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Saturday 9 September 2023

गजल


दिन-बार, साल गुजरी जांद,

उटंगर्या बेमान सुधरि जांद।


खूनौ उमाळ सदानी नि रंद,

बसग्याळे गाड़ उतरी जांद।


आजौ झकमकार डालौ भी,

एक दिन सुखी ठंगरी जांद।


झूंतू जमदरी सदानी नि राई,

छवटा बड़ा सब्बि सर्की जांद।


जख मिली घळकी, तखि ढलकी

भजीराम हवलदरि दुत्तकरि जांद।


ज्वनि मद-मदिरा मत्याळा अडिग, 

सब्बि नशा योक दिन उतरी जांद।


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