बालम अर चैन सिंग द्वी इस्कुल्या दगड़या पलै* सालों बटि मिलिन। असल कुसल ह्वेन। कैकु जीवन चर्खा कति घुमणु कनु घुमणु बात विचार ह्वेन। बालम सिंग - यार दिदा मिन सूणि त्वेन नोनी बि बिवैल बल ?
चैन सिंग - हाँ यार भुला
लगुली अर ब्यटुली जति छाँट ह्वो ठंगरा लगे दीण चैंद निथर वीं भुयां गळजी* जान्द।
बालम - हौं दिदा सयी बात
च। दिदा मिन सूणी भलु घौर बार मिली बल नोनी थैं । दिल्ली बि चलग्ये बल जवैं दगड़।
सच्ची ?
चैन सिंग - हाँ यार भुला
ठिक यी छन ब्वाला। ये संगसारा सोब रिस्ता स्वारथ का बल। अब बेटुल्यों तैं द्याखा।
भलु जवैं अर धैन-चैन* बळी
मवसी मिली त मेरु भाग ल्येन ये घौर मिथैं, बुबा
क्वो होन्द देण वळु अर कखि पस्यौ धारा गरीबी लारा मा कटेणी त मेरा बाबै नि खाण
ह्वेन, जु यीं घौर द्ये मेरु
बूरू करी। पर चलो खुसी छ अपणा होन्दा खान्दा दिखेन्दा त हरीश लगदू। अर द्वी मितर
अपण अपणा बाटा लगिन।
कुछैक साल बाद नोनी जवैं क तरक्की ह्वे साब बणिन, त नोनी हलण-चलण* बि साबिण वळु होणे छै। गौं मा सब्यूँ तैं पता छै कि अलाणा
फलाणें नोनी जवैं बड़ो साब बणिग्ये। नोनी भाग्येस मा बिरस्पति जु बैठयूँ छै।
एक दां नोनी मैत ऐन, जनि
खौळ मा पौंछिन त तैन सौजि बाबा तैं ब्वोली। बाबा जर्रा पिछने क्वलणा* चला दौं।
बाबान बोलि किलै बाबा ?
नोनी - स्यौ* लगोण छै।
चैन सिंग अचरज मा !
दुन्यांऽ छीड़ा छंछड़ों छपोड़यूँ मनखी छै। वा बिंगी ग्ये। तेन उनि सौजि। बाबा आदिम
रिस्ता पैदा कर्दू आदर ना। त्वेतैं तति सरम छै लगणी ये बुबा देखि त इन कैर तु बुबा
ब्वोली ना। क्वै जबरदस्ती नि, क्वे नि बिलकणु* ? मिन ठिक यी सूणि छै कि बड़ा पद अर कदाऽ झ्याला* तौळ आदर कुर्ची* अर रिस्ता गौळि जान्दा बल।
असौंग शब्दों अर्थ
स्यौ - सेवा सौंळि। पलै - भिज्यां भौत। गळजी - अळझी कि गलण। हलण चलण - चाळ ढाळ। क्वलणा – कुलाणा/ मकानो
पिछने हिस्सो। बिलकणु - लगणु। कदाऽ - कद के। झ्याला - लगुल्यों जाळ । कुर्ची - कुरचण।
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