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Saturday, 10 October 2020

गजल

चक्कचकार, चिफळा, कि ऐना बणि जांदा
खुसफुस कंदुड़ा भौरीं, मातबर बणि जांदा।

पिछने बे घचाक मारी उकसाणा रैन्दा जु
लठम लठै होंण पर कौथिगैर बणि जांदा।

फिलिंग मा घस्येड़ू डाळी, बणाग लगाण वळा
पैली बल्टी उठै, अग्निशमन कर्मी बणि जांदा।

अफूं पर बात ना ओन, न क्वी  बास चितौ।
फुस्स पातण वळा, पैली गळदेर बणि जांदा।

घुंडा घुंडा फुक्ये जांदा, पर किराण नि चितांद
वा हैकें आड़ा-मूड़ी करि, ठंगठंगा बणि जांदा।

कख पौंछी, पौंछण चांद कैतें पता नि अड़िग
वीं दिन पता चल्दू जब वा नेता बणि जांदा। 

@ बलबीर राणा 'अड़िग' 

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