सब्बी तालों फर एक पूरा फिरकी नचणा बाद पंडोन
भ्येटि घाटि करि अर आसण विरजमान ह्वेन । अब कुछेक घड़ी थौ खाणों बगत। बीड़ी तमाखु अर
पाणि चैन्द डंकरियों तैं। दिन भर निना (अनुष्ठान) दगड़ नाचण नाचण गोळ सुखी जान्द। तब्बी पदान बौडान एक लम्बी ताण मारि धै
लगे। ऐऽ चुप रावा रे छवारों। हपार पिछने द्याखा लौड़यूँ क्या कछ़डी लगिं यीं रात
बि। जिट घड़ी जर्रा ते गिच चुप त राखा ले, जखमु द्याखा एक
कच्चर कच्चर सिंटुलों जनु किबचाट। चुप रा दौं जिट।अब स्यूँबाग औण वळु च। ब्वारियोंऽऽ तौं छव्टा
नोन्यालौं मुख ढक्यान निथर कैका नोन्याळ फर झपाकु लगि जालु। ऐ कमलु चल ब्वटाराम
ताळ छटको निथर बाद मा जादा देर ह्वे जान्द। यूँ डंकर्यून बि एक निद स्येणु च। ठिक
च काका, अर कमलु दासन ताळ छटकेन।
धिनऽक्द्दा, धिनऽक्द्दा, धिनऽक्द्दा धिन
धिन। झिम्ताण.... झिम्ताण.... झिम्ताण......., तिण तिण झिम, तिण तिण झिम। अर द्वी ज्वान न गळफ्वड़ा फूकी भुंकरा
बजेन। पूँऽऽ... भ्वाँऽ। पूँऽऽ..... भ्वाँऽ, भ्वाँऽऽ.... भ्वाँऽऽ..। पूँऽऽ भ्वाँऽ, पूँऽऽ...।
गौं मा पंडवार्त छै चलणी सैरु द्यो खौळ
कोथिगेरुन भर्यूं छै। अर पंडवार्ता बिच बिच मा जंता क मनोरंजन अर डंकर्यां आरामा
वास्ता कुछ नट बि दिखै जान्दा छाँ। आज इनु स्यूँबागा नटे बारी छै। उन त सदानी पोरुं
साल बटे स्यूँबागो नट कबरेला घारी दार कपड़ा बांधि बागे औनार त्यार कर्दू छै। पर
यीं साला नट तैं क्या सूझिन कि तेन अपणा मर्जी से खंतड़ों भैर बटिन ऊळ बांधिन। अर घासौ
बाग बणग्ये। जनि बाजा बजिन ताळ लगिन त ऐ ग्यों साब स्यूँबाग सड़मऽऽ..., मुड़ि सगवाड़ी बटिन चार हथ खुट्टोन द्यो खौळ मा। जन्ता नमाण झस्स झसकेग्ये। ऐऽपड़ि
ब्वै का। या क्या पिचास ऐन भाय द्यौ खौळ मा आज। हे माच्यो !
अब समणी मसाण जनु बाग बि होण लगिन, ना जाण किलै बिगच्यां युं
अजक्याला चकड़ैत छवारा बि। यूं तैं कुछ पता यी नि कि क्वो नट कन बणाण नचााण चैन्द, सुद्दी छिन मास्ता हाथ ध्वोण पर अयां। अपणी मर्जी कु काम। चलो जु बि ह्वेन अब ये तैं यी
नाचण द्या।
द्यौ
खौळ मा एक सर्रु घासक खुम्मो नचणु बैठग्यूंँ छै। धिनऽक्द्दा, धिनऽक्द्दा, धिन धिन। झिम्ताण
झिम्ताण तिण तिण झिम। तिण झिम, तिण झिम। तिण तिण झिम। अर स्यूँबाग
अपणा पूरा रुबाब मा मस्त ह्वे हथ खुट्टा टेकि नाचण लगिन। अपणी कला दिखोंण लगिन। वा
झिम्ताण झिम्ताण नाचद नचद जनान्यूँ तर्फां लम्बो हाथ कर्दू, डुकुरताळ
मर्दू। जनान्यिाँ क्ल्लि.....। ऐ
ब्वैईईऽऽ। ऐ यख ना, इना ना। स्या डोरिन मुख ढकै चिल्लोट मचोण
लगिन। छवटा बाळों मुख तौं कि ब्वैन टालिखन ढक्ये दिनी। जबारि वा ज्वान छवारों फर
घुस्ये घुस्ये डस्कान्दू त छवारा टांग खिची तै दगड़ छिंज्याट शरारत मसखरी कर्दा।
कब्बी दासों तर्फां फ्वाँ फ्वाँ, सड़म सड़म। बाजा भुंकरा अपणा पूरा रस ताळ फर।
तबारि किल्लऽऽ किल्कताळ। ऐ ब्वैईई ! ऐऽ.. ऐऽ.. ऐऽऽ वा मोरिग्यूँ रे। मोरिग्यूँ, मोरिग्यूँ।
लोगुं को हल्लारोळी चिल्लौट मचि ग्ये। भऽ. भऽ भऽ आगो भभकारु। स्यूँबाग
आगा रांका मा बदल्येग्ये। कै उदभरी छवारन धूनि बटिन एक छवटु सि मुच्याळु लगै ध्ये
म्येल्यौ तैका पिछने। ऊळन स्यां आग पकड़ी अर फ्वाँ आगो रांकु उठग्ये।जंता मा भैकाम कि जितारु
नेगी लौड़ आज ज्यून्दो जगदू। कौथिगेरों मा हफरा तफरि। तबारि कै ज्वानन हिम्मत करि
झप्प कमव्टन झपाक मारि तै फर अर आग बुझझेन।सब्यूंन चैने सांस ल्येनी। स्यूँबाग त रैलु
अपणा घौर पर विराणु नोनु बचग्ये, आज बड़ी उल्क होण सि रैग्ये। विचारु
पिरमु (प्रेम सिंग) जितारु नेगी ज्वान
नोनु स्यूँबागो नट बचग्ये।
जिट घड़ी घपघ्याट घपरौळा बाद सब सन्न सुनताळ।
बाजा भुकरा बंद। तब्बी धूनि पिछने अन्ध्यारा मा हैकि आग लगिग्ये। भिड़ भिड़ भिड़, भिभड़ाट। छप्प
छप्प छप्प जुत्तें छपाक। जुतम जुत्ते, मेड़ बुबे गाळि।
ऐपड़ि मेड्यो मैं.......!! हराम कु बच्चा। त्वेन मेरा घौर निरास कर्यालि छै आज। कमिने औलाद। हैं। मि
बतान्दू त्वै खुणि कनि होन्दी मसखरि मजाक। चप्पाक थप्पड़। लगालू पिछने मुच्छयाळु ? पिरेमु बाबा जितारु नेगी (जितार
सिंग नेगी) एक छवारा तंै छै निगुरु पटकाणु। तबारि हैका
तर्फां जनान्यूँ मा बि झिंझड़ा झिंझोड़। गळम गळै। हे रांड, मोरि
जालु तेरु। क्यांकू सैंत्यूं त्यारु वा कुबीज। म्यार पिरमु क्या ख्वै तुमारु। पिरमु
ब्वै ते उदभरी छवारे ब्वै तैं झिझ्वड़णि बैठग्ये।
चौं
तर्फां एक हल्ला रळी, कव्वारोळी किबच्याट। छुड़ाण बुथ्याण, हां
हां, तु तु, मि मि, अर जुत्तम जोड़ मा वा छवटा सि मुच्याळै आग द्वी ख्वाळों लड़ै मा बदल्येगी।जजमान
अर बामण ख्वाळी बल।
जजमान
ब्वना छै कि तेनै लगै मुच्छयाळु, वा मंसाराम कु बिगच्यूं बीज, कुबीज। तुम भाटोंक काम हमेस गौं मा उदभरी रै। अर बामण ब्वना छै कि केन देखिन
अंध्यारा मा वा मंसारामों कु ही नोनु छै। अर तै जित्वारा नोना तैं कैन ब्वोलि कि तु स्यूँबागे जागा
ऊळौबाग बणों। तुम खस्योंक काम सदानी इनि उटपटांग रै। एक ब्वनु तुम खस्या हैकु ब्वनु
तुम भाट। एक हैके सै सोणु क्वी त्यार नि छां।
त
साब ठिक एक घंटा तलक यु कव्वारोळी, किबच्याट, घपघ्याट अर घपरौळो कोथिग चलणु रो। आखिर जनि तनि झगड़ा निबटिन सब्ब शांत
ह्वेन। अरे चुप रावा, शांत शांत शांत। पदान जी अर दाना
संयाणों न द्वी पक्षों तैं चुप करेन।
जनि सब्ब चुप ह्वेन तनि गौं कु सबसि दानु मनखी अस्सी सालों दल्लू दादा जांठू टेकि चम्म खड़ू उठि। बल हे छवारों, खूब करि रे तुमुन आजो कोथिग। सोब निहोण्यां काम च रे लठ्याळो या। यार ब्वटों अब तुम चुप शांत ह्वेग्यां त चला अपणा अपणा द्येळयूं। पर मास्तों याद रख्यान अब अग्ने बटि यनु उळौ बाग नि बणायां रे। फेर एक ना इनि सब्यूं कि कूड़ी फुक्याण मा देरी नि। दादे बात सूणि सब्बी खित्त खित्त खित हैंसण बि लगिन अर गल्ती फर अफसोस बि ह्वेन।
असौंग शब्दों कु अर्थ :-
ऊळ/ ऊळौ - बणों सुख्यूँ घास जै तैं बसग्याळ भर र्पयेणा
बाद बैठया ह्यूंद इस्तमाल कर्ये जान्द। उळौबाग
- छवटी बाते बड़ी बात बणाण। लौड़यूँ - जनान्यिूं।
डंकरी - पस्वा/औतारी पुरुष। स्यूँबाग -
शेर। टालिख -–मुन्याणु/ मुंड मा कु पल्ला। लौड़ - लड़का/नोनु। कमव्टू - कंबल। उल्क- घटना । मेड़ - ब्वै
। जिट - कुछ/ थोड़ी
कानीकार : बलबीर सिंह राणा ‘अडिग’
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