देखा-देखि
सब्बि चलि जाणा
पल, घड़ी, दिन-बार,
मैना अर साल
यूँ दगड़ उमर
बस! नि जाणूं
त
वा
तेरू ख्याल
किलै ?
@ बलबीर राणा 'अडिग'
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