चल रे मन-ज्यू मेरा, एक नयूं संगसार बसौला,
दुनियां-दारी का ऐथर, नयुं साज सजौला।
चल रे मन ज्यू मेरा होऽऽ...... होऽऽ.........
ऊँचा अगास मा, पोथळी बणी कि उड़ला,
घ्वेड़-काखड़ जन, र्निघंड बणों मा घुमला।
मयळी कुखड़ी बणीं, घरों-घरों मा बांग द्यूला,
घुघता-घुघती का जन, एक हैका का गळज्यू रोला।
होऽऽ...... होऽऽ.........
चल रे मन ज्यू मेरा ................
डाळि-बोटि बणि कि, जीवन हवा पाणि द्यूला,
डोखरा-पुंगड़ों जमि, जी जमाण कु पुटुग भरोला।
बरखा कुयड़ी बणि कि, धर्ती माता सिंचोला,
धारा-मंगरों मा बगि, दुनियां की तीस बुथ्योला।
होऽऽ...... होऽऽ.........
चल रे मन ज्यू मेरा ................
ऊँचा हिवांळा बणि, गंगा जमुना बगोला,
हरा-भरा बुग्याळ जनु, सुख शान्ति रैबार द्युला।
उकाळ-उन्दार मा, मनख्यों तैं तागत द्यूला,
सैणा-दमळों का जन, सौंग-सांग बणि कि रौला।
होऽऽ...... होऽऽ.........
चल रे मन ज्यू मेरा ................
© ® बलबीर राणा ‘अडिग’
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