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Sunday 9 May 2021

नरसिंग देव जम्वाल जी की डोगरी कविता "दोषी कौन"



--: दोषी क्वो:--

ब्वै त जननी च

चै नोनु ह्वावु या नोनी

जलम देंण ब्वै कु धरम च। 


बुबा बी भले किलै नि चालु 

खवळ्यांस, कौंळी, फुन्ने कुटमणि जन 

सुंदर कन्यां घोर आउन

भैज्यों तैं हैंसणी ख्यलणि 

ज्यूंदी गुड़िया जनि भुली मिलुन 

रक्षा बंधन, भय्या दूजा दिन 

लुकाण ध्येलों मा ढूढंण से 

अपणा घोरे कन्या कु पुजन ह्वे जौं। 

पर !!

बुबा तैं याद औंदा 

दुन्याभरा अखबार

पत्रिकाएं, रेड्यो, टीवी 

जु देन्दन खबर 

लंड्यरों छेड़खांदी, 

उठाण, अपरण, मार काट

अर ब्वारयों तैं ज्यूंदा जगोणे छुवीं। 


इतगा नि ! 

होरि क्या कुछ नि होंन्दू बेटुल्यों फर

मन सरेले निगुरी पीड़ा, 

ल्वेछाण अर बजारी सौदा। 


ऐ बवैई !! 

कम्पी जांदू बुबा खुट्टा बटि मुंड तक

घूमि जांदी 

वे कि निर्ख़ालिस नजर 

दुन्यांभर का मनख्यों  फर

मन्ख्यात फर, समाज फर 

अर वे सृष्टिकर्ता फर बी, 

अरे आखिर क्वे त द्यावन वे तैं विश्वास 

एक सुखी सुरक्षित 

इना वातावरण को

जेमा ल्ये साकु बेटुळी जलम

अर वा लाड़ि कौंळी गुड्या 

हैंसी खेली भौरिं साकु

अपणा मने ऊँची उड़ान 

कौंळा पोंखुड़यों मजबूत कना वास्ता।


फेर, 

ज्वान ह्वे 

राखि साकु लाज

हमरि मान मर्ज्यादों कु

तीन कुलों कु।


रचना : नरसिंग देव जम्वाल

अनुवाद : बलबीर राणा 'अडिग'


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