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Thursday 5 November 2020

झंटयौल


कै समये बात छ, एक बुढ्या अजब सिंग का तीन नोना छै बल, नोनु मा अपणेस, भै भयात, एक जुट एक मुठ भलो छाई। खूब ह्वणकारी छै तिन्यां, नौकरी-चाकरी, घर-बण सोब चौगस। बुढ्या जिन्दगी भरो अबिन्डो अर कुड़बाग टेपो मनखी छाई। पर औलाद निमाणा अर दौ-मौ छै। बृद्ध ओस्था मा जनि परलोक जाणों बगत ऐन तनि एक दिन बुढ्यान सब्बी नोना अफूं मा बुलै कठ्ठ करिन।

      अरे नोनो, ब्यटो। मेरु जाणों बगत औण वलु छ, अब ना जाण कखमु धागु टुटी जौं। अर साब बुढ्यान अपणु ल्येण-देण, हिसाब किताब तौं मा बतैंन बिंगैन। अर आखिर मा, सब ठिक-ठाक भवनचारी छ रे नोनो भगवाने किरपा सि ये गुठ्ठ्यार मा। पर ? अटगी -अटगी सौजी ब्वोलि। पर ?  तुमु मा एक तैं मेरी जैजाद नि छ रे । तैका बाद बुढ्यान अग्ने क्वी जुबान नि ख्वोली।  क्यांकु, किलै, कुछ नि बतैंन कि कैतें किलै  नि छ जैजाद। तिन्यायां नोना हक-दक !! आखिर घड़ी मा कैतें, किलै पुछणें हिकमत बि नि ऐन। स्याळ-न्याळ कुछेक दिन मा बुढ्यै वा तीति जुबान सदानी वास्ता बंद ह्वेगिन।

      नोनु ल पितर कारिज मा बड्या  सुपुत्र धरम निभैन। चर्चरी बरबरी तेरवीं तिरिसी खवेंन लोगूं तैं।  पर बाबा का आखर दौं अणमिला बचन सब्यूँ क जितम बिणाण लगिन। एक हैका तैं सक्के नजरन देखण लगिन। भै भै मा भितर-भितरे  खुण्स-मुण्स सुरु होण लगिन। भितरे वा खुण्स मुण्स कज्ये झगड़ा मा भैर औण लगिन, अर आखिर एक दिन वा बिबाद खुल करि पंच्येत मा ऐन। पंच्येतन बि क्या ब्वन छै यीं जद्दि बद्दि मा। वा बि जब अबिन्डन भ्येळ त धिकाई पर उन्द नि चैन। पंच्येतन तिन्यां भै तैं पुळयै-पथ्यै सौ-सल्ला पर रौणे सल्ला दिनी, कि यार दगड़यो  ब्वन वळु त चलग्ये, अब तुम किलै च अपणु बरमंड ततौणा सिं बात फर।  अर उन बि सरकारी रिकोर्ड मा तुम तिन्यां अजब सिंह का ही नोना छन।

      पर ? दिन दीनी तिन्यां भै भितर वा बात ग्वऽसै जन आग सुलगणी रै, कि हमु मा झंटयौल क्वो च ? दिनो-दिन राड़-धाड़ बड़ण लगिन। आखिर जब पाणी मुंड मथि औण लगिन त एक दिन कैकि सल्ला पर तिन्यां भैऽन म्वर्यां बुबा पर अदालत मा केस दर्ज कैर द्ये।

जज मा जब अजब सिंग कु अजब केस पौंछी त जज साब बि पैली दां गफळा-चिफळी मा ह्वेन। पर बिक्रमादित्यै कुर्सिन फैसला त देणु छै। जद्दि बद्दि छै पर कुछ काण-म्योण त रै ह्वलु बुढ्ये बात मा, बिगैर उण्स-बिण्साऽक बुढ्यान यतनि आग नि लगाण छै। बिगैर चिटिंग-बिटिंग लगि चिमराट नि पड़दी बल। बड़ा अदिमों कु बड़ू दिमाग बल।  

      जजन अफूं मा हल निकाळी अर मुवकिलों तैं हैका दिन पेसी तारीख दीनी अर ब्वोली कि ते दिन अपणा पितजी फोटो दगड़ मा ल्याउन। हैका दिन अदालत लगिन, बुढ्ये फोटो सामणी दिवाल पर टंगणों आदेस दिये ग्यो। जज साबन अदालतै कारवै सुरु कैरी ब्वोलि कि भै लोगो मिन सूणि तुमारु बुढ़या भौत अबिन्डो छाई सच्ची। सब्यून हां मा मुंड हिलेन। अर उल्टु म्वन दां वा तुमरी झिकुड़यूं मा डाम जुदे धैर चलग्यों। त, ब्वाला, क्या यना अबिन्ड आदिम तैं सजा मिलण चैन्द कि ना ? सब्यून खिर्सी-ख्र्सिी हाँ ब्वोली। फेर जजन इनि हौर सुलगणी वली बात ब्वोली कि जां सि  वा तिन्यायां खूब जिगस्यो, अर अपणा बुबा फर गुस्सा कैरो। जब तिन्यूं पारा सातौं अगास चढ़िन त जज साबन बोली निकाळा खुट्टोऽक ज्वोड़ू अर जुत्यावा तै अबिन्डा तैं। 

      आदालत मा सब्बी लोग जज साबा आदेस से हकदक छाँ कि औलाद कन क्वे अपणा बुबा पर जुत्ता मारि सकदू। चै बुबा कतिगा नखरू अबिन्ड-सबिन्ड किलै ना ह्वो, पर बुबा त बुबा होंदो। सच्ची औलादे हिकमत त कत्ते नि ह्वे सकदी पर झंटयला-मंट्यलों क कुउमाळ, क्व जाण, ऐ जावो। 

      जजन फेर गुस्सा मा बोली रुकणा क्या छाँ ? मारा साले तैं जुत्ता। छपोड़ी जुत्यावा। पैली अपणा जितमो डाम स्येळी कारा फेर मि द्योलु फैसल। ज्यून्दो होन्दू त अब्बी डळदू जैल वीं बुढया तैं।

अब तिन्यां भै गुस्सा मा ज्वोड़ु उठै भिभड़ाट करि जाऊन, पर फोटो समणी झिसकी जावो, कैकु हाथ ना उठौ। जज फिर तौं तै हौरि गुस्सा दिलों, जिगस्यावो अर वा तिन्यां भिभड़ाट करि जावो अर फोटो समणी झिसकी जावो।

      त साब। तातु-मातु यीं झपोड़ा-झपोड़ी मा आखिर तिन्यों मा एक की हिगमतन नातो चौबाटा धैर फोटो पर जुत्ते झपाक मारि दिनी। सर्री अदालत सन्न !! चुप।

      जज साबल ओर्डर ओर्डर करि टेबल बजैन, केसा विषय मा बिगैर कुछ ब्वलि आज आदालत की कार्यवाही यहीं पर समाप्त होती है बोली कुर्सी छोड़ी भैर निकळग्यों।

      सब्यों सक-सुब निबटी ग्ये छै कि झंट्यौल क्वो च। जुत्ता मनु बळु बि अब अफूं मा हकदक छै, पर वा कैर बि क्या सकदू तैका भितर झंट्यौल खाब कताड़ी खड़ु छै अर सच्चू पुत्र गैब।

 

@ बलबीर सिंह राणा अडिग

 

असौंग शब्दों कु अर्थ :-

 

 झंटयौल - नजैज औलाद। कुड़बाग - बदजुबान। दौ मौ - सम्पन। स्यालि न्यालि - आखिरकार

खुण्स मुण्स - वाद विवाद। जद्दि बद्दि - असंगत बात। ग्वऽसै – गोसा/ उपला। गफळा चिफळी - द्वंद्वात्मक स्थिति। काण-म्योण - कंकड़ मंकड़।  उण्स बिण्स - ऊँच नीच। चिटिंग बिटिंग - कीड़ा काटना। जिगस्यो – जिगस्योण/ गुस्सा दिलाना। खिर्सी-खिर्सी - अत्यंत गुस्से में होना।

  



2 comments:

  1. हा ..हा.. हा .. वाह अडिग जी, आनन्द ऐ ग्या कथा बाँचिक ! मजादार ठेठ बिगरैली भाषा ! 👌👌

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