणू। घुमण फिरण सिं स्कूटी का
लत्ता चुड़िन। एक जुबान मिन कुछ
क्या बोल्याली त अंग्यार जन चिपकी जान्दी मै फर। अब आप यी ब्वला।
अंध्यरौ-ब्यंदारौ छन गुरुजी
मेरो भबिस्या। अब नि सयेन्दू साब, फुक्का आग लगा यीं जंजाळ
तैं कब्बी ज्यू करदू कि सर्रऽऽ फांस सर्के ध्यूँ मोण फर। अब रावा तुम निचंत। पर
क्या कन एक बीज छ मेरा नौ कु तै का बाना हिगमत नि होन्दी। फेर देश सेवे बर्दी छै
गात फर, स्वचदू कि जब एक सिपै अपणा परिवार से नि जीत सकदो त देशा
खातिर क्या लड़लो, अर सु पुलिस मेरी एक नि सुणणी सु अन्डवान छै बुना, आपी ब्वाला मि अन्डवान यी
सयी पर गलत क्या ब्वनू अर कनू। अपणी बात खतम करि सु आँखा पुजण लगी,
सु बी अफूँ तैं अन्डवान छै ब्वनु फर मि अज्यूं भी घंघतौळ मा छौ कि सुन्दर
अन्डवान कने ?
अन्डवान - कुबुद्धी, मोटु दिमागौ मनखी
कानिकार : बलबीर राणा ‘अडिग’
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