Search This Blog

Saturday 24 July 2021

पैलि गुरु




नि औन्दी छै वीं तैं
गिनती पाड़ा,
पर !
वींऽन जिंदग्या हिसाब किताब मा
कब्बी गल्ती नि करिन।
 
ज्यू जोड़ण, बिराणुपन घटोंण
दुन्यें रीति नीति कु भागफल
रिस्तों कु गुणांक
वीं कु बिल्कुल सयी रैन्दू छै।
 
वा जण्दी छै संगसारे
रेखागणित ज्यामिति
वीं कि त्रिकोणमिती मा कोण
सदानी समकोण रै।
 
मनख्यात कु परिमेय अपरिमेय
वीं तैं कंठस्त छै
गिरस्थी वाणिज्य की त वा
सल्ली वाणिज्यकार छै।
 
भले
अ ब, वीं तैं काळा आँखर
भैंस बरोबर किलै नि रै होला
पर ! वींऽन
ना कब्बी गलत पढ़िन, ना ल्येखिन।
 
वीं का
शब्दों मा ना अशुद्धी रैन्दी छै
ना व्याकरण मा गल्ती होन्दी छै।
 
वीं का
पिरेम गीत कबिता
होण खाणा छन्द
सदव्योहारा मुक्तक
आज जीवन बाटा घाटा मा
हाथ पकड़ी गोळा तरान्दा।
 
जिन्दग्या मोडों फर
सारु देन्दा
वीं कि सुणायीं किस्सा कान्यां
बाटू बतौन्दा,
एकांकी नाटक
भल कि हिटण सिखान्दा
पुरखों कि जीवनी, यात्रा वृतान्त।
 
खूब बिंगाई छै वींऽन
कंडाळिन चतौड़ी अर मुठ्ग्युन घमकै
अपणी रीति-रिवाज, द्यो-धरम,
संस्कृति-संस्कार, भलै बुरै। 
 
समाजशास्त्र धर्मशास्त्र
सब्बी जीवन शास्त्रों की जणगुर छै
म्येरि पैलि गुरु, मास्टरणी जी
म्येरि ब्वै लीला देवी राणा।
 
रचना : बलबीर सिंह राणा अडिग

No comments:

Post a Comment