हे बद्रीनाथ बद्री विशाला,
आदि देवा पुरुषोंतमा।
पल्टन तैं बल बुद्धी दियां,
विजय शक्ति दियां महामना।
इनी छत्रछाया रख्याँ प्रभो,
कृपानिदान जनार्दमा।
नाम नमक निशान का खातिर,
जोश हौस हुयाँ बलवानमा।
जै हो बद्री विशाल, जै हो चौदह गढ़वाल।
तेरी सेवा कना रौला, चै जन बि रैल्या हाल।
त्याग समर्पण दृढ़ता पर,
अडिग छवाँ हर हाल।
असम्भौ ब्वना सिख्याँ नि
तेरी कुछली का हमु लाल।
माथा तेरु झुकलु नि,
चै ल्वे लगि जाला खाळ।
सदानी हमु डटयाँ रौला,
हर बगत हर हाल।
जै हो बद्री विशाल, जै हो चौदह गढ़वाल।
तेरी सेवा कना रौला, चै जन बि रैल्या हाल।
जोधपुर बे सिक्किम चढ़ी,
पिथोरागढ़ से सियाचिन बढ़ी।
मेघदूत मा प्रशंसा पै कि,
मेरठ मा होरि निखरी।
मणिपुर जंगळों मा,
विद्रोहियों तैं धूल चटायी।
सी आई पैली विजय पर,
साईटेशन कमायी।
जै हो बद्री विशाल, जै हो चौदह गढ़वाल ।
तेरी सेवा कना रौला, चै जन बि रैल्या हाल।
देहरादून का पीस मा,
खेलों मा करि कमाल।
नौसेरा एल सी पर,
हमुन मचायी धमाल।
दुष्मन का घौर घुसी,
तांडव हमुन मचायी।
आतंक्यूँ ढैर करि,
साईटेशन दुसरु कमायी।
जै हो बद्री विशाल, जै हो चौदह गढ़वाल।
तेरी सेवा कना रौला, चै जन बि रैल्या हाल।
ऑप पराक्रम सांबा मा,
बुद्धी शक्ति तैं दिखायी।
माईनों बारुंदों का,
नयूँ इतियास रचायी ।
कटिहार फैजाबाद मा,
ट्रेनिंग कु लो मनायी।
विश्व शांति कांगो मा,
पल्टनल कदम बढ़ायी।
जै हो बद्री विशाल, जै हो चौदह गढ़वाल।
तेरी सेवा कना रौला, चै जन बि रैल्या हाल।
यू एन प्रशंसा ल्येकि,
स्वदेशा ओर बढ़ण्याँ।
नौगाम कश्मीर तर्फां,
पल्टन का कदम चढ़ण्याँ।
जटि की चोटियों फर,
मुजादिन ठोकि ठाकी।
अजय तौमर कृति ल,
साईटेशन फिर दिलायी।
जै हो बद्री विशाल, जै हो चौदह गढ़वाल।
तेरी सेवा कना रौला, चै जन बि रैल्या हाल।
ताज गरुड़ो पैरी,
रानीखेत मा राजा बण्याँ।
पल्टन कु शौर्य अग्ने,
आसामा तर्फां बड़ण्यां।
ऑप स्नोलेर्पड मा,
साबासी खूब कमाई ।
पल्टन कु झंडा फिर,
मेरठ पीस आई ।
जै हो बद्री विशाल, जै हो चौदह गढ़वाल।
तेरी सेवा कना रौला, चै जन बि रैल्या हाल।
अमन ह्वो या युद्धकाल,
कर्मपथ पर अडिग रैनी।
यात्रा अजेय हमारी,
चौं
पाईन डिवीजन मा
चैमपियन बणी की रायी
गढ़वाली भुलाओं न
अपणु डंका बजायी
दीपसांग ट्रेक लेह मा
भुजबळ अब दिखोला
चुंग फुंग चीनियों तैं
दम ख़म हम बतौला िशों मा गुंजणी रैनी।
अडिग नीव रखणा वाळो,
तुम्तें सत सत प्रणाम।
खंडित नि होणें द्यूला,
ब्वनु छै पल्टन जवान।
जै हो बद्री विशाल, जै हो चौदह गढ़वाल।
तेरी सेवा कना रौला, चै जन बि रैल्या हाल।
@ बलबीर राणा ‘अडिग’
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