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Sunday, 16 May 2021

मन मादेब डिगण ना दियाँ (करोना बिमरी से लड़ण वळा सब्बी प्रियजनों तैं सर्मपित)




हर्यां हिया तैं हिराण ना दियाँ,

मन मादेब डिगण ना दियाँ। 


छोड़यां ना दग्ड़या आशा कि ड्वोर, 

औणा ना दियां निरासा ध्वोर,

होंग ना हार्यां उमेद ना छोड़याँ,

काल करोणा जितण ना दियाँ।


हर्यां हिया तैं हिराण ना दियाँ,

मन मादेब डिगण ना दियाँ। 


नाजो कुठार तेरु भर्यूं छै,

यीं थाति तेरो बांठु बच्यूँ छै,  

अपणु बांठो कैतें ना सौंप्याँ,

करोणा बिमारी जीति कि रयाँ।


हर्यां हिया तैं हिराण ना दियाँ,

मन मादेब डिगण ना दियाँ। 


जतिगा तागत सक्या च त्वेमा, 

उतगा पराण नि छिन ये मा, 

छन सक्या कु निरसक्या ना हुयाँ,

खांसी बुखारन भैकाम ना कैर्यां।


हर्यां हिया तैं हिराण ना दियाँ,

मन मादेब डिगण ना दियाँ। 


दिन बौड़ी आला बगत बौड़ी आलु, 

काळि रात ब्येली फजल ह्वे रालु

बगत पैथऱ ते खैरी भ्येजि दियाँ,

हिकमत रख्याँ सांसु बड़ै धैर्या।


हर्यां हिया तैं हिराण ना दियाँ,

मन मादेब डिगण ना दियाँ। 


आशावाद दगड़या ज्येणु कु नाम,   

त्वै दगड़ तेरा ईष्ट भगवान, 

डाक्टर द्यो विस्वास रख्यान, 

दगडा छिन तेरा जलड़ा नमाण। 


हर्यां हिया तैं हिराण ना दियाँ 

मन मादेब डिगण ना दियाँ ।


@ बलबीर राणा अडिग

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