सैकिला द्वी पय्या
दगड़ रिंगण, दगड़ घिसण
पल-हरपल इंच-इंच खपण
जबाबदरी पर बरोबर
अग्वाड़ी-पिछवाड़ी अदला-बदली।
गिरस्थ जोर से पैडल मनु रंद
कम हवा मा भी धकम-पेल
सिंगरा-फिंगर दौड़णा रंद
दुन्यांदारी निभाणु।
कब्बी स्यंटुलों जन कज्यै किबच्याट
कब्बी घुघुतों गळज्यू घुर्र-घुर्र
एक का बिगैर हैकु नि
हैका बिगैर एक नि।
पाळी बल्दें जोड़ी
बिस्वास पर बंध्यां
एक हैकै कि थौक
चाटी-चाटी मिटोंन्दा
एक हैकै कि खैजी कन्यै
भूखा लदोड़ी बी लम्पसार ह्वे
सुनिन्द स्ये जांदा
ये आशा पर कि
भ्वोळ घ्वोला पोथुळौं तैं
खूब बटोरी ल्योला ।
अडिग यु यी
सुफल दाम्पत्य चरितर च।
बाकि अजक्याल गैरजिम्मेदार
लिव इन रिलेशनशिप वळी मानसिकतान
क्या बिंगण दामपत्य झण-झुणि।
*@ बलबीर राणा ‘अडिग’*
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