डंडयाळी मा मनख्यूँ भिभड़ाट छौ लग्यूँ, क्वै बोना छौ झपाळियूँ छळयूँ, क्वै बोना बौणें बयाळ, क्वै गरमी ख्वपड़ी बैठी छौ बोना। क्वै कुछ, क्वै कुछ। जति मनखी तति भौंण तति बाणी। डंडयाळी मा अड़गट्यां (बेहोस) बिन्नू क (विनोद) वौजाऽ डूंका छौ लग्यां अर बिच बिच मा सु ख्वर्रऽऽ .....ख्वर्रऽऽ करि बंगेंणूं छौ, गिच्चो मुख पिछने। मि तै फर पंखा छौ झलौणू, दिन्नू (दिनेश) तैका गिच्चा क डूंका छौ पूजणू, गबरु झाड़ा डाळण वळा पंडेजी तै ल्येणु छौ जयूँ। अर तैकि ब्वै दगड़ कुछ जनानियां हे ब्वै, हे ब्वै करि तै कु मुंड, कळनसां, नौल, अर हथ खुट्टा पर त्यौले मलीम छै मलासणा। तै कि ददी, अर घौरा छवटा बड़ा कारुणी छै कना कि बिन्नू तैं क्या ह्वै यु अचाणचक।
तैका
अस्सी साला दादा पदमू फर छौ काल बेकाल भैरुं अयूँ अर तौं कि डंडयाळी मा छै रै दैं
करिं, बुढ्या धुपणा क्वेला बुकान्द-बुकान्द छौ ब्वनु, हौऽऽलक क्वौ छ तु ? छौड़ भौटया तैं छौड़, छौड़ ये बाळा तैं, क्व छै तू ? मेरा थान मा औणें तेरु सास कनै होयी ? यनि द्वी चार बैख अर जननियूँ फर भी छौ कुछ न कुछ द्यबता
औतनु। क्वी सिध्वा नौ सि कम्पणा, त क्वी देवी भगवती उगैर-उगैरा।
तबारी
गबरु बाज सुणेयी अरे हटा हटा पंडेजी तैं बाटु द्यावा, चलो चलो जगा खाली कौरा। गिरधर पंडेजिन आसन ल्येनी, अपणी पौथी खोली, दगड़ मा एक ल्वटया पर पाणी, गरुड़ पांख अर कंडाळी पत्ता पर चुलाणें छार (राख) मंगैन।
साजौ सामान सजौणा बाद पंडेजिन विनोद मा झाड़ा ताड़ा सुरु करि।
ऊँ
नमो गुरुजी को आदेश, ऊँ अजयपाल की आण पड़े, ईजया-विजया राणी की आण पड़े, कैलास मादेब की आण पड़े, नन्दा भगवती की आण पड़े, द्योगणी ऐड़ी आंछड़ी की आण पड़े, बौणे बयाळ गाड़ा भैरुं की आण पड़े। येकु रोग सिर चढ़े, पेट पड़े, भूत पिचास खबेस लगे। पायो नि झड़े
त महादेव की जटा टूटे, पार्वती को खप्पर फूटे, फुर्र मंत्र ईसरो वाच, ऊँ ह्रिंग हुरुंग स्वा फट। छौड़ येको पिंड छौड़।
उगैर-उगैरा।
इतिगा
मा बिन्नुल ख्वर्रऽऽ .....ख्वर्रऽऽ करि मौण फरकाण त छोड़ियाली छौ फर सु गैरी सांस
ल्ये धौंकणू। सबून विस्वास करि कि झाड़ा कु असर पण लग्यूँ, बामणन बोली ये फर जु छौ लग्यूँ मिन झाड़ियाली, अब्बी तुम ये ऊण कुछ ना दिंया कुछ देर बाद उठि जैलो त फेर
पाणी पिलै सकदा। लोग बाग अपणा घौर चलग्यां, तखमु रैग्यां मि यानी सबरु (सबर
सिंग), गबरु (गबर सिंग), दिन्नू अर बिन्नू का घौर
वळा।
बिन्नू-दिन्नू, सबरु-गबरु हम चारों कि जु छै गौं मा रौंळया-पौंळया जोड़ी, एक गळज्यू पाणी। हाथ ना छूटो साथ ना छूटो, भले इस्कूल अर घौरक काम धाणी छूटी जयाँ, दुन्याँ रुठी जयाँ। हमेर उमर पन्द्रा सौला। कौंळा पालिंगा
जनि डांकुल्याँ अर बिगच्याँ काम कनो हौंसल हौंग बांजे जन लाठ। बिन्नू अर दिन्नू
एक-एक बार दस फिल्यौर, गबरु डांट अज्यूँ नौं का गौळ छौ
अटक्यूँ। तौं मा मि छौं तड़ी मा तड़तड़कार कि इन्टर कौलेज मा पौंछी ग्यों कन पौंछी सु
मयी जण्दू।
अब
डंडयाळी बटे बिन्नू ददी-दादा, ब्वै, बेणियां अपणा भितर उबरा स्येणू चलिगे, किलैकि हमुल तौं ते विस्वास दिनी कि हम छाँ ये का दगड़ हौर
कुछ परेसानी होली त हम बतै द्यूला। हम तैका तीन जिगरी यार कनक्वै छौड़ी सकदा तै यना
हालत मा। दिन भर किचक्याट बिगच्याट कन वळा
हम तीन चुप्प सन्न छै बैठयां, कि यार ये तैं क्या ह्वै होलु
अचाणचक। दिन मा त अयां हम भगवती ड्वला पडयार गौं छोड़ी कि।
मिन
बोली यार गबरु मेरु बाबा तब्बी त मना छौ कनु कि अयांणूं तैं देबी डवला दगड़ नि जाण
द्यावा किलैकि देबी दगड़ बयाळ भी चल्दी बल, जै का गरै कम होन्दा सु यनी अड़गटी
जान्दू। सब्यून हाँ मा मुंडी हिलैन। घंटाभर बाद सु तन्नी अकड़णू अर ख्वर्रऽऽ
.....ख्वर्रऽऽ कन बैठियूं। फेर हमुल तैकि
मौंण-धौण, हथ खुट्टा मलासी अर सु फिर सन्न धौंकण लग्यूँ। राति मा एक
दां फिर बामण मंगे तैमा झाड़ा ताड़ा करवेन। सुबेरा बगत ठंड मा तै ऊंणि निंद ऐगे।
उनि
त राति सरा गौं तैं पता लग्यूँ छौ कि फलाणों नोनू बेहोस हुयूँ/अड़गटयूँ । अड़गटणों
कारण झपाळू, बयाळ छौ मानेणू। द्वी दिन पैली गौं मा माता नन्दा भगौती को
ड्वला छौ अयूं। हम चार दगड़या भी सयाणों दगड़ भगौती डव्ला पडयार गौं पौंछाण जयां
छया। जात सि पैली माँ नंदा भगौती ऊंणि हम मैत मुल्क वळा भेटी घाटी नंदाघूंटी कैलास
भ्यजद। दशोली मा कुरुड़े नन्दा।
हम
छवारा हुळसट त छैं छया, बाटापुन कैकि कखड़ी लम्यौण कैकी
मुगरी, कब्बी कुछ, कब्बी सुद्दी बक-सक। चलो जु बी छौ
मातौ डवला धरी तै रात हम तैयी गौं रयां अर हैका दिन घौर। हाँ एक बात छै कि पैली
दिन भी हम हौर लोंगों का बाद पडयार गौं पौंछयाँ अर घौर औणा दिन भी बाटापुन
बिंवाळयाँ।
दिन मा द्वी बजै हौर-पोर हम झंग-तंग, झंग-तंग, करि घौर पौंछयां फेर सब्बी अपणा
अपणा द्याळ लग्यां मि त एक ल्वटया छां प्यै पसरी छौ। तै राति फुल-फटांग जुन्याळी
रात छै। भादो मेनु चड़ा-चूट साटी झंगौरे लौ मानण छै लगी। कति मवासी जुन्याळी मा
च्यूड़ा छौ कुटणा। लगभग नौ बजी कु टेम, अचाणचक पल्ल ख्वाळा रुवांट
धुवांट। कै का यख छै सु कणाट पडयूं ? मेरा बाबन बोली यार मि जाण पदमू
काका चलिग्यों म्येल्यौ सु छौ तख बुढ़या। गर-गर लोग तख। तख पता चलि कि तौं कु
लौंच्या दिन्नू अड़गटयूँ छौ।
सुबेर
सरा गौं क्या अगल बगल गौंका भी याद खबर कन औणा लग्यान, सबूं कु अपणू अपणू ओपेनियन। जति मुख तति तुक। मल्ला
गौं का कमल सिंग मास्टरन बोली कि यार भै
बन्दो लग्यूं बिलक्यूं त जु भी होलू ये फर, तुम एक दां ये तैं डाक्टर मु ल्ही
जावा मितैं त हौर कुछ लक्षण दिखणा ये मा। मास्टर जीऽन नुक्स त नि बतैन पर
झर्र-झुर्र हमू फर छौ होणू।
दिन्नु
ल झट बोली गुरुजी पता ब्याळी जब हम डोली ले जा रे थे ना तो बिन्नू का पांव गदरे
में रड़ा अर इसको हिर्रऽऽ, झस्स हुई बल। माँ कसम मंसाराम
काका तैं पूछा बल, तौन त निकाळी सु मुड़ी पाणी तलौ
बटी। मास्टरन मुंडी हिलै बोली बेटाराम झस्स फस्स त डाक्टर बतालू क्या छ।
मास्टर
जी कि बात मर्द जनानी कैका हिया नि जमणी छै अड़गट्यां केस मा। सब्यूं कु एकतर्फां
मानण छौ कि देबी डवळा दगड़ आंछरी बयाळ भी चल्दी अर जै का गरै कमजौर रैन्दा तै फर
झपौळू लगद।
कुछैक
टेम बाद बिन्नू को काका हैका गौं का माण्यां जाण्यां कर्मकांडी गणत का पंडित अर
त्रांत्रिक परामान्ंद जोशी पंडेजी ऊणि ल्ही ऐन। परामान्ंद जीऽन भी अपणू आसण जमेन, पंचाँग पातड़ौ निकाळी, तौं सब्यूँ कि कुंडळी मंगवेन, अपणी जाँच पूछ डाळी। एक चौंकुला मा माटौ धुयेटो डाळी अर
तैमा खैंच्या लकीरों तैं छुवोणू परिवार का गार्जिन पदमू दादा तैं बुलैन।
यार
जजमानो बात यु चा कि ये फर क्वी ऐड़ी-आंछड़ी बयाळ नि लगीं, हाँ गणत या बतौणी कि क्व गदनू छौ नजीक बगणू। सब्यून हाँ हाँ
सु बोली कन नि ततनु म्वोळ गाड़। तख त हर साल क्वी ना क्वी झपाळी जान्द। पंडेजिन
बोली हाँ त तै गाड़ौ मसाण छौ ये फर लग्यूँ अर सु द्वी बखरा सि कम मा नि तूसण वळू।
एक खटकौण्यां अर एक ज्यून्दो चिर्राेण्यां। आप बोला त मि तै भूत प्रेत को साधण जाप
सुरु करदू, तीनेक घंटा लगी जाला फिर परस्यूं छंछरबारा दिन तखी गदना जै
मसाण कु न्यूज् पूज द्ये नौने ज्यान छुड़वोला।
हे
प्रभौ भगवान जु कन, जनु भी कन कौर द्यावा, द्वी ना चार बखरा द्ये द्यूला पर मेरु बिन्नू खड़ू होण चौंद
ये तैं बचे द्यावा। बिन्नू कि ब्वैल रुणाट लगै बामणां अग्नै हथ पसारी बोली। सब्यून
हुंगरा भरी। पंडेजी आप जाप सुरु करा हम ये का बाबा तैं रैबार पटे द्यूला कि तू तखि
बटे बखरा ल्ये अयां। सु भेटी गौं इस्कूल मा छौ चपड़ैस। पंडेजी परामान्ंद जीऽन भूत साधण जाप सुरु करि। बिन्नू उनि सन्न छै
पड़यूं, अब सु कम छौ बंगेणू। पंडेजी जाप दगड़ सब्बी तैका ठिक होणे आस
फर छै लग्याँ।
लगभग
बारा बजे कमल मास्टर जी दगड़ हैका गौं बटे डाक्टर आयी। डाक्टरन बीपी, थर्मामीटर स्टेथैस्कोप सब्बी यंत्रोंन तैकी नबज, जिबड़ू आँखा नाक चक करि। अर बोली द्वी आदिम येका हाथ खुट्टा
थामा। तौन एक सुई लगैन अर एक बोतळ गुलकोस तै फर चड़ैन। जबारी हम तैका हथ खुट्टा छै
थामणा अर डाक्टर सुई छौ लगाणू सु अकड़ाट कनु अर जिदैर छौ ह्वोणू बेहोशी मा भी।
लोगुन
डाक्टर मा पूछी कि साब क्या ह्वै ये तैं ? पैली त डाक्टरन छौड़ा रौण द्या, द्वीयेक घंटा मा सु खड़ू ह्वे जैलू चिन्ता ना कौरा
बोली। फिर लोगुंका घचौरी पूछण फर बताई कि
येका दगड़यूं तैं पूछा कि योन क्या पीनी ब्याली परसी। तबारी कमल मास्टर जीऽन बोली
हेलो दिन्नू सर अब बोलो कि गुरुजी इसका तो पांव रड़ा अर इसकौ हिर्ररऽ हुई। सौर का बच्चौ तुमने परसौं सुल्पा पीया कि
नंयीं। ऐसे लक्षण भांग के अधिक नशे से होता है, गरमी खोपड़ी चढ़ जाती अर शरीर का
पानी सूख जाता, नै तो धन सिंग काका को पूछौ कि जख तख छांस क्यों घटकाता
रैता।
यति
क्या सुणी कि मि पीछने बटी ग्वोळ, दिन्नू माँ कसम गुरुजी ना ना
ब्वनू छौ अर गबरु ब्यटा सट्ट लुकीगे उबरा।
हमू दगड़ जयां लोग खुबसाट गुमड़ाट कन लग्यां कि यूँ
पार्टीं तब्बी त परसी हमू सि लेट पौंछयां पडयार गौं अर ब्याळी भी हमु से
पिछने ह्वेग्यां छौ बाटापुन। अजक्याळ जख तख भंगळु फूल्यूँ।
सारा
घटनाक्रम मा डाक्टर अर मास्टर जी कि बात पर ना त कैन ध्यान दिनी ना जिज्ञैस लीनी, कि सुल्पा प्यै भी इनु ह्वै सकद। द्वीयेक घंटा बाद पंडेजी
कु जाप भी खतम ह्वेन अर तबारी तक तीन डिप ग्यूकोसा डाक्टरन भी समाप्त करियाली छौ।
बिन्नु न आँखा खोलियाली छौ अर कुछ कुछ हाँ हूँ कन लगी छौ। ब्याखुली तक बिन्नू भाई
टक-टकौ ह्वे गयूँ।
छंछरा
दिन म्वोळा गाड़ मसाण पुज्यै ह्वेन। बिन्नू बुबा बलवंत सिंग वखि बटे
पन्द्रा-पन्द्रा हजारा द्वी बड़ा सिंगा क मेन्डा ल्येन, दगड़ मा पांच-पांच लीटरा द्वी गेलन मर्रछवाड़ी कच्ची। मैण
मसाला, घ्यू त्यौल, बामणें बिदै पिठैं सब्बी मिलै
पैंतीस से चालीस हजारौ प्रोग्राम छौ सु मसाण पुज्यै।
गौं
का बैख नमाण मसाण पुज्यै खन्यौर। पंडित जीऽन विधी विधान से भूत मसाण पूजी, एक मेंडू खडगन खटकेन अर एक ज्यूनो चिरेन। कच्ची गिलासौं दगड़
ल्वेंस, कळेजी अर भिर्धवासौं कुछ पता नि चली, कुछ काचौ त कुछ पाकौ भकौरियूँ।
हम अयांणोंन सयांणों दगड़ सब्बी काम ज्यू लगे
निभायी, बखरा भड़ये भुनी, काटी अर चुल्ला मा चढैन, पूरी हलवा, रुवटी बणाण मा मदद करि। बामण तैं
सिर्री फटटी फंची बांधी। जबारी तलक सिकार पकदी तबार तक हम तीन पाऽर एक डांग मा
कचमौळी थकुला पकड़ी बैठग्यां।
गबरुल
बात बड़ेन यार सबरु ! डाक्टर, डाक्टर हौन्दू भाई, कन बोली तौन पट्ट कि येकु नशा छौ करियूँ । पर यार ! मि
अज्यूँ नौ कलास मा किलै नि छौ अटक्यूँ पर तू इन्टर कौलेज वळू बतौ कि डाक्टरै बात
सयी छै त फिर इत्गा खर्च कनै क्या जरोरत छौ।
दिन्नू ल बोली यार कमल गुरुजी ठीक
त ब्वना कि हमारु समाज अज्यूँ भी कुछ यन अंधविस्वास अर धर्मान्धता मा जकड़यू कि
इत्गा जल्दी भैर औण मुस्कल छ।
कचमौळी गमजान्द मिन बोली याल
कम्वळ गुल्जी अर डाक्टलै बात लोग ध्यान देन्दा त बेटा हम यखमु कचमौळी नि गमजणा
रौन्दा बल्कि दिसाण मा रौन्दा हटगौं फर काचु हल्दु मलसणा अर गुळथ्याल स्यौकणा।
गबरुल बोली यार ब्याळी तक त मितैं
भी छौ रंगर्याट होणू, कै दां त यनु लगणू छौ कि मि भी
कखी भुयाँ ना लमडी जौं।
चुप्प रौ रै कुकर, साला तू अर सु कमिना बिन्नू त छौ कि चल यार एक हौर सिगरेट
भौरा, तुम उल्लू का पठौन सु बाद वळी भी चोरी प्येनी । हेलो ! क्या
बोल रहे थे, कि यार खीसा उन्द गौळी गे। बेटा परामांनेन्ट गलौंणें नौबत
ऐगे छौ, सु डाक्टर नि आन्दू त अबारी रैन्दू बिन्नू बुबा छुपकलु
पैरियूं उबरा, दिन्नुल बोली।
गबरु- यार मिन क्या समझण छौ कि
मेरा हाथ्यूँ सुल्पा इति खतरनाक होलू।
मिन जाबाब दिनी यार सु चालिस
रुप्यें कि चार सिगरेट चालिस हजार मा पटली मितैं भी पता नि छौ निथर मि रुप्या
देन्दो ही नि, ना यनी नौबत औंदी।
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