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Friday 25 September 2020

उन्दारो ताळ



      पटवारी नोनी बरात जनि पार धार मा पौंछी वूंन सबत दिनी। तब्बी यख कैन धै लगै। ऐ दिदा सोंणु, बरात ऐग्ये रे पार धार मा। सोंणुन ब्वोली अरे गुसैं जी यख सब त्यार छ ना ? जी दिदा सब फिट-फोर ह्वेगी। राशन पाणी बणग्ये, चौक अर मुडि टेंट हौस मा बरित्यूँ बैठणु अर खाणु इन्तजाम होणु च। जरा पल ख्वाळा सुबदार साबा यख बटिन दन (कालीन) औण बाकी रयाँ। अरे दिदा तुम बी द्ये द्यावा सबत। हम बाकी व्योवस्ता छांट कर्दां।

          सोंणदासऽन बिेजेसारे डवोर कसि, लाकुड़ऽन द्वी तीन बार कुण्डळी पर मारिन, टंग टंग टंग। दगड़या मौलुदासऽन बि दमु पुडू मलासी, कन्दोटी गौळ डाळी, ह्वेग्यां सुरु।

          बिजेसारऽन - झेगु झेगु झेनन झेनन तू, झेनन तू झेनन। झेनन.................झेनन तू। झेगु - ता, ता ता झेगु ता, तुक झेगु तुक झेगु झेगु तुक........ बोली त। दगड़या दम्वाल -‘‘दिन, गिननि, दि, दिननि, दिन, गिननि, दिन गिननि, दिन गिन करि ताळ पुर्ये सबत दिनी।

           जनि बरात खौळ मा पौंछिन सब्बी बराती घराती बैन्ड मा एक फोड़म फौड़ छाँ कना। क्या बजणु क्या नाचणा पता नि ! मथि बटिन डी जे कनफ्वड़ू घ्याळ। दमु अर बिजेसार द्वी स्वैण मैंसैं झंग तंग झंग तंग जनि बागा बीच स्याळ। यीं हल्ला रौळी मा ना मंगळाचार सुणेणु छै ना मंगलेरों गीत। बस सर्री बराती मा छय्याँ छै त डीजे, झांझी, छकना छोरी, चैत्वाळी अर पंजाबी रौक।

          बर्यती घर्यती द्वी औजी भायोन ब्बी बिजेसार अर दमु तैं मुड़ी पुंगड़ा मा लग्यां टेंट हौंसा एक कूणा मा धरिन अर चलग्यां खाण-पीणा जुगाड़ मा।

          अब बिजेसारे जोड़ी इत्गा भीडा़ बीच यकुलकार लाचार। जन काळा बण मा छुंटयूं बखुरो। ना चिल्लोट मचै सकदा न चुप रयेन्दू। यनु लगणु छै जन या बैन्ड अर डीजे वूंकि खळवड़ी तैं डयोरा जनि गरुड़ ह्वो चुंडणा। सर्रा गात चींरी चिमराट होणी छै। पर समै समै की बात च बगत बगत कु फैर। आज जमानु तौं कु छै। क्वो पुछणु बिजेसार अर दमु तैं। जतिगा बड़ू घ्याळ वतिगा बड़ी रौंस उल्लास। 

          पौंणा ढवोलन ब्वली यार भैजी कन जमानु एग्ये, वा बि कन समै छै जब सबसे पैली पिठैं हमु पर लगदी छै। सत्कार होन्दू छै। मंगलाचरण अर मांगळ मा हम, झें .....गु  झेगा ऽऽ, झेगा झेगा ऽ ऽ ता झें ता झे, करि ताळ देन्दा छाँ। दगड़ मा मसकू भुला बिगरैली ताण मिसान्दू छै। हे भगवान ! आज या कुकुरगता ! अर बच्याण बच्याण तैका आँख्यों मा तर्रबर गंगा जमुना बगण लगिन। चारों स्वेण मैंसों कि आँखी डबळाण बठिन। जन तौं तैं कैकि बरात ना ह्वो। बल्की ? कैकी डांडी उठणी ह्वो। 

          तबि घराती बिजेसारऽन सास बटौरी। आँखा पूंजिन। अर बोली भैजी चुप रावा। क्या कन। दुःख  अपणु म्वनो नि छन। बल च्वोर तैं अपणी नि, वे घौर वळें चिन्ता च होणी जै घौर वीतें कुछ नि मिली। बल मि त हैका घौर फोड़ी खै ल्योला पर यीं घौर वळा क्या खैल्या। मितै बि तनि दुख च। हमुन त म्वनै च। आज नि त भ्वोळ। पर ! अफसोस यूँ मनख्यूँ द्वारा चरितर पर छ। देखी तुमुन मास्तो तैं। सोशियल मिडीया, पत्रिकाओं अर गोष्ठियां मा कन रैन्दा पुजणा ? जन हमारु ही दोष लग्यूं ह्वो यूँ मवसियों पर। अर यख द्याखा। हम दूध मा पड़यां जन माखु ह्वयां।

          जख ब्यौ चखळ-पखळ हर्ष उल्लास छै वखि बिजेसार जोड़ी अपणा उन्दारो ताळ, झेमा झे ऽ..ऽ, झेऽ नन् तक, झे नन् तक, तैं सुमिरण करि छाळा पौंछणे तैयारी छाँ कना। 

 

@ बलबीर राणा अडिग

 

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