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Saturday, 28 March 2020

सुख समृद्धि बिज्वाड़



मेरु बाबाजी  अपणा
हर नयाँ साला दिन
डलदू छै
जौ बिज्वाड़
दय्बता थान मा
धर्दू छै नौं दिनों बर्त
कर्दू छै अनुष्ठान
सिंचदू छै बिज्वाड़
नौरतों तलक
ह्वे जान्दी छै
झकमकार हरियाळि
चड़ान्दू छै जौ डाळी
दय्बतौंऽका मठ मा
बिज्वाड़ बटि काटी
धर्दू छै एकपत्या
जौ कि डाळि दूर्वाआशीष
सब्यों मुंड मा
कर्दू छै कामना
गौं-ख्वाळा
बण-बूट
गाजि-पाती
दुन्यां संगसारे
सुख समृद्धी का वास्ता
अब मिन बी कोशिस करि
समाळी अर जमायी
वा बिज्वाड़ 
साल मा द्वी बार
कुछ अंखार
कुछ स्टेटस का वास्ता
अब अग्ने
भ्वोळ नयीं पीढ़ी
क्या कर्ली क्व जाण
बिज्वाड़ त बिज्वाड़ छ
बिज्वाड़ नि त डाळी नि
डाळी नि त
मनखि माणि नि।
@ बलबीर सिंह राणा 'अड़िग'

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