Search This Blog

Sunday, 9 May 2021

मिमा डे नि ब्वै च



मिमा डे नि  ब्वै च
वा ब्वै
जु फजल्ले झप्प गाळी थुपुडू 
खल्यादी मुंड फर 
कि, छांट उठ रे घाम द्वफरा ऐगये 
इनि कनक्वै होण तेरी मवसिन। 

वा ब्वै 
जु टक लगे धै लगेंदी 
चड़-चड़ा द्वफरा 
संकवलि ओ रे लाटा
भात खाणु
घाम पोड़ीगे, बिमार पड़ी जालू। 

वा ब्वै 
जु व्यखुंद औंदा जांदो मा पूछदी
मेरु नोनु बी देखी तुमन 
अज्यूं नि आई वा 
तफुन अलाण-फलाणा जाग बटिन । 

वा ब्वै 
जु चट अगलर्या बणि जैंदी 
वे टेम जब क्वी मि दगड़ 
छिंज्याट रिबड़ाट करदु। 

वा ब्वै
जु हर बगत फोन पर पूछदी
अज्यूं खै नि खै
क्या खै ? कबैर खै, 
कमजोर ना ह्वयां, 
बिमार ना पड्यां। 

वा ब्वै 
जु बीमार, दिसाण मा पड़-पड़ि 
रबड़ाट लगांदी कि 
मि ठिक छ, मिउण कुछ नि चैणु 
तु खौ, तै ब्वारी नातियों तैं खवो। 

मेरी ब्वै त
हर घड़ी, हर बगत सदानी 
मि दगड़ रैंदी 
वल्या सोर, पल्या सोर बटि
दूर परदेश, बोडरों तक 
सांकि मा, बडुळी मा। 

इलै मिमा
एक डे दिन बार ना 
सदानी डे च
सदान्ये ब्वै च। 

म्यारा बसे नि 
एक दिना वास्ता कविता ल्यखण 
मैं दगड़ हर घड़ी कविता च
अपरम्पार कविता
सर्या वेद उपनिषद 
डेड अक्षरों मा
ब्वै। 
वीं फर कविता ? 
ना भाय ना। 

फेर बी सब्यों का
मान मान्यता कु
आदर च, मान सम्मान च। 

सम्मान च वीं ब्वै कु
जैकि आँखि इकुलकार 
शीला ओबरां धूँयेणा मा फुटिग्ये। 

मान- सम्मान च वीं ब्वै कु 
जु आसा पर छ कि एक दिन वेकु नोनु 
वीं तैं ल्यी जैलू बृद्धाश्रम बटिन। 

आदर च वीं ब्वै कु 
जु आसा पर छ कि 
एक दिन मेरी ममता जगि जैली
अर वा द्वी साबुणा टिकड़ा
अर चा चीनी थैलु भेज द्योलु ब्वारी मा लुके। 

अर आदर सम्मान च वीं ब्वै कु 
जु करोना बेड मा पड़ीं आसा लगीं कि
अब्बी नर्स डॉक्टर बवल्ला कि माता जी 
लो बात कर लो 
आपके बेटे का फोन है।  

@ बलबीर राणा 'अडिग' 
Udankaar. 




 






 


2 comments:

  1. वाह! गुरूजी
    भौत सुंदर अभिव्यक्ति माँ पर
    आप तैं भि मातृ दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएं। 🙏

    ReplyDelete