तुमारा खुट्टा कांडा नि चुभ्या लाटो
चैs हम किन्गोडक भूड किले ना हो
तुमारा पुटुग सदानी भरिय्याँ रे
चेs हम भूखी क्ले नि स्यों।
जख भी रावा सुखी शान्ति रावा
यख रावा या परदेश जावा
ब्यो करि यु ब्वे अलाडी ह्वे जान्दी
जलम जलम की रीति बतौन्दी
मेरी माया मां ही खोट रे ह्वोलू
कैतें दोष नि द्येणु
तुम्हारा ज्यू जग्वाल भी ह्वाला
मुच्चछ्याळू जगि पिछने औंदु...........
रचना :- बलबीर राणा "अडिग"
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