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Monday, 24 November 2014

------भैजी मेरु देशक थोकदार----


मन मेलु तन चमकदार
भैजी मेरु देशक थोकदार
धोती कुर्ता झमाझम
हर दिन नयुं नयुं सुलार
बोली मयाळी भाषा अपणी
अर तिकड़मी चाल
भैर दूध जन उजळु
भितर मुसादूळी भ्रस्टाचार
भैजी मेरु .......

नि ह्वे सकु एक मैंसक स्वेणि
कन ह्वयूं यु पातर चाल
एक घरय्या द्वी घरय्या
बुडडया हूण तलक सड़सट घरों कु ठाट
जन भी हो कुर्सी वाळु मिलण चैन्दि
जै घार भी मारी जाओ फाल
रँगिला पिंग्ला आंगड़ी पिच्छवाडी
ज्वान छोरों कु चैणु भिभडाट्
भैजी मेरु ..
इनु राष्ट्र भक्त
गों गुठियार पर खिंचवे देन्दु तलवार
जै तें हो निराशपंथ
जैकी मवसि लाग्यां धार
भैजी मेरु ....
क्रमश:-
@बलबीर राणा 'अडिग'

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