Search This Blog

Sunday, 25 June 2023

द्वी झण




सैकिला द्वी पय्या

दगड़ रिंगण, दगड़ घिसण

पल-हरपल इंच-इंच खपण

जबाबदरी पर बरोबर

अग्वाड़ी-पिछवाड़ी अदला-बदली।


गिरस्थ जोर से पैडल मनु रंद

कम हवा मा भी धकम-पेल

सिंगरा-फिंगर दौड़णा रंद

दुन्यांदारी निभाणु।


कब्बी स्यंटुलों जन कज्यै किबच्याट

कब्बी घुघुतों गळज्यू घुर्र-घुर्र

एक का बिगैर हैकु नि

हैका बिगैर एक नि।


पाळी बल्दें जोड़ी

बिस्वास पर बंध्यां

एक हैकै कि थौक

चाटी-चाटी मिटोंन्दा

एक हैकै कि खैजी कन्यै

भूखा लदोड़ी बी लम्पसार ह्वे

सुनिन्द स्ये जांदा

ये आशा पर कि

भ्वोळ घ्वोला पोथुळौं तैं

खूब बटोरी ल्योला ।


अडिग यु यी

सुफल दाम्पत्य चरितर च।


बाकि अजक्याल गैरजिम्मेदार

लिव इन रिलेशनशिप वळी मानसिकतान

क्या बिंगण दामपत्य झण-झुणि। 


*@ बलबीर राणा ‘अडिग’*

No comments:

Post a Comment